रेवांचल टाईम्स - मंडला जिले के विकास खंड मवई में 4 मई 2023 दिवस गुरुवार को ईश्वर के 24 अवतारों में से एक नरसिंह अवतार का दिवस है। भगवान नरसिंह का प्रकट उत्सव वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाने की मान्यता प्रचलित है |नरसिंह अवतार में भगवान श्री हरि ने शरीर का आधा हिस्सा मनुष्य का और आधा हिस्सा सिंह का धारण किया था इस तरह से नर और सिंह के सम्मिलित देह होने के कारण इन्हें नरसिंह कहा गया। जिस देह को लेकर श्री हरि अद्भुत साहस अद्भुत बल और अद्भुत उत्साह लेकर प्रकट हुए थे |
यूं तो जब जब धरती पर पाप बढ़ता हैआसुरी शक्तियां बढ़ती है सत्य डगमगाता है असत्य हावी होता है 'दुष्टता पनपती है तब तब कहा जाताहै कि श्री हरि का अवतार होता है ।इस तथ्य को प्रकट करने के लिए महाकवि तुलसीदास ने रामायण में बड़ी सुंदर चौपाई लिखी है -जब जब होई धरम की हानि | बाढहि असुर अधम अभिमानी ॥ तब तब हरी- धरी विविध शरीरा । हरहि कृपा निधि सज्जन पीरा ॥ श्रीमद्भागवत महापुराण में स्वयं श्री कृष्ण ने अपने मुखारविंद से इसे और स्पष्ट रूप में यह कहा है -यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत 'अभ्युत्थानमsधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्कृताम् धर्मसंनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥ इस तरह से श्रीहरि कहते हैं जब जब धर्म का नाश होता है तब तब मैं प्रगट होता हूं जब-जब आसुरी शक्ति बढ़ती है तब तब मैं प्रगट होता हूं जब-जब निर्दोष सताया जाता है तब तब मैं आता हूं और दुष्टों का नाश करता हूं धर्म की स्थापना करता हूं इस तरह से हर युग में मैं प्रकट होता हूं ।
विष्णु पुराण के अनुसार आदिकाल सतयुग में एक हिरण कश्यप नाम का महाशक्तिशाली दैत्य हुआ ।जिसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या करकेऐसा वरदान पाया जिसके अनुसार वह ना रात में मर सकता था ना दिन में ना किसी पशु के हाथ ना मनुष्य के हाथ ना अस्त्र से ना शस्त्र से ना घर में ना बाहर में और ना धरती में और ना आकाश में |ब्रह्मा जी ने तपस्या के अनुसार तथास्तु कह दिया |उपरोक्त वरदान पाकर यह दानव स्वयं को भगवान मानने लगा अपने राज्य में ईश्वर की पूजा तो दूर नाम लेना भी राजद्रोह घोषित कर दिया |इनका एक पुत्र प्रहलाद जो बचपन से ही ईश्वर भक्त था राजद्रोह के अनुसार इन्हें भी मृत्युदंड देना आवश्यक हो गया |सभी दंड के उपाय देकर दैत्य हिरण कश्यप हार गया ।अंत में अपनी बहन होलिका से कहा कि इसे तुम जलाकर नष्ट कर दो |होलिका को ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था कि वह आग में नहीं जल सकती लेकिन अधर्म के लिए अपने वरदान का उपयोग करने वाली होलीका स्वयं जलकर नष्ट हो गई और प्रहलाद बच गया | दुष्ट हिरण कश्यप अपनी तलवार से प्रह्लाद को मारने की चेष्टा की कि तेरा भगवान यहां भी है क्या इस खंभे में भी है प्रह्लाद ने कहा हां पिताजी इस खंभे में भी है तो लो इस खंभे को ही नष्ट कर देता हूँ, जैसे ही दुष्ट ने खम्भे पर वार किया तत्क्षण श्री हरि नरसिंह अवतार में प्रकट हुए और आताताई दानव का नाश कर धर्म की स्थापना की |
धर्म ग्रंथों पर आधारित नरसिंह अवतार की यह कथाप्रस्तुत की गई है |तर्क वितर्क 'एवं मत मतांतर के लिए रेवांचल परिवार इसकी पुष्टि नहीं करता |
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