सनातन धर्म में रक्षाबंधन का पर्व बेहद ही खास और महत्वपूर्ण माना गया है. इस त्योहार को कई वर्षों से मनाया जा रहा है और यह भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. हर भाई-बहन इस त्योहार को बेसब्री से इंतजार करते हैं क्योंकि इस रिश्ते की नोक-झोंक में रक्षा का वचन भी छिपा हुआ है. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसक लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई भी जीवनभर बहन की रक्षा का वचन देता है. रक्षाबंधन का त्योहार वैसे तो साल में एक बार आता है लेकिन यह रिश्ता ऐसा है जिसे जिंदगीभर पूरी ईमानदारी से निभाया जाता है. कहते हैं कि चाहें किसी भी रिश्ते में दरार आ जाए लेकिन भाई-बहन के अटूट प्रेम का बंधन हमेशा बरकरार रहता है. लेकिन इस साल रक्षाबंधन की डेट को लेकर लोगों के बीच काफी कंफ्यूजन है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब मनाया जाएगा रक्षाबंधन का पवित्र पर्व?
रक्षाबंधन 2023 कब है?
रक्षाबंधन का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर होगा. लेकिन रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया रहेगा. 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर भद्रा शुरू होगी और रात को 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी. कुछ लोग भद्रा में राखी बांधना अशुभ मानते हैं. इसलिए भद्रा से पहले या उसके बाद राखी बांधी जा सकती है.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
पंचांग के भद्रा की वजह से 30 अगस्त को राखी बांधने का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है क्योंकि पूर्णिमा तिथि सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और इसके साथ भद्रा भी शुरू हो जाएगी. ऐसे में रात को 9 बजे के बाद ही राखी बांधने का मुहूर्त है. वहीं 31 अगस्त को सावन की पूर्णिमा तिथि सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगी और इस दौरान भद्रा का भी साया नहीं रहेगा. ऐसे में 31 अगस्त को सुबह 7 बजे से पहले राखी बांधना शुभ होगा. भद्रा की वजह से ही इस साल राखी का त्योहार 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जा रहा है.
भद्रा को क्यों मानते हैं अशुभ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी और इसकी वजह से रावण कुल का नाश हो गया. तभी से यह मान्यता है कि भद्रा काल में भूलकर भी राखी नहीं बांधनी चाहिए. इस काल में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है और उसे परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. रेवांचल टाईम्स इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.
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