रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी जिले मंडला में पदस्थ अधिकांश अधिकारी कर्मचारीयो ने सरकारी वाहन को अपनी जागीर समझ कर पारिवारिक कार्यो के साथ साथ छुट्टियों का भी मजा ले रही है और इनके मजा सरकारी धन से हो रही है इस जिले में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के निकम्मे पन से जनता त्रस्त हो चुकी है पर जाए तो जाए कहा और बातए तो किसे क्योंकि इस जिले में सभी वरिष्ठ पदों में प्रभारी अधिकारियों ने जो अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है और कही न कही सेटिंग के बना कर आज जनता का खून पसीने के पैसों में एसो आराम फरमा रहें हैं।
वही जानकारी के अनुसार जिले में सरकारी संपत्ति को अधिकारी-कर्मचारी अपने निजी कार्य के लिए उपयोग में कर रहे हैं। जिले के ऐसे कई शासकीय वाहनों का उपयोग यहां के अधिकारी और कर्मचारी बेधड़क, बिना अनुमति के ऐसे उपयोग करते हैं कि यह उनकी निजी संपत्ति हो। और मंडला जिले के पदस्थ कुछ अधिकारी तो केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराने ही कार्यालय आते है इन्हें मंडला जिले केवल कमाई का जरिया ही नजर आता है और कुछ अधिकारी का तो नाम का मुख्यालय है उनका पूरा परिवार जबलपुर भोपाल में रहता है और ये जिम्मेदार अधिकारी केवल सोमवार से शुक्रवार तक ही रहते है और शुक्रवार को दो तीन बजे मुख्यालय छोड़ अपने परिवार के पास सरकारी वाहन से पहुँच जाते है और इनकी जो दौरा डायरी होती जिनमे ये दर्शाते हैं कि साहब फील्ड में और जिले में चल रही सरकारी योजनाएं को पूरी जिम्मेदारी से निभा रहे है जबकि ये फील्ड कम अपने परिवार के पास का फील्ड कुछ ज्यादा ही करते है पर इन्हें देखने वाला कौन है और इनका कौन क्या कर सकता है। लेकिन ये स्वयं जिले के अधिकारी हैं, उन्हें किसका भय। इनके भी वरिष्ठ अधिकारी आंखें बंद कर सब कुछ देख रहे हैं। एक ऐसा ही मामला मंडला जिला मुख्यालय का सामने आया है, जहां एक आबकारी अधिकारी शासकीय वाहन का उपयोग अपने निजी कार्य के लिए की। ये आबकारी अधिकारी शासकीय वाहन से जिले से बाहर दूसरे प्रदेश शासकीय वाहन से गई, जबकि 19 जून को मप्र शासन के राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल का विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर मंडला जिला के सेमरखापा में प्रस्तावित कार्यक्रम था। जिसके कारण किसी भी अधिकारी को अवकाश की स्वीकृति नहीं थी। सूत्रों के अनुसार जिले की आबकारी अधिकारी ने जिला कलेक्टर से आकस्मिक अवकाश मांगा था, जिसमें उन्हें 15 व 16 जून का आकस्मिक अवकाश मिला था। इसके बाद दो दिन वे बिना किसी सूचना के जिला मुख्यालय से नदारत रही।
जानकारी अनुसार जिले की आबकारी अधिकारी 15 जून से 18 जून तक जिला मुख्यालय छोड़कर जिले से बाहर रही। जबकि कलेक्टर द्वारा इनको दो दिन का अवकाश स्वीकृत किया था। स्वीकृत अवकाश में इन्हें 15 व 16 जून का आकस्मिक अवकाश मिला था, लेकिन ये 17 व 18 जून को भी जिला मुख्यालय में नहीं रही। 18 जून की शाम ये जिला मुख्यालय पहुंची। जिला आबकारी अधिकारी ने दो दिन अतिरिक्त अवकाश पर रही। वहीं इन चार दिनों तक उन्होंने निजी वाहन का उपयोग नहीं किया, बल्कि आबकारी अधिकारी ने शासकीय वाहन का उपयोग करते हुए वाहन को जिला मुख्यालय से लेकर गई।
सूत्रों ने बताया गया कि जिला आबकारी अधिकारी सीमा धुर्वे कश्यप द्वारा शासकीय वाहन का निजी उपयोग किया जा रहा है और शासकीय वाहन को अपने निजी कार्य के लिए मंडला से छत्तीसगढ़ ले जाया गया। वहीं इन्हें मुख्यालय छोडऩे की कलेक्टर से स्वीकृति तक नही मिली है। बावजूद इसके ये अपनी मर्जी से दो दिन अतिरिक्त अवकाश पर रही। जबकि 19 जून को महामहिम राज्यपाल का प्रस्तावित दौरा होने के बाद भी 15 से 18 जून तक अपने निजी कार्य से शासकीय अनुबंधित वाहन क्रमांक एमपी 20 टीए 2549 से निजी उपयोग कर छत्तीसगढ़ ले जाया गया।
टोल नाका से निकली वाहन निकलने की जानकारी हुई प्राप्त
वही सूत्रों ने बताया कि मंडला जिला आबकारी अधिकारी सीमा धुर्वे कश्यप ने शासकीय अनुबंधित वाहन क्रमांक एमपी 20 टीए 2549 से सिझौरा चारटोला से छत्तीसगढ़ टोल क्रॉस किया है, 15 जून को इनको शासकीय वाहन क्रमांक एमपी 20 टीए 2549 से छत्तीसगढ़ जाते हुए देखा गया। वहीं 18 की शाम को इसी वाहन से वापस आते हुए भी देखा गया है। अब देखना है कि जिले के वरिष्ठ अधिकारी का इस लापरवाही पर क्या कार्रवाई की जाएगी।
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