रेवांचल टाईम्स - मण्डला। पीडि़त राजू ठाकुर निवासी ग्राम बिंझिया ने बताया कि ग्राम पंचायत बिंझिया में पटवारी हल्का नंबर 28 राजस्व निरीक्षक मण्डल मण्डला 5/22 तहसील वा जिला मण्डला स्थित भूमि खसरा नंबर 104/1 क 1 रकवा 1.491 हेक्टयर भूमि खानदानी पैतृक सम्पत्ति है। जिस पर परिवारिक सदस्य और पूर्व में ग्राम पंचायत बिंझिया में पदस्थ रहे सचिव अमरीक ठाकुर ने गलत तरीके से सम्पूर्ण जमीन को अपने नाम कराकर जमीन को बेंचने की प्रक्रिया कर डाली लगभग 5 एकड़ जमीन में से ढाई एकड़ जमीन बेची जा चुकी है बेसकीमती जमीन को पटवारी की मिलीभगत से बेचा गया है। वारसानों के बिना नाम चढ़े और फौती कटे मिलीभगत से पंचायतीय सचिव ने अपने नाम जमीन करा ली और जमीन को लगातार बेंच रहा है और पीडि़त न्यायालय के चक्कर काट रहा है। जहां से अब तक न तो खसरे में सुधार हुआ है और न ही पीडि़त को स्टे मिल पाया है। वहीं सचिव पर पीडि़त को धमकी देने के आरोप भी लगे हैं। इस पूरे मामले में सचिव ने कारनामा जब किया जब वह ग्राम पंचायत बिझिंया में सैटिंग से पदस्थ हुआ और अपनी पदस्थापना के दौरान उसने जमीन को अपने नाम करा लिया। यहां तक की मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र में भी जालसाजी की गई है। पीडि़त ने बताया कि मेरे आजा जीवनलाल के पिता धनुवा उर्फ धनसिंह के नाम पर रिकार्ड में दर्ज रही है। अनावेदक अमरीक मेरा चचेरा भाई होने से उस पर मेरा विश्वास रहा अमरीक दशोदा की मृत्यु के समय ग्राम पंचायत बिझिया में सचिव के रूप में पदस्थ रहा और अपने प्रभाव के कारण अनावेदक तत्कालीन पटवारी अनिल श्रीवास के साथ सांठ गांठ कर मेरी खानदानी जमीन हड़पने के आशय से कूटरचित दस्तावेज एवं झूठी जानकारी देकर मेरी पैतृक भूमि पर अपना अकेला नाम दर्ज करवा लिया जिसमें अनावेदक ने बिना जांच किए अनावेदक को लाभ पहुंचाने के आशय से उसका पूरा सहयोग किया। काबिज भी रहे लेकिन सरकारी रिकार्ड में बंटवारा नहीं हो सका था। अमरीक द्वारा मुझे विश्वास दिलाया जाता रहा कि रिकार्ड में सबका शामिल शरीक नाम दर्ज करवाया लिया तथा इस संबंध में मुझे या मेरे भाई बहिन को कोई जानकारी नहीं दी यहां तक कि अमरीक के अन्य भाई बहिन का भी पैतृक संपत्ति में फौती दर्ज कर नाम दर्ज नहीं हुआ है। जबकि दशोदा की मृत्योपरांत फौती दर्ज कर सभी वारसानों का नाम दर्ज होना था किंतु अमरीक का अकेला नाम कैसे दर्ज किया गया जांच का विषय है। इस तरह अनावेदक का उक्त भूमि पर अकेला नाम दर्ज होने का अनुचित लाभ लेकर मेरे हक हिस्से की पैतृक भूमि खसरा नंबर 104/1 क/1 में से 0.700 हेक्टयर भूमि पंजीकृत विकयपत्र 12.08.2014 में अमरीक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की फोटो लगाकर फर्जी एवं गैरकानूनी तरीके से अनावेदक कुलदीप राय के नाम पर विक्रयपत्र पंजीकृत कराया गया है जिसमें उक्त अमरीक के छायाचित्र के स्थान पर अन्य व्यक्ति का छायाचित्र चस्पा है तथा जिससे स्पष्ट है कि उक्त पंजीकृत विकयपत्र फर्जी है तथा अनावेदक 2 व 3 द्वारा उक्त फर्जी विक्रय पत्र में अनावेदक क्र.1 का सहयोग किया गया है क्योंकि आज भी मौंके पर उक्त अनावेदक द्वारा कब्जा प्राप्त नहीं किया गया है।
Tuesday, June 13, 2023

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मिलीभगत से परिवारिक जमीन को कराया अपने नाम और कर दी प्लाटिंग पीडि़त ने की शिकायत अब भटक रहे है....
