रेवांचल टाईम्स - आदिवासी बाहुल्य जिलों में सरकारी धन और सरकारी योजनाओं में जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी कैसे बन्दबाट करते है ये ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे पुलिया सड़क नाली कार्यो को देखे जो बिना बेस के ही लीपापोती कर सरकारी राशि मे बन्दबाट कर प्रसाद जैसे बाट लिया जाता है और बेचारे ग्रामीण शिकायतें कर कर के थक कर चुप हो जाते है और करे भी तो क्या जिन्हें जांच करनीं है वो भी प्रसाद लेकर जाँच को निराधार बता कर कचरे में डाल दिया जाता हैं।
वही एक ताजा मामला ग्राम पंचायत कौडिया का मामला बिना बेस डालें की बना दिया गया पुलिया
डिंडौरी जिले के जनपद पंचायत बजाग अंतर्गत ग्राम पंचायत कौडिया के नर्मदा रोड पर ग्राम पंचायत द्वारा आठ लाख चौंतीस हजार कुछ रुपये से पुलिया का निर्माण कराया गया है जोकि बिल्कुल ही गुणवत्ता हीन बनाया गया ग्रामीणों द्वारा एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी बजाग के द्वारा के द्वारा जिला पंचायत को जांच के लिए लेटर लिखा इसकी जांच जिला स्तरीय होना चाहिए फिर भी अभी तक कोई जांच नहीं हुई जबकि इस पुलिया की खबर लगातार चैनलों में और पेपरों में प्रकाशित हो रही है लगभग 3 महीना हो चुका है फिर भी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है सांठगांठ करके इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है
और तो और ग्रामीणों का कहना है की यह पुलिया बहुत ही घटिया तरह से निर्माण कराया गया है और ना तो इसे चैक करने कभी इंजीनियर आए हैं और ना तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी आए हैं और ग्रामीणों का कहना है कि पुलिया का निर्माण कार्य एक बार होता है वह अच्छी तरह से होना चाहिए इसमें से गुजर कर छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाते हैं बरसात के समय में पूरे रोड में कीचड़ हो जाता है जिससे बच्चों को आने जाने में बहुत ही तकलीफ का सामना करना पड़ता है इनका कहना है कि कभी चैक करने ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्य पर आते ही नहीं है।
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