दैनिक रेवांचल टाइम्स - मंडला धरती आबा बिरसा मुंडा की शहादत दिवस पर बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने चुटका परमाणु परियोजन को निरस्त करने एवं बरगी विस्थापितों की लंबित समस्याओं का समाधान करने को लेकर रैली निकालकर घंसौर एसडीएम के माध्यम से राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया।ज्ञापन में राज्यपाल को स्मरण कराया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 244 में यह व्यवस्था है की अनुसूचित क्षेत्रों में राज्यों की कार्यपालन शक्ति को पांचवी अनुसूचि के प्रावधानों (धारा-2) में शिथिल किया गया है।पांचवी अनुसूचि की धारा 5(1) राज्यपाल को विधायिका की शक्ति प्रदान करता है और यह शक्ति संविधान के किसी भी प्रावधानों से मुक्त है।जल जंगल और जमीन आदिवासियों की आजिविका का मुख्य साधन है।इसके खत्म होने से स्थानीय आदिवासी समुदाय का पलायन और भूखमरी बढेगा। विस्थापितों के पुनर्वास सबंधि तथ्य प्रस्तुत करते हुए लिखा गया है कि बरगी बांध से मंडला,सिवनी एवं जबलपुर जिले के 162 आदिवासी बाहुल्य गांव विस्थापित एवं प्रभावित हुआ है।उस समय प्रदेश में कोई पुनर्वास नीति नहीं होने के कारण विस्थापितों के लिए कोई पुनर्वास योजना नहीं बना था।विस्थापितों ने अपने पुनर्वास अधिकार के लिए लम्बा संघर्ष किया तब जाकर कुछ व्यवस्था बना है। परन्तु अभी भी कुछ मामले लंबित है।जैसे वन अधिकार कानून के अन्तर्गत व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकार से पात्र व्यक्ति वंचित है,अर्जित परन्तु डूब में नहीं आई भूमि की वापसी, जलाशय का जल स्तर 15 दिसंबर 418 मीटर करना,जलाशय पर मछुआरों का अधिकार आदि मुद्दे शामिल हैं।
चुटका परियोजना धूमामाल पंचायत के सामने मात्र लगभग 3 किलोमीटर पर प्रस्तावित है।जिसका 2009 से स्थानीय समुदाय विरोध कर रहा है और इस परियोजना के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भेजा गया है।परमाणु उर्जा स्वच्छ नहीं है।इसके विकिरण के खतरे सर्वविदित है।वहीं परमाणु संयंत्र से निकलने वाली रेडियोधर्मी कचरा का निस्तारण करने की सुरक्षित विधी विज्ञान के पास भी नहीं है।ऐसी दशा में 2.4 लाख वर्ष तक रेडियोधर्मी कचरा जैवविविधता को नुकसान पहुंचाता रहेगा।अध्ययन में यह बात भी सामने आया है कि परियोजना के आसपास निवास करने वाले लोंगों के बीच विकलांगता, कैंसर और महिलाओ में गर्भपात एवं बांझपन की मात्रा बढ गई है। परमाणु उर्जा संयत्रों के इतिहास की तीन भीषण दुर्घटनाओं थ्री माइल आइस लैंड (अमेरिका), चेर्नोबिल (युक्रेन) और फुकुशिमा (जापान) ने बार - बार हमें यह चेताया है कि यह एक ऐसी तकनीक है जिस पर इंसानी नियंत्रण नहीं है।
नर्मदा घाटी के फॉल्ट जोन और इंडियन प्लेट्स के लगातार मूवमेंट के कारण दरार बढने से भूकंप के खतरे को बढा दिया है।इसके अलावा नर्मदा घाटी में बने बांधो के कारण दरारों में पानी भर रहा है। चुटका परियोजना के निर्माण में भी भारी तीव्रता का विस्फोट किया जाएगा।जिसके कारण भूगर्भीय हलचल से इंकार नहीं किया जा सकता है।अतः राज्यपाल महोदय से अनुरोध किया गया है कि स्वच्छ और सस्ती उर्जा के विकल्प की दिशा में आगे बढ़ना ही प्रदेश के हित में होगा। उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर इस चुटका परमाणु संयंत्र को निरस्त किया जाए। दूसरा ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम भी दिया गया है।जिसमें उपरोक्त मुद्दों के अतिरिक्त केदारपुर क्षेत्र में लिफ्ट सिंचाई योजना के माध्यम से खेतों में पानी देने की घोषणा को पूरा करने और बखारी माल-उमरडीह- चरगांव तक 6 किलोमीटर सङक निर्माण की मांग किया गया है।ज्ञापन देने वाले में बहादुर सिंह धुर्वे सरपंच संघ अध्यक्ष,सरिता /परसराम जपपद अध्यक्ष,शिवानी/रामफल स्वरूप उईके जिला पंचायत सदस्य, मनिराम कोकङीया जनपद सदस्य, चंदु चतुर्वेदी जनपद सदस्य, असुन्ता/ राजेश मरावी सरपंच धूमामाल , मुन्ना लाल उईके उपसरपंच धूमामाल , संगीता/ हीरालाल करयाम सरपंच किंदरई, सविता / रामफल सरपंच केदारपुर, तीरथ सैयाम सरपंच चरगांव, बसोरी लाल बल्लारी सरपंच पुटरई, जयबती/ खेम सिंह सरयाम सरपंच पौंडी, लोकु प्रसाद मरकाम जनपद सदस्य पौंडी क्षेत्र,शीलचंद आयाम,पुन्नू तेकाम, पन्ना तेकाम, सुखलाल उईके,बसोरी लाल नेटी,चेन सिंह नेताम,सुखदेव पांडे,अजय सेन,प्रभू सल्लाम और बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के हजारी लाल झारिया एवं गुलाब झारिया शामिल थे।
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