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Friday, September 22, 2023

भगवान गणेश को क्‍यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी? जान लें ये खास वजह



हिंदू धर्म में गणपति को प्रथमपूज्‍य माना गया है. हर साल भाद्रपद महीने में विघ्‍नहर्ता गणेश अपने भक्‍तों के बीच आते हैं और 10 दिन उनके बीच रहकर उनकी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं. साल 2023 का गणेश उत्‍सव शुरू हो चुका है. पूरे देश में गणेश पांडाल सज चुके हैं. गणेश मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ उमड़ रही है. साथ ही घरों में विराजे गजानन की भी लोग पूजा-अर्चना करने और उन्‍हें प्रसन्‍न करने में जुटे हुए हैं. गणपति बप्‍पा को रोजाना उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जा रहा है. गणेश जी को मोदक, लड्डू और दूर्वा बेहद प्रिय है. गणेश जी को भोग लगाते समय एक बात का ध्‍यान रखा जाता है कि उन्‍हें तुलसी अर्पित ना की जाए क्‍योंकि गणेश जी को तुलसी चढ़ाना वर्जित है.

गणेश जी को नहीं चढ़ाते तुलसी

गणेश जी को भोग में मोदक, लड्डुओं के अलावा दूर्वा, साबुत सुपारी, साबुत हल्‍दी और जनेऊ भी विशेष तौर पर अर्पित किया जाता है. लेकिन गणेश जी को कभी भी तुलसी अर्पित नहीं करनी चाहिए. हालांकि हिंदू धर्म में तुलसी को बेहद पवित्र और पूजनीय माना गया है. भगवान विष्‍णु की पूजा तो बिना तुलसी दल अर्पित किए अधूरी होती है लेकिन गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल वर्जित माना गया है. इसकी वजह एक पौराणिक कथा में बताई गई है.


गणेश जी को तुलसी ना चढ़ाने की वजह

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गणेशजी गंगा नदी के किनारे तपस्या कर रहे थे. तभी तीर्थ यात्रा पर निकली तुलसी गंगा के तट पर पहुंचीं और उन्‍होंने देखा कि युवा गणेशजी तपस्या में लीन हैं. गणेश जी के इस रूप पर तुलसी जी मोहित हो गई और उनके मन में श्रीगणेश से विवाह करने की इच्‍छा जागी. लिहाजा उन्‍होंने गणेश जी का ध्‍यान भंग कर दिया. गणेश जी ने यह कहकर तुलसी जी का प्रस्‍ताव ठुकरा दिया कि वे ब्रह्मचारी हैं. विवाह प्रस्‍ताव ठुकराए जाने से नाराज तुलसी ने गणेशजी को शाप दिया कि उनके एक नहीं, बल्कि दो विवाह होंगे. इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा. साथ ही कहा कि मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना अशुभ माना जाएगा. इसके बाद से ही भगवान गणेश की पूजा में तुलसी चढ़ाना वर्जित माना जाता है.

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