मिलीभगत से परिवारिक जमीन को कराया अपने नाम और कर दी प्लाटिंग पीडि़त ने की शिकायत अब भटक रहे है....
रेवांचल टाईम्स - मण्डला। पीडि़त राजू ठाकुर निवासी ग्राम बिंझिया ने बताया कि ग्राम पंचायत बिंझिया में पटवारी हल्का नंबर 28 राजस्व निरीक्षक मण्डल मण्डला 5/22 तहसील वा जिला मण्डला स्थित भूमि खसरा नंबर 104/1 क 1 रकवा 1.491 हेक्टयर भूमि खानदानी पैतृक सम्पत्ति है। जिस पर परिवारिक सदस्य और पूर्व में ग्राम पंचायत बिंझिया में पदस्थ रहे सचिव अमरीक ठाकुर ने गलत तरीके से सम्पूर्ण जमीन को अपने नाम कराकर जमीन को बेंचने की प्रक्रिया कर डाली लगभग 5 एकड़ जमीन में से ढाई एकड़ जमीन बेची जा चुकी है बेसकीमती जमीन को पटवारी की मिलीभगत से बेचा गया है। वारसानों के बिना नाम चढ़े और फौती कटे मिलीभगत से पंचायतीय सचिव ने अपने नाम जमीन करा ली और जमीन को लगातार बेंच रहा है और पीडि़त न्यायालय के चक्कर काट रहा है। जहां से अब तक न तो खसरे में सुधार हुआ है और न ही पीडि़त को स्टे मिल पाया है। वहीं सचिव पर पीडि़त को धमकी देने के आरोप भी लगे हैं। इस पूरे मामले में सचिव ने कारनामा जब किया जब वह ग्राम पंचायत बिझिंया में सैटिंग से पदस्थ हुआ और अपनी पदस्थापना के दौरान उसने जमीन को अपने नाम करा लिया। यहां तक की मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र में भी जालसाजी की गई है। पीडि़त ने बताया कि मेरे आजा जीवनलाल के पिता धनुवा उर्फ धनसिंह के नाम पर रिकार्ड में दर्ज रही है। अनावेदक अमरीक मेरा चचेरा भाई होने से उस पर मेरा विश्वास रहा अमरीक दशोदा की मृत्यु के समय ग्राम पंचायत बिझिया में सचिव के रूप में पदस्थ रहा और अपने प्रभाव के कारण अनावेदक तत्कालीन पटवारी अनिल श्रीवास के साथ सांठ गांठ कर मेरी खानदानी जमीन हड़पने के आशय से कूटरचित दस्तावेज एवं झूठी जानकारी देकर मेरी पैतृक भूमि पर अपना अकेला नाम दर्ज करवा लिया जिसमें अनावेदक ने बिना जांच किए अनावेदक को लाभ पहुंचाने के आशय से उसका पूरा सहयोग किया। काबिज भी रहे लेकिन सरकारी रिकार्ड में बंटवारा नहीं हो सका था। अमरीक द्वारा मुझे विश्वास दिलाया जाता रहा कि रिकार्ड में सबका शामिल शरीक नाम दर्ज करवाया लिया तथा इस संबंध में मुझे या मेरे भाई बहिन को कोई जानकारी नहीं दी यहां तक कि अमरीक के अन्य भाई बहिन का भी पैतृक संपत्ति में फौती दर्ज कर नाम दर्ज नहीं हुआ है। जबकि दशोदा की मृत्योपरांत फौती दर्ज कर सभी वारसानों का नाम दर्ज होना था किंतु अमरीक का अकेला नाम कैसे दर्ज किया गया जांच का विषय है। इस तरह अनावेदक का उक्त भूमि पर अकेला नाम दर्ज होने का अनुचित लाभ लेकर मेरे हक हिस्से की पैतृक भूमि खसरा नंबर 104/1 क/1 में से 0.700 हेक्टयर भूमि पंजीकृत विकयपत्र 12.08.2014 में अमरीक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की फोटो लगाकर फर्जी एवं गैरकानूनी तरीके से अनावेदक कुलदीप राय के नाम पर विक्रयपत्र पंजीकृत कराया गया है जिसमें उक्त अमरीक के छायाचित्र के स्थान पर अन्य व्यक्ति का छायाचित्र चस्पा है तथा जिससे स्पष्ट है कि उक्त पंजीकृत विकयपत्र फर्जी है तथा अनावेदक 2 व 3 द्वारा उक्त फर्जी विक्रय पत्र में अनावेदक क्र.1 का सहयोग किया गया है क्योंकि आज भी मौंके पर उक्त अनावेदक द्वारा कब्जा प्राप्त नहीं किया गया है।
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