रेवांचल टाईम्स - मंडला नर्मदा घाटी में प्रस्तावित चुटका परमाणु संयंत्र और बसनिया बांध के निर्माण में भी भारी तीव्रता का विस्फोट किया जाएगा। जिसके कारण भूगर्भीय हलचल से इंकार नहीं किया जा सकता है। वही 1997 में आज के दिन जबलपुर में आए भूकंप के 26 साल बाद हमने हादसे से सबक नहीं लिया है।नर्मदा घाटी के फॉल्ट जोन और इंडियन प्लेट्स के लगातार मूवमेंट के कारण दरार बढने से भूकंप के खतरे को बढा दिया है।इसके अलावा नर्मदा घाटी में बने बांधो के कारण दरारों में पानी भर रहा है। इससे चट्टानों का संतुलन प्रभावित होने की आशंका है। बीते तीन साल में नर्मदा और सोन नदी घाटी जिलों में धरती के नीचे 37 बार भूकंप आ चुका है। नर्मदा घाटी में प्रस्तावित चुटका परमाणु संयंत्र और बसनिया बांध के निर्माण में भी भारी तीव्रता का विस्फोट किया जाएगा। जिसके कारण भूगर्भीय हलचल से इंकार नहीं किया जा सकता है। दूसरा खतरा ज्वालामुखी है।
अप्रेल 2011 में चुटका से 30 किलोमीटर दूर बरेला (मंडला - जबलपुर मार्ग) के पास सीता पहाड पर जमीन से विस्फोट होकर लावा निकलने की घटना हो चुका है।यह ज्वालामुखी प्रसुप्त अवस्था में है।अगर यह सक्रिय हो गया तो लगभग 40 से 50 किलोमीटर के दायरे में तबाही मचाएगा। वैज्ञानिको के अनुसार बरेला में 10 करोङ वर्ष पहले आए ज्वालामुखी लावा से निर्मित भू- भौतिकी नमूनों को देखा जा सकता है।क्षेत्र में होने वाले भू- परिवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि छह करोङ वर्ष पहले नर्मदा घाटी के क्षेत्र में समुद्र हुआ करता था।
राज कुमार सिन्हा
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ
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