जैविक विधि से बीजोपचार, केचुआ खाद,जीवामृत, अग्नि अस्त्र,मठ्ठा खाद का उपयोग से लहलहाती फसल
भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी, मानव एवं अन्य जीव को स्वास्थ्य रहेगी
एक फिट कटिंग करने के बाद भी 85 दिनों में 4 फिट से ऊपर हुई धान
दैनिक रेवांचल टाइम्स डिंडोरी/शहपुरा:- भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष व जैविक कृषि विशेषज्ञ बिहारी लाल साहू लगातार जिले व क्षेत्र के कृषकों को जैविक खेती करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं,साथ ही गांव-गांव जाकर कृषकों को जैविक खेती करने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं साथ ही विद्यालय एवं महाविद्यालयों मे भी प्रशिक्षण देने का कार्य कर रहे है
ज्ञात हो कि बिहारी लाल साहू स्वयं अपने खेत में भी जैविक खेती करते हैं जिसमें खरीफ की फसल में जैविक पद्धति से 23 जून को बीजोपचार कर धान की नर्सरी रखकर 16 दिनों में 9-10 जुलाई को रोपाई की गई है और रोपाई में 1 से 2 पौधे ही लगाए गए थे,जिसमें मात्र 55 दिनों में ही धान की फसल 3 से 3.5 फिट की हो चुकी थी तब 1 फिट धान की कटाई कर दिया गया था इसके बाद जीवामृत का छिड़काव किया तथा धान के 1-2 पौधे में से 20 से 21 शाखाएं आ चुकी है इस प्रकार धान की उत्तम फसल देखने को मिल रही है।
85 दिनों में 4 फिट से ऊपर हुई धान की फसल और सभी में फल आ रही है, किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगी है धान की बाली की लम्बाई लगभग 1 फिट की है 90 दिनों मे अग्नि अस्त्र का छिड़काव,95 दिनो में मठ्ठा खाद की छिड़काव किया गया इस प्रकार जैविक पध्दति से निर्मित उत्पाद का उपयोग किया गया है ।
जानकारी के लिए बता दे की मठ्ठा खाद 20 लीटर गौ के मठ्ठा में 80 लीटर पानी मिलाकर एक एकड़ के फसल में छिड़काव करने से फसल के बीजों मे मजबूती, चिकनाहट, बजनदार होती है बदरा नही रहता तथा सूक्ष्म जीवों की मात्रा बढ़ती है , जिससे अनाज में पोषक तत्त्व होता है जिससे ग्रोथ बढती है तो फसल की पैदावार भी अच्छी होगी और बाहरी कीड़ों को नियंत्रण करेगा,रसायन मुक्त रहेगा,इस खाद को धान के पोट के समय कि जाती है 8-8 दिनों के अंतराल में उपयोग कर सकते हैं भूमि से सुधार होगी।जिसके फलस्वरूप विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी जैविक धान की अधिक उत्पादन होगा।अतः इसी तरह सभी कृषक भी जैविक कृषि को अपनाकर फसल की अधिक पैदावार ले सकते है,भूमि को उपजाऊ एवं सुधार मिलेगी और मानव जीवन भी स्वस्थ रहेगा,व सभी किसान बंधुओ से जैविक खेती करने से अपील की गई।शुद्ध हवा भोजन शुद्ध,और शुद्ध हो जल।जैविक खेती के बिना, नहीं सुरक्षित कल।।
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