रेवांचल टाईम्स - मण्डला जिले में आये दिन झोलाछाप डॉक्टरों को मुद्दा बनाकर स्वास्थ्य व्यवस्था पर लांछन लगाते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं नेताओं द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों को प्रताड़ित करते हुए अपनी तिजोरियां भरने को लेकर अवैध वसूली की योजना चलाई जा रही है जिसमें बड़े-बड़े नेता-मंत्रियों द्वारा अपनी हिस्सेदारी बटोरने को लेकर, सहभागिता निभाई जा रही है। जबकि सच्चाई तो यह है कि एमपीडब्ल्यू ग्रामीण स्वास्थ्य संस्थानों के स्वास्थ्य कर्मचारियों के बलबूते स्वास्थ्य विभाग की बागडोर चल रही है और तो और स्वयं स्वास्थ्य विभाग के मुखिया,खण्ड चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य विभाग के आला-अधिकारीयों द्वारा लोगों की जिंदगी को दांव पर रखकर शासन-प्रशासन को खुलेआम चुनौती देकर शासन-प्रशासन की नियमावली की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए एमपीडब्ल्यू को निरीक्षण अधिकारी का दायित्व सौंपकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों का निरीक्षण कराया जा रहा है,अब ग्रामीण स्वास्थ्य संस्थानों की निगरानी की जवाबदारी संभालने वाले स्वास्थ्यकर्मी द्वारा किसी योग्य जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारी-कर्मचारी एवं राष्ट्रीय राजमार्ग तथा शहरी क्षेत्रों के स्वास्थ्य संस्थानों का निरीक्षण कराया जाना,अब इसे क्या कहा जावेगा, कहीं ऐंसा तो नहीं स्वास्थ्य विभाग के आला-अधिकारियों की लापरवाहियों तथा भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए एमपीडब्ल्यू को लापरवाही तथा भ्रष्टाचार के सेना का सेनापति बनाया गया हो ताकि आमजन की नजर में पर्दे के पीछे मुखियाओं के करतूतों पर पर्दा डालने पर जोर ना लगाना पड़े।
आवास से लेकर कुर्सी तक का संरक्षण दे रहे बीएमओ
मौजूदा समय विधानसभा चुनाव को लेकर सुर्खियों पर बना हुआ है।जहां आज सभी प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को रिझाने के लिए आवास तथा कुर्सी का लाॅलीपाप दिया जा रहा है, परन्तु मण्डला जिले में स्वास्थ्य विभाग ने मौजूदा सरकार,राजनीति एवं प्रत्याशियों को खुलेआम मैदान पर बुलाया है। बिछिया बीएमओ डॉ सज्जन सिंह उइके चुनौती देने वाले मुखिया कहलाएंगे। बिछिया सीएचसी के उपस्वास्थ्य केन्द्र केवलारी में पदस्थ एमपीडब्ल्यू गोवर्धन सिंह धुर्वे केवलारी सरपंच भीष्म सिंह मरावी के बताए अनुसार एमपीडब्ल्यू गोवर्धन सिंह धुर्वे लगभग बारह वर्षों से अपने मूल पद स्थापना केवलारी उप-स्वास्थ्य केन्द्र से गायब हैं। वहीं दूसरी ओर बिछिया बीएमओ डॉ सज्जन सिंह उइके और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में उसी एमपीडब्ल्यू जो अपने मूल पदस्थापना से से लगभग बारह वर्षों से गायब है उसे अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों का जांच अधिकारी नियुक्त कर उससे चिकित्सकों, स्वास्थ्य केन्द्रों, स्वास्थ्य कर्मियों का निरीक्षण कराया जा रहा है साथ ही आला-अधिकारियों द्वारा अपनी लापरवाही एवं भ्रष्टाचार में हिस्सेदार बनाते हुए एमपीडब्ल्यू को एक्स-रे विभाग का कुर्सी सौंपते हुए उसके लिए विशेष सुविधायुक्त खासमखास शासकीय आवास की व्यवस्था की गई है।
मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ के.सी. सरोते से मीडिया की टीम के द्वारा बात की गई कि बारह वर्षों से गायब एमपीडब्ल्यू को जांच अधिकारी नियुक्त करने, विशेष अधिकार एवं सुविधाएं तथा संरक्षण देने को लेकर जानकारी मांगी गई तो सीएमएचओ डॉ श्री सरोते द्वारा अपने गिरेबान को बचाते हुए मामले की जानकारी नहीं है कहकर सवालों का जवाब देने से बचते नजर आए, वहीं इसी मामले को लेकर जब सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिछिया के खण्ड चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सज्जन सिंह उइके से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने अपनी करतूतों पर पर्दा डालते हुए उक्त मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है कहकर भ्रष्टाचार के अंतर्गत प्राप्त हिस्सेदारी का हक अदा करते नजर आए और एक बार फिर जांच अधिकारी का चोला पहने वर्षों से लापता एमपीडब्ल्यू को एक्स-रे विभाग की कुर्सी सौंपकर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते नजर आये।
वही जिले में जिला कलेक्टर द्वारा द्वारा भ्रष्टाचारीयों और लापरवाहियों के विरुद्ध की जा रही वैधानिक कार्यवाही को लेकर आज जिले से लेकर अन्य जिलों तक जिला कलेक्टर महोदय की सराहना किया जा रहा है, परन्तु एक बात लोगों को समझ नहीं आ रही कि जिले में स्वास्थ्य विभाग की बिछिया सीएचसी अंतर्गत लगभग एक वर्ष से आये दिन अखबारों-चैनलों की सुर्खियों पर बने हुए उक्त लापरवाही एवं भ्रष्टाचार का मामला जिसकी स्पष्ट शिकायत भी जिला कलेक्टर महोदय को किया जा चुका है जिला कलेक्टर से बचते हुए अभी तक उक्त मामले के दोषियों के खिलाफ जिला कलेक्टर महोदय द्वारा आरोपियों के खिलाफ अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं किया जा रहा है? जिला कलेक्टर द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लेकर दोषियों को खिलाफ कार्यवाही नहीं किए जाने से आये दिन दोषियों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं नतीजा एमपीडब्ल्यू को बीईई बनाने के बाद आज उसी एमपीडब्ल्यू को एक्स-रे विभाग का मुखिया बनाते हुए स्वास्थ्य विभाग का जांच अधिकारी नियुक्त कर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा शासकीय विशेष आवास की खासमखास अधिकार दिया गया है और सीएचसी बिछिया की स्वास्थ्य व्यवस्था की बागडोर एमपीडब्ल्यू के हवाले सौंपी गई है नतीजा आमजनता की जिन्दगी से खिलवाड़ कर जिम्मेदारों, अधिकारी-कर्मचारी,नेता-मंत्रियों द्वारा अपनी तिजोरियां भरी जा रही है।
No comments:
Post a Comment