रेवांचल टाईम्स - मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले में अंधे पीसे और कुत्ते खायें जैसा कानून चल रहा है जिले की मुखिया कलेक्टर हो या फिर प्रदेश के मुखिया हो अबैध कारोबारियों पर उत्खनन हो या रेत का भंडारण हो चाहे क्रेशर खनिज माफिया बेरोकटोक मनमर्जी से जहां चाहें जिस प्राकृतिक संपदा का दोहन करने में जरा भी नहीं डर रहे हैं..
मंडला जिले में जैसे खनिज विभाग का पद हो या कार्यालय या ये कहें कि खनिज विभाग मंडला जिले में रिक्त हो गया है..
न उत्खनन रुकता है और माफिया राज पर किसी भी प्रकार का कोई अंकुश नजर नहीं आ रहा है..
खनन माफिया जहां से चाहे रेत निकाल कर भंडारण कर रहे हैं और क्रेशर संचालक बिना रोकटोक के जितनी भूमि में अवैध रूप से उत्खनन करते नजर आ रहे हैं..
जगह जगह अवैध रूप से भंडारण कर रेत को औने पौने दाम में बेचकर अपनी जेब भरने और आम जनता को लूटने में जरा भी दया नहीं दिखा रहे वहीं मुर्रम का भी बेखौफ उत्खनन कर गरीब जनता को और शासन को चूना लगाया जा रहा है..
आखिर ये सब देखने के लिए खनिज विभाग को जिम्मेदारी दी गई है लेकिन शायद ये कार्य करेगा कौन..
और इसकी शिकायत भी अनेक बार की जा चुकी है लेकिन विभाग की खामोशी किस तरफ इशारा करती है..
क्या माफिया राज सरकार पर हावी है या फिर अधिकारीगण कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर अपना पलड़ा झाड़ रहे और अबैध कारोबारियों को संरक्षण दे रहे है..
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