झोलाछाप डॉक्टरों का आतंक, परेशान हैं मरीज... जबलपुर मंडला तथा बाहर से आ कर ठग रहे आदिवासी ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टर विभाग के जिम्मेदार बने मूक दर्शक... - revanchal times new

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निष्पक्ष एवं सत्य का प्रवर्तक

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Friday, October 13, 2023

झोलाछाप डॉक्टरों का आतंक, परेशान हैं मरीज... जबलपुर मंडला तथा बाहर से आ कर ठग रहे आदिवासी ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टर विभाग के जिम्मेदार बने मूक दर्शक...

 


रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी बाहुल्य जिले में जगह जगह गाँव गाँव में झोलाछाप डॉक्टर की किलिनिक देखी जा सकती है उनके पास न कोई डिग्री है न डिप्लोमा फिर खुलेआम अपनी निजी किलिनिक खोल कर एलोपैथी की दवाई और बॉटल मरीज़ों को लगा रहे है क्योंकि इन्हें पता है कि इस जिले में जिम्मेदार विभाग और न ही अन्य को देखने की फुर्सत नही है और इन डॉक्टरों के इलाज से बहुत से गरीबों का भला भी हो रहा है तो कुछ ठगे भी जा रहे है और कुछ असमय काल के गाल में समा भी रहे है पर किसको क्या ये अगर खुले आम अपनी किलिनिक का संचालन कर रहे है तो कही न कही जिले में बेठे स्वास्थ्य अधिकारी की सहमति के बिना कैसे ये अपनी अबैध दूकानदारी खोल कर ईलाज कर सकते है पर कही न कही मैनेजमेंट के चलते सब अबैध कार्य बेध नजर आने लगते है और देख कर भी अनदेखा किया जाता हैं।

         वही आज कुकरमुत्तों की तरह झोलाछाप डॉक्टर किलिनिक के साथ साथ अपना बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल खोल कर मरीज़ो को भर्ती कर इलाज कर रहे हैं। मंडला, भुआ बिछिया, मवई, निवास, वीजादांडी या फिर नारायणगंज तहसील अंतर्गत गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है, चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं, मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं, खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 30 से 35 साल के बीच है, मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में जबलपुर तथा मंडला जिला अस्पताल भेज दिया जाता है, जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।


वही नारायणगंज तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों और चौराहों सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहीं नारायणगंज स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं नहीं हैं, इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं।


बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं डॉक्टर


झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है , मंडला स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई , इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं, गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं, झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 100 से 200 रुपए तक होती है।


केस बिगड़ने पर अस्पताल रैफर कर देते हैं मरीज

      वही जानकारी के अनुसार बीते कुछ वर्षों से जिले में फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है, ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है।

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