रेवांचल टाईम्स - मण्डला जिला प्रोटोकॉल विभाग में रिश्वत मांगने का आडियो का मामला जिला कलेक्टर के संज्ञान में होने के बावजूद भी दोषियों के खिलाफ अभी तक कार्यवाही नहीं हुई।
जिला प्रोटोकॉल विभाग प्रभारी मदन देशमुख सहायक ग्रेड 02 द्वारा बिलों के भुगतान को लेकर रिश्वत मांगने का आडियो सामने आया है साथ ही मदन देशमुख द्वारा शासन को वित्तीय छति पहुंचाने हेतु शासकीय राशि का अपने निजी बैंक खाते में आहरण, प्रभारी मंत्री श्री बिसाहू लाल के नाम पर फर्जी भुगतान, फर्जी वाहनों के नाम एवं नम्बर पर फर्जी बिल लगाकर भुगतान, मामले के उजागर होते ही साक्ष्य मिटाने को लेकर शासकीय दस्तावेजों को गायब करना, मुख्यमंत्री राहत कोष राशि का गबन, शासकीय डीजल पर्ची एवं शासकीय वाहनों का निजी उपयोग कर अधिकारियों का दौरा बताकर फर्जी भुगतान, एक ही वाहन के एक ही दिनांक पर दो-दो विभागों से शासकीय भुगतान, नेता मंत्रियों के नाम पर विश्राम गृह, कान्हा, खाद्य सामग्री उपयोग, वाहनों के उपयोग दर्शाते हुए फर्जी भुगतान जैसे गंभीर अपराध एवं भ्रष्टाचार किया गया है। मामले की शिकायत मामले के समस्त साक्ष्य एवं दस्तावेज जिला प्रोटोकॉल अधिकारी अपर कलेक्टर श्रीमती मीना मसराम एवं मौजूद जांच दल के समक्ष आवेदक एवं शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया जा चुका है,जिसमें रिश्वत मांगने की आडियो का पेन ड्राइव, बैंक खाते का स्टेटमेंट, फर्जी भुगतान से संबंधित चहेतों के खाते में किए गए भुगतान बाउचर, प्रभारी मंत्री बिसाहू लाल सिंह के नाम पर विश्राम गृह एवं वाहन तथा अन्य व्यवस्थाओं के बिल बाउचरों का लेखा-जोखा, मदन देशमुख द्वारा किए शासकीय दस्तावेजों को मिटाने के साक्ष्य, वाहनों एवं अन्य फर्जी भुगतान करने के बिल बाउचरों को प्रस्तुत किया जा चुका है,जिसे अपर कलेक्टर श्रीमती मसराम, शिकायकर्ता एवं उपस्थित समस्त जांच दलों की मौजूदगी में समस्त साक्ष्य डबल लाॅक में सुरक्षित रख दिया गया है। जहां मामले को लेकर दोषियों के खिलाफ एक-एक साक्ष्य प्रस्तुत किए जा चुके हैं बावजूद इसके जिम्मेदारों ने जांच के नाम की चादर पहनाकर दोषियों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। जहां आवेदक एवं शिकायतकर्ता द्वारा आला-अधिकारियों से मामले की कार्यवाही को लेकर पूछा जाता है तो अधिकारियों द्वारा जांच के नाम की लाॅली पाॅप थमा दी जाती है।
पहले भी जांच के नाम पर दोषियों को संरक्षित कर मामले को रफा-दफा किया गया
जिला प्रोटोकॉल विभाग प्रभारी मदन देशमुख सहायक ग्रेड 02 पहले भी शासन-प्रशासन की योजनांतर्गत मुख्यमंत्री राहत कोष राशि के गबन एवं भ्रष्टाचार में दोषी पाए गए हैं परन्तु जांच अधिकारियों की मनमानी रवैया और उदासीनता के चलते दोषियों को संरक्षित कर दिया जाता है वहीं मदन देशमुख द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि "मैं जो रुपए लेता हूं वह ऊपर तक देना पड़ता है,जिस दिन मैं फंसुंगा सबका नाम सामने आ जाएगा और सबकी पोल खोल दुंगा" इससे यह स्पष्ट होता है कि रिश्वत मांगने और भ्रष्टाचार मामले के दोषी मदन देशमुख को जांच अधिकारियों के साथ-साथ आला-अधिकारियों द्वारा संरक्षित करने की योजना बनाई जा रही है वहीं वहीं दूसरी तरफ मामले पर जांच की मुहर लगाकर मामले को रफा-दफा करने की रणनीति तैयार की जा रही है। जिला प्रोटोकॉल प्रभारी मदन देशमुख द्वारा जहां रिश्वत मांगने एवं भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत प्रस्तुत किया जा चुका परन्तु जिम्मेदारों