रेवांचल टाइम्स - मंडला आदिवासी जिला होने के साथ साथ वन संपदा और रेत का भंडारण भी भरपूर है पर इन प्राकृतिक के दुश्मनों को केवल अपना निजी स्वार्थ ही नजर आ रहा है और जिले के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों ने तो कसम खां रखी है कि हम किसी भी अबैध कारोबार की तरफ नही देखें गे और न ही कोई कार्यवाही करेगे जिस कारण आज जिले में माफ़ियाओं का राज चल रहा है और रेत माफियाओं की मर्जी के आगे प्रशासन भी नतमस्तक है। जहां चाहे वहां से अवैध रेत निकाल रहे हैं। दबंगई इतनी है कि गांव वालों के विरोध का असर भी अधिकारियों पर नहीं हो रहा हैं। सत्ता और विपक्ष के गठजोड़ से चल रहे रेत के गोरखधंधे में जिले की नदियां छलनी हो रही है। इस अवैध कारोबार का हिस्सा राजस्व, पुलिस, खनिज और फॉरेस्ट अधिकारियों तक पहुंच रहा है। यही कारण है कि अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के पहले ही अफसर खुद बता देते हंैं कि आज रेत नहीं निकालनी है। जिले में रेत के अवैध कारोबार का बड़ा गोरखधंधा है। फॉरेस्ट और राजस्व की जमीन का फायदा उठाकर छेत्र के रेत माफियाओं ने इस बार गर्रिया , छीवलाटोला और खमत्र के अलग-अलग क्षेत्रों को निशाना बनाया है। इस पूरे गोरखधंधे में स्थानीय अधिकारियों से लेकर खनिज निरीक्षकों की सीधी मिलीभगत है।
रेत के कारोबार में सत्ता और विपक्ष की 50-50 की भागीदारी
रेत के गोरखधंधे में सत्ता और विपक्ष की 50-50 प्रतिशत की भागीदारी है। इसी हिस्सेदारी के दम पर घुघरी के आसपास में भी रेत का अवैध कारोबार चल रहा है। स्थानीय नेताओं द्वारा खुलेआम ग्रामीणों को धमकाया जाता है, लेकिन उसके बाद भी कोई आवाज नहीं उठाता। अफसर भी नेताओं के दबाव और अवैध कारोबार में हिस्सेदारी के चलते कार्रवाई नहीं करते हैं।
बूढ़नेर नदी गर्रीया, छीवला टोला मै जेसीबी लगाकर निकाल रहे रेत।
छीवला टोला ग्राम के पास से बहने वाली बूढ़नेर नदी में तो जेसीबी लगाकर अवैध उत्खनन किया जाता है। ये इलाका फॉरेस्ट और राजस्व के बीच में हैं।
फॉरेस्ट और राजस्व विभाग हमेशा उलझे रहते है
खेतों से रास्ता बनाकर अवैध रेत निकाल रहे हैं। शिकायत के बाद भी अब तक अधिकारी यहां कार्रवाई करने नहीं पहुंचे हैं।
कृषि का पंजीयन, लेकिन रेत का परिवहन
आदिवासी अंचलों में रेत के अवैध कारोबार में लिप्त ज्यादातर ट्रेक्टर कृषि के लिए पंजीकृत हैं, लेकिन इसका उपयोग रेत के अवैध उत्खनन में होता है। अधिकारी भी कार्रवाई के दौरान कभी भी इस आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध नहीं करते हैंं। इसलिए चंद रुपयों का चालान काटकर ये वाहन फिर से अवैध उत्खनन में लग जाते हैं।
वही खनिज विभाग और उनके अधिकारी चैन की नींद सो रहे है और रेत माफ़ियाओं के द्वारा नदी नालों को खोखला किया जा रहा है या कहे कि जिम्मेदार विभाग केवल अबैध माफ़ियाओं से मिलने वाले हप्ता महीना के कारण मौन है वही जब इस संबद्ध में जिला खनिज अधिकारी से बात की जाती है तो उनका रटा रटाया जाबाब की कार्यालय में बल नही है स्टॉप की कमी है हम अकेले कहाँ कहाँ देखेंगे और जब जानकारी लगती है तो कार्यवाही तो करते है इसका मतलब ये हुआ कि जब इन्हें कोई नीद से जगाए और कार्यवाही करवाया जाए नही तो जैसे चल रहा है वैसा ही चलेगा क्योंकि इनके पास स्टाफ की कमी है या फिर कुछ है ये खनिज विभाग के जिम्मेदार ही बता पाऐगे क्योंकि जिले में शाम होते ही नदी नालों से अबैध रेत उत्तखन्न ओर परिवहन होना शुरू होता है जिसकी जानकारी स्थानीय थाना चौकी को भी होती है पर सवाल ये उठाता है कि आखिर कार्यवाही करेगा कौन जिला प्रशासन लाख बार आदेश देते रहे पर जब तक स्थानीय जिम्मेदार अधिकारी और खनिज विभाग नही चाहेगा कोई कार्यवाही नही हो सकती।
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