रेवांचल टाईम्स - मंडला, छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगाँठ पर व्यख्यान का आयोजन
'हिंदवी स्वराज्य प्रणेता श्रीमंत योगी शिवाजी महाराज' पुस्तक का हुआ विमोचन
छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगाँठ के अवसर पर हिंदवी स्वराज 350वां वर्ष समारोह समिति द्वारा व्याख्यान का आयोजन सीआरपीएफ कमांडेड विक्रांत सारंगपाणी के मुख्यातिथ्य में किया गया। झंकार भवन में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्यवक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचार प्रमुख विनोद दिनेश्वर ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिस देश के युवाओ के अंदर अतीत का गौरव, वर्तमान की पीड़ा और भविष्य के सुनहरे सपने विद्यमान होते हैं ऐसा देश ही विश्व का मार्गदर्शन करने वाला विश्व गुरु होता है। उन्होंने कहा कि इतिहासकार कहते हैं कि भारत करीब एक हजार वर्षो तक मुगलों, अंग्रेजों का गुलाम रहा है। लेकिन कुछ इतिहासकार इस काल को भारत की गुलामी नहीं संघर्ष का इतिहास कहते हैं।
आज भी प्रासंगिक हैं छत्रपति शिवाजी
विनोद दिनेश्वर ने कहा कि मुगलों के पूर्व क्रूरतम जातियां ग्रीक, हूण, शक, यवन आदि आये। लेकिन भारत इतना शक्ति संपन्न था कि इन जातियों का आज कुछ पता नहीं है। उन्होंने कहा कि मुग़ल सिर्फ भारत को लूटने नहीं इसे गुलाम बनाने आये। इसलिए उन्होंने भारत के मानबन्दुओं पर आक्रमण किया। मंदिर तोड़े, गाय की हत्याएं की, महिलाओ पर हमले किये। उन्होंने वीरांगना रानी दुर्गावती का जिक्र करते हुए कहा कि समय समय पर ऐसे लोग भारत में खड़े होते रहे जो उनसे लोहा लेते रहे। ऐसे ही एक महापुरुष वीर छत्रपति शिवाजी हुए जिनका 350 वां राज्याभिषेक वर्ष है। छत्रपति शिवाजी आज भी प्रासंगिक हैं। उनके जन्म के पूर्व ही उनकी मां जीजा माता ने ये संकल्प लिया कि उनका कोई ऐसा पुत्र हो जो इन मुगलों से लोहा ले सके। शिवाजी ने 16 वर्ष की ही आयु में पहला किला जीत लिया। उन्होंने अपनी छोटी से सेना के साथ बड़ी-बड़ी सेना के साथ युद्ध लड़ा और जीत हासिल की।
शिवाजी ने छोटी सी जीत से ही दिया बड़ा सन्देश
विनोद दिनेश्वर ने कहा कि मुगलों को परास्त करने के बाद शिवाजी का राज्याभिषेक होता है तो उन्होंने इसे हिन्दू साम्रज्य का नाम दिया। उन्होंने बहुत छोटे क्षेत्र से आतताइयों को समाप्त किया था लेकिन इसका सन्देश बहुत बड़ा था। उनसे अनेक राजाओं ने प्रेरणा ली। जिसकी वजह से हिंदुस्तान के अंदर हिन्दू भी सम्मान से जी सकता है, हिन्दुओं का भी अपना राज्य हो सकता है ये पराक्रम दिखाने का काम शिवाजी महाराज ने किया था। इसलिए इनके राज्याभिषेक की वर्षगांठ पूरे देश में मनाई जाती है। उन्होंने जन जन तक शिवाजी के विचारों को पहुँचाने और उनसे प्रेरणा लेने का आव्हान करते हुए कहा कि हमारा इतिहास हारने का नहीं लड़ते रहने का है। हम 1947 तक देश के स्वतंत्र होने तक लड़ते ही रहे।
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए इन बातों का रखना होगा ध्यान
उन्होंने शिवाजी के विचारों से प्रेरणा लेकर हमारे विश्व गुरु होने का सपना साकार करने के लिए पांच बातों पर ध्यान देने का जोर देते हुए कहा कि हम स्वाधीन तो हो गए लेकिन हमें गुलामी की मानसिकता से भी मुक्त होना पड़ेगा। उन्होंने कहा दुनिया भर में कहीं ऐसी विरासत नहीं जैसे हमारे भारत की है। हमें अपनी इस विरासत पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने तीसरी बात के तौर पर कहा कि भारत को विकासशील से विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सभी को पूर्ण समर्पण के साथ प्रयत्न करना होगा। तभी आज के युवा आपने जीवनकाल में ही 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देख पाएंगे। उन्होंने चौथी बात संगठित समाज और पांचवी बात कर्तव्य पालन की कही। उन्होंने कहा कि सभी में अपने कर्तव्य पालन का बोध होना आवश्यक है तभी शिवाजी महाराज का सपना साकार हो सकता है।
पुस्तक का हुआ विमोचन
इसके पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विक्रांत सारंगपाणी ने अपने बचपन से सुनी शिवाजी की कहानियों का जिक्र करते हुए कहा कि ये कहानियां हमारे मन में इस तरह से स्थापित हो गई है कि अब हमें लगता है कि ये सभी कहानियां हमने देखि हैं। उन्होंने शिवाजी के युद्ध कौशल और नीतियों पर चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान 'हिंदवी स्वराज्य प्रणेता श्रीमंत योगी शिवाजी महाराज' नामक पुस्तक का विमोचन हुआ। आयोजन समिति के संयोजक अरविन्द शर्मा ने इस पुस्तक का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में मंच संचालन उर्वशी राय, एकल गीत अशोक पांडे एवं आभार साजिश यादव ने किया। इस दौरान बड़ी संख्या में नगर के प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।
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