द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, जबकि जिला शिक्षा केन्द्र के डीपीसी बीपी ठाकुर पर रिश्वत मांगने की हवा चलते हैं ही जांच के पहले कार्यवाही किया गया था, इस तरह जिले में भ्रष्टाचारीयों के खिलाफ मुंह देखा व्यवहार ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। मुख्यमंत्री राहत कोष राशि में भी मदन देशमुख द्वारा किए गए फर्जी भुगतान एवं शासकीय राशि आहरण के पुख्ता सबूत अपर कलेक्टर श्रीमती मीना मसराम एवं जिला कलेक्टर को सौंपा गया था परन्तु उस वक्त भी जांच के नाम की लाॅली पाॅप थमा कर मामले को जांच अधिकारियों एवं जिम्मेदारों द्वारा रफा-दफा कर जानबूझकर दोषियों को छोड़ दिया गया था।इस तरह जिम्मेदारों द्वारा दोषियों को संरक्षण प्रदान से यह स्पष्ट होता है कि मामले से जुड़े सभी आकाओं को यह डर बना हुआ है कि मामले की पोल खुलने और नुमाइंदों की सच्चाई सामने आते ही मामले में शामिल आकाओं की पोल भी खुल जाएगी।जहां बिल बाऊचरो के भुगतान को लेकर जिला प्रोटोकॉल प्रभारी मदन देशमुख सहायक ग्रेड 02 द्वारा अपने मुंह से काॅल रिकाॅर्डिंग में यह स्पष्ट कहा गया है कि भुगतान को लेकर कमीशन ऊपर भी देना पड़ता है। वहीं आकाओं द्वारा मामले को जांच के नाम पर ठण्डे बस्ते में डालकर मामले को रफा-दफा करने की योजना तैयार की जा रही है।
राज्य स्तरीय दल द्वारा मामले की होगी जांच
वही जिला प्रोटोकॉल विभाग में हुए इस रिश्वत एवं भ्रष्टाचार मामले की शिकायत किए महिनों बीत गए परन्तु आला-अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचारीयों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही नहीं किया गया, जबकि मामले से जुड़े समस्त दस्तावेज एवं साक्ष्य जिम्मेदारों को सूचीवार सौंपा जा चुका है और साक्ष्य तथा दस्तावेज सौंपने की पावती भी जिम्मेदारों द्वारा आवेदक एवं शिकायतकर्ता को दिया गया है।मामले की कार्यवाही को लेकर अपर कलेक्टर से पूछा गया तो उन्होंने जांच की बात कहकर आवेदक को चलता कर दिया। इसके पहले भी मुख्यमंत्री राहत कोष राशि गबन में अपर कलेक्टर श्रीमती मीना मसराम को जांच अधिकारी बनाया गया परन्तु अभी तक जांच प्रतिवेदन का कोई पता नहीं।इस बार उक्त मामले में की जा रही लापरवाही को देखते हुए शिकायतकर्ता द्वारा मध्यप्रदेश सचिवालय भोपाल में भ्रष्टाचारीयों के समस्त साक्ष्य एवं दस्तावेजों का चिठ्ठा-पर्चा सौंपा जा चुका है।जहां संरक्षकों द्वारा दोषियों को बचाने की जो रणनीति तैयार किया जा रहा है वह अब ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगी, राजधानी भोपाल सचिवालय से प्राप्त पत्र के अनुसार मामले को राज्य स्तरीय जांच दल गठित किया जा चुका है जो मामले की जांच कर रही है।वहीं शासन-प्रशासन के जिम्मेदारों जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार जिला जांच दल द्वारा किए गए जांच प्रतिवेदन का राज्य स्तरीय दल इंतजार कर रही है।आवेदक द्वारा राज्य स्तरीय जांच अधिकारियों से बात की गई उन्होंने बताया कि मामले की जांच हम अपने स्तर से कर रहे हैं वहीं हमें जिले से तैयार किए गए जांच प्रतिवेदन भी चाहिए होगा ताकि सच्चाई सामने आ सके कि इस मामले में लिप्त अधिकारी-कर्मचारी कौन-कौन है, मामले की जांच को लेकर राज्य स्तरीय दल द्वारा कुछ गोपनीयता को बनाए रखने की बात कही गई है इसलिए मामले से जुड़े कुछ रोचक तथ्य एवं उनका नाम एवं कथन का प्रकाशन नहीं किया जा सकता है।
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