दैनिक रेवांचल टाइम्स - जबलपुर शारदीय नवरात्रि के अवसर पर स्कंदमाता मंदिर फूटाताल में प्रथम दुर्गा शैलपुत्री देवी का पूजन एवं 108 नाम से अर्चन डॉ स्वामी गिरिजानंद जी महाराज के सानिध्य में स्कंद माता मंदिर के महंत पंडित राजेश शास्त्री द्वारा संपन्न कराया गया।इस अवसर पर भगवती शैलपुत्री की महिमा का वर्णन करते हुए स्वामी गिरिजानंद जी ने बताया की पर्वत राज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री है यह वृषभ पर सवार हैं इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल है यही नवदुर्गा में प्रथम दुर्गा है अपने पूर्व जन्म में यह दक्ष पुत्री सती के रूप में भगवान शिव की पत्नी थी एक बार दक्ष प्रजापति ने बहुत बड़ा यज्ञ किया इसमें उन्होंने सारे देवताओं को बुलाया परंतु शंकर जी को उन्होंने यज्ञ में नहीं बुलाया जब सती को मालूम हुआ तब पिता के घर जाने के लिए शंकर जी से आग्रह किया शंकर जी के मना करने पर भी सती अपने पिता के यहां गई वहां इनका कोई सम्मान नहीं हुआ और जब उन्होंने शंकर जी का भी यज्ञ भाग नहीं देखा तो वे अपने पति शंकर जी के अपमान को सहन न कर सके और उन्होंने अपने उसे स्वरूप को योग अग्नि के द्वारा जलाकर भस्म कर दिया
अगले जन्म में सेल राज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री के नाम से विख्यात हो गई उनके नाम पार्वती तथा हेमवती भी हैं इनका महत्व और शक्तियां अनंत हैं नवरात्रि के प्रथम दिन इन्हीं की पूजा की जाती है इस प्रथम दिन की उपासना में योगिजन अपने मन को मूलाधार में स्थित करते हैं यही से उनकी योग साधना प्रारंभ होती है इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ जितेंद्र तेकाम, गणेश नारायण खरे, मुकेश चौरसिया, शुभम पांडे, शिवा पांडे, सचिन खरे, सत्यशील सोनी, सीमा गुप्ता सविता चौरसिया, प्रेमलता सोनी, कांता श्रीवास, श्रीमती गौर भक्ति सोनी आदि की उपस्थिति रहे
No comments:
Post a Comment