रेवांचल टाईम्स - आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में इन दिनों अबैध कारोबारियों का बोलबाला है जहाँ देखो वहाँ पर अबैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहे है बिना रोकटोक के सट्टा बाजार सुबह से लेकर देर रात तक लोगो 1 के 10 बनाने की ताक में लगे रहते है और शराब का कारोबार तो लोगो के लिए मुसीबत बन चुका है गली गली चोराहे चौराहे बिक रही है इसमें न आबकारी विभाग ध्यान दे रहा है और न पुलिस विभाग ठेकेदार मन माफ़िक कुचिया के माध्यम से बेच रहे है जो दुकान सरकार से मिली है उसकी बिक्री से 4 गुना कुचिया कमा कर दे रहे है तो जा कही तय मूल्य से अधिक रुपये में शराब बिक रही है तो कही ओनेपोनो दामों पर जिनको पकड़ने या कार्यवाही की जाबाब दारी दी है वो सब शराब ठेकेदार के लिफाफे के बोझ के नीचे दब चुके है उन्हें कुछ नजर नही आता है पर शराब ठेकेदार दिन में तीन टाइम दुकान से बोलरो भर भर के ढो रहे है। इसी प्रकार से अबैध रेत का कारोबार है जिले की बैध अबैध सब ठेकेदार की मन मर्जी पर निर्भर करता है जिन खदानों का ठेका हुआ उनका तो ठीक है पर जिनका नही हुआ उनमें में बेहताशा रेत निकली जा रही हैं और जिम्मेदार खनिज विभाग के अधिकारियों ने तो कसम खा ली है कि हम कभी भी ईमानदारी से कार्य नही करेगे केवल ठेकेदार के लिफ़ाफ़े का वजन में ध्यान देंगे कि कौन कब कब लिफाफे का बजन बढ़ा रहा है और खनिज विभाग ने तो रेत माफियाओं के सामने घुटने टेक ही दिए जब भी उनसे अबैध रेत की जानकारी लो तो उनका रटा रटा जाबाब की विभाग के कर्मचारियों की कमी है कहा कहा देखें सही भी की जब सब ऑफिस में बैठे बैठे ही पता चल जाता है तो फील्ड में जाने की क्या आवश्कता है। वही एक अवैध रेत निकालने वाला रेत माफिया ने नाम न छापने के एवज में बतलाया कि जो खदान की नीलामी हुई वह सब ठीक पर जो खदानों का नीलामी नही हुई उनसे भी रेत निकालने की मौन सहमति खनिज विभाग और पुलिस विभाग ने दे रखी है जब ज्यादा पेपर बाजी या फिर ऊपर से ज्यादा प्रेशर रहता है तो छोटी मोटी कार्यवाही दोनों विभाग अपना पलड़ा झाड़ लेते है और सब चुप भी हो जाते है और जो कार्यवाही करते उन्हें पहले ही बता देते है कि प्रेशर बहुत सहयोग करो या फिर उन गाडियों कार्यवाही कर देते है जो एक ट्रप का पैसे देते है और दो तीन ट्रप ढुल लेते है कौन कौन सी खदानों से किसकी गाड़ी कब लगती है ये खनिज के अधिकारियों को पता होता है और संबधित थाना के जो रेत का काम देखते है और आज कल सबकी जरूरत पैसा बन गया है सबको पैसा जाता है एक छोटे से छोटे नेता और विधायक हो सासद हो सबका महीना हप्ता बंधा हुआ इसलिये कोई कुछ नही कहता बल्कि ये की कुछ विधायक और नेता खुद इस व्यापार में लिप्त है उनके ट्रेक्टर ट्रक चल रहे उन्हें जितना पैसे राजनीतिक करके नही मिलता उतना वो अवैध कारोबार वालो को सहयोग करके या फिर शामिल होकर कमा रहे है बहुत से ऐसे छुट भैया नेता है जो केवल दारू, सट्टा ,और रेत का काम ही कर रहे और नाम के लिए किसी न किसी पार्टी की सदस्यता ले ली है और बेख़ौफ़ होकर यही कार्य कर रहे है और अगर कोई पुलिस वाला ने पकड़ भी लिया तो सीधे माननीय का कॉल आ जाता है कुछ माननीय के डरके कारण भी कार्यवाही नही की जा रही और देश के विकास पुरुष यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने एक नारा दे ही दिया सबका साथ सबका विकास शायद जनप्रतिनिधि ओर नेता लोग इन नारा का सही उपयोग कर रहे है जो दिन दुगनी ओर रात चौगनी तरक्की कर रहे है।
