रेवांचल टाईम्स - मंडला। आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में बेनानी ठेकेदारों के द्वारा ग्राम पंचायत मे होने वाले निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है और भारी भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी का धंधा जमकर चल रहा है, और सम्बंधित अधिकारी, कर्मचारी सब कुछ जानते हुए भी ठेकेदारी प्रथा से होने वाले निर्माण कार्य मैं अंकुश नहीं लगा रहे हैं, और ठेकेदारों के साथ मिलकर अपना पर्सेंट लेकर निर्माण कार्य को स्टीमेट के अनुरूप नहीं कराया जा रहा है। जिससे निर्माण कार्य चंद दिनों में ही अपनी कहानी स्वयं बयां कर रहे हैं। अनेकों बार घटिया निर्माण कार्य होने की जानकारी समाचार पत्रों व टीवी चैनलों के माध्यम से जिला प्रशासन को सच का आइना दिखाया जा रहा है। इसके बाद भी किसी प्रकार कोई जांच नहीं कराई जा रही है। जिससे जनपद स्तर पर बैठे अधिकारी कर्मचारी और बेनामी ठेकेदार मिलकर निर्माण कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
मजदूरों नहीं मिल रहा है रोजगार, पलायन होने को मजबूर
बता दें कि जिले भर की 9 ब्लॉकों के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में बेनामी ठेकेदारों के द्वारा मशीनरी का उपयोग कर होने वाले प्रत्येक निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। जिससे स्थानीय मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है, और पलायन होने को मजबूर हो रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों और गांव- गांव का विकास कराने के लिए करोड़ों, अरबों रुपए दे रही है, लेकिन ग्राम स्तर का सर्वांगीण विकास तो नहीं हो रहा है, लेकिन सम्बंधित अधिकारी कर्मचारियों के अलावा सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक का विकास जरूर हो रहा है। इस आदिवासी जिला का सौभाग्य कहां जाऐ या दुर्भाग्य ,कारण जो भी हो पर इस आदिवासी जिला में लम्बे समय से निर्माण कार्यों को बेनामी में ठेकेदारों के द्वारा गुणवत्ता विहीन कार्य कराया जा रहा।
उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत स्तर में हो रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच के बगैर एसडीओ और उपयंत्री के द्वारा अपना कमीशन लेकर मूल्यांकन और सीसी जारी कर दिया जाता है। निर्माण कार्य के पहले किसी प्रकार की कोई निविदा समाचार पत्रों में नहीं निकाली जाती। इसी तरह निर्माण कार्य प्रारंभ करते समय गुणवत्ता को परखने के लिए क्यूब नहीं बनाया जाता ना ही मटेरियल टेस्ट किया जाता। स्टीमेट के विपरीत निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। माप् पुस्तिका में रॉयल्टी भी नहीं काटी जा रही है, और रेशों के विपरीत उपयंत्री के शह पर गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य किया जा रहा है।
शासकीय वाहनों का हो रहा दुरुपयोग
जनपद पंचायत स्तर पर उपयंत्री के ऊपर एसडीओ और सीईओ को बैठाला गया है जिन्हें चार पहिया वाहन म.प्र. शासन द्वारा चार पहिया वाहन किराए से उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन ऐसे अधिकारी के द्वारा शासकीय वाहन को निजी उपयोग में लिया जाता है और ग्राम पंचायत स्तर पर निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग ना कर घर बैठे ही मूल्यांकन और सीसी जारी कर दिया जाता है। और गतिमाप् पुस्तिका में वास्तविक दौरा दैनंदिनी और अग्रिम दौरा दैनंदिनी फर्जी तौर से संधारित कर दी जाती है। निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार कर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य कराया जाता है, साथ ही शासकीय वाहन का दुरुपयोग कर म.प्र. शासन को करोड़ों रुपए की क्षति पहुंचाई जा रही है। कुल मिलाकर निर्माण कार्य को घटिया स्तर से करा कर शासन की राशि का बंदरबांट किया जाकर, शासकीय धनराशि की होली खेली जा रही है।
मुख्यमंत्री के आदेशों का नहीं हो रहा है पालन
एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री कहते हैं कि अगर कोई खबर पत्रकारों के द्वारा छापी जाती है तो अधिकारी, कर्मचारी उसको संज्ञान में लें, अगर सही पाए जाने पर सम्बंधित पर कार्यवाही करें। लेकिन इस आदिवासी जिले में निर्माण कार्य से लेकर भ्रष्टाचार के सम्बंध में मय प्रमाण के समाचार प्रकाशन करने के बाद भी इस जिले में लम्बे समय से पदस्थ अधिकारी, कर्मचारी के द्वारा कोई पालन नहीं किया जा रहा है। जिससे निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार होने के साथ-साथ गुणवत्ता विहीन कार्य कराया जा रहा है।
राजनीतिक संरक्षण के कारण नहीं होती जांच
जिले भर में 10 परसेंट कार्य को ही ग्राम पंचायत एजेंसी के द्वारा कराया जाता है। शेष 90 परसेंट निर्माण कार्य को अधिकारीयों की सांठगांठ से राजनीति से जुड़े लोगों के आदमियों के द्वारा ठेकेदारी प्रथा से निर्माण कार्य को मशीनरी द्वारा कराया जाता है। मंडला जिले में निर्माण कार्य के नाम से अधिकारियों की सह पर खुली छूट मिलने के कारण शासकीय राशियों की लूट मची हुई है। और जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी सब कुछ जानते हुए भी अंधे बहरे बने हुए हैं। जिससे मंडला जिले में भ्रष्टाचार राजनीतिक संरक्षण के चलते अपना पैर पसार लिया है।
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