हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मासिक कालाष्टमी मनाई जाती है. यह दिन काल भैरव को समर्पित है और धार्मिक पुराणों के अनुसार काल भैरव भगवान शिव का ही रौद्र अवतार हैं. कहते हैं कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव का पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे संकट दूर होते हैं. इसके अलावा यह पूजा खास तौर पर सिद्धि प्राप्ति के लिए की जाती है. पंचांग के अनुसार आज यानि 12 मई को मासिक कालाष्टमी की पूजा की जाएगा. आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.
मासिक कालाष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 12 मई को सुबह 9 बजकर 6 मिनट पर शुरू हो गई है और इसका समापन अगले दिन यानि 13 मई को सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर होगा. पुराणों के अनुसार काल भैरव को पूजन रात्रि के समय किया जाता है और रात में पूजा करना शुभ माना गया है.
कालाष्टमी के पीछे की पौराणिक मान्यताएं
मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने पापियों का विनाश करने के लिए अपना रौद्र रूप धारण किया था. शिव के दो रूप बताए जाते हैं बटुक भैरव और काल भैरव. जहां बटुक भैरव सौमय हैं वही काल भैरव रौद्र रूप में हैं. मासिक कालाष्टमी को पूजा रात को कि जाती हैं इस दिन काल भैरव की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं रात को चंद्रमा को जल चढ़ाने के बाद ही यह व्रत पूरा माना जाता हैं.
मासिक कालाष्टमी की पूजा विधि
इस दिन भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए. कालाष्टमी के पावन दिन पर कुत्ते को भोजन कराना चाहिए. ऐसा करने से भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं भैरव बाबा का वाहन कुत्ता होता हैं इसलिए इस दिन कुत्ते को भोजन कराने से विशेष फल की प्राप्ति भक्तों को होती हैं. आमतौर पर किसी पूजा-पाठ में काले रंग के वस्त्र पहनना वर्जित होता है लेकिन कालाष्टमी के दिन काल भैरव का पूजन करते समय काले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. रेवांचल टाईम्स इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.
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