वही जिले का ऐसा क्यों गाँव नगर या जनपद इन अबैध कारोबार से अछूता हो सभी विकास खण्डो में मंडला, बिछिया, निवास, वीजा दांडी, नैनपुर, नारायणगंज और मवई जैसे विकास खण्ड इन अवैध कारोबारीयो से अछूता नही रहा बेधड़क सब कारोबार चल रहे है।
वही जिले में नव पदस्थापना कलेक्टर महोदया और पुलिस अधीक्षक महोदय से लोगो ने एक नई आस लगाई थी ये मंडला जिले की जनता के लिए कुछ नया करगे ओर ज्यादा कुछ तो नही कम से कम जगह जगह बिक रही अबैध शराब, घर बर्बाद करने वाला सट्टा नदियों को खोखला करने वाले रेत चोरों पर कुछ कार्यवाही करेंगे पर लोगो की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है जो नये कलेक्टर और पुलिस कप्तान से आस थी वह नजर नही आ रहा कि कुछ कचरों की साफ सफाई की जाएगी बल्कि जनचर्चा ये की नये अधिकारियों के पदस्थापना के बाद और जोरो से अबैध कारोबार संचलित हो रहे है।
नगर में इन दिनों सट्टे का अवैध कारोबार जोर शोर से चल रहा है। एक रुपए को अस्सी रुपया बनाने के चक्कर में खासकर युवा वर्ग अधिक बर्बाद हो रहे हैं। सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरी ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने सट्टे नंबर वाले चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं। इसका गुणा भाग कर ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह से फंस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गंवा रहा है।
नगर के कई स्थानों पर लिखी जा रही सट्टा पट्टी
नगर में चांदनी चौक (बड़ चौराहा) मंगल भवन, बस स्टैंड, नेशनल हाइवे पर बाजार, सब्जी मार्केट और चौक चौराहे में स्थित कई जनरल स्टोर्स, नाई व पान दुकानों में सट्टे लिखवाने वालों भीड़ देखी जा सकती है। दलालों के चक्रव्यूह में लोग इस कदर फंस चुके हैं की इससे उबर नहींं पा रहे हैं। नगर में एक दो नही बल्कि चार पांच दलाल लंबे समय से सट्टा संचालित कर रहे हैं। पुलिस और दलालों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार नगर सहित आस पास के अंचल में पुरी तरह से चरम पर है। दलालों ने भी गांव व नगर में अपना-अपना जोन बंटा हुआ है। एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता है।
राजनैतिक पहुंच और प्रशासन की मिलीभगत से कारोबार तरक्की में जिला प्रशासन मौन
वही जानकारी के अनुसार राजनैतिक पहुंच और पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार को बाकायदा लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुले आम शहर में संचालित हो रहा है। पुलिस और दलालों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये दलाल अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक-एक प्रकरण बनवा देते हैं। ऊपर बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है। जबकि वास्तव में ये सांठगांठ का एक पहलू होता है। सवाल ये है कि जब पुलिस हर महीने सटोरियों के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर उनसे पूछताछ कर सट्टा लिखने वाले दलालों तक क्यों नहीं पहुंच पाती।
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
प्रशासन नाममात्र के लिए करती है सटोरियों पर कार्यवाही कहीं राजनैतिक दवाब के चलते इन सटोरियों पर कारवाही करने से प्रशासन पीछे हटता नजर आ रहा है ।
No comments:
Post a Comment