

रेवांचल टाईम्स - मंडला, जिला आबकारी अधिकारी और कई सालों से अंगद के पैर की तरह जमें हुए अधिकारियों कर्मचारियों को मंडला को हटाने का इंतजार नागरिक लगातार शासन प्रषासन से कर रहे हैं। लेकिन इन्हें हटाया नहीं जा रहा है जिसकी वजह से मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में शासन प्रषासन के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। संपूर्ण मंडला जिले में शराब का अवैध कारोबार खुलेआम किया जा रहा है। इस आषय की खबरें लगातार प्रकाषित भी की जा रही है लेकिन शासन प्रषासन के कानों में जू तक नहीं रेंग रही है। इस जिले में जहां देखो वहां शराब का अवैध कारोबार किया जा रहा है। सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि मां नर्मदा नगरी मंडला में ही खुलेआम शराब बिक रही है जबकि नर्मदा तटों के दोंनो और पांच पांच किलोमीटर की दुकानों को बन्द करते हुए यहां पर शराब बिकना प्रतिबधित किया गया हैं। इसके अलावा संपूर्ण जिले में शराब अवैध तरीके से शासन प्रशासन की सांठ-गांठ से बिक रही है। ठेकेदार ग्रामीण क्षेत्रों में पेकारी के माध्यम से अपनी पकड़ मजबूत कर लिए हैं और नियमो को ताक में रखकर अपने गुर्गो से शराब को बिचवा रहे हैं। मध्यप्रदेश के मंडला जिले के मुख्यालय सहित तहसील नैनपुर के ग्राम पाठासिहोरा और डिठोरी में शराब का अवैध कारोबार किया जा रहा है। इसी तरह संपूर्ण जिले में छोटी दुकानों, जलपान गृहों, अण्डा दुकानों, किराना दुकानों व पान ठेलों में इसका कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। ठेकेदारों से मोबाईल के माध्यम से शराब की खरीद फरोक्त की जा रही है और शाम ढलते ही छोटी दुकानें ठेके में तब्दील हो जाती है। यह सब कुछ आबकारी अधिकारी की सांठ गांठ से चल रहा है। इन्हें लगातार हटाने की मांग की जा रही है। लेकिन इन्हें क्यों नहीं हटाया जा रहा है यह शोध का विषय हो गया है। नागरिकों की मांग है कि इन्हें तत्काल हटाया जाए और शराब का अवैध कारोबार तत्काल बंद किया जाए।
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