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Sunday, April 9, 2023

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी मध्य प्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता राधेश्याम काकोडिया ने जानकारी देते हुए कहा की पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने मंडला दौरे के दौरान



दैनिक रेवांचल टाइम्स -  मंडला गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को जो अड़े हाथो लेकर बयान दिया की  गोंडवाना गणतंत्र पार्टी हमसे क्या चाहती है , बताए तो गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सत्ता में कभी नही बैठ पाएगी बस ये भाजपा को जितने का काम कर रही है। गोंडवाना पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने बताया की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बढ़ते जन सैलाब को देखकर कांग्रेस के पूर्व मुख्य मंत्री बौखला उठे है, और हम मध्यप्रदेश की जनता को बताना चाहते है की कांग्रेस ने शुरुआत से ही आदिवासियों के सामने हमेसा झूट परोसने का काम किया है ये क्या देसकते है गोंडवाना को जब भारत देश आजाद हो रहा था माउंटबेटन के द्वारा जुलाई 1947 में भारत के सभी 565 रियासतों के राजाओं के साथ में बैठक की जिसमें गोंडवाना शासक की 252 रियासतें के राजा शामिल हुए  तत्कालीन बैठक में जिन्ना के द्वारा मुस्लिम राष्ट्र की मांग करते हुए पाकिस्तान का निर्माण किया गया उक्त बैठक में गोंडवाना शासक के राजाओं ने गोंडवाना राष्ट्र की मांग की जिसमें गांधीजी ने खड़े होकर माउंटबेटन के समक्ष यह बात रखी यह भी राष्ट्र संचालन करने में आदिवासी गोंडवाना शासक परिपूर्ण नहीं है क्योंकि आपके शासन काल में यह सभी राजा-महाराजा अपने राज्यपाट से दूर होते कर जंगल पहाड़ में चले गए थे इसलिए इन्हें 10 वर्ष का आरक्षण देकर शिक्षित कर उन्हें उनका राजपाट दे दिया जाएगा उक्त समय में 14 राज्यों का गठन किया गया था जिसमें मध्य सेंट्रल और बरार राज्य बनाया गया और 15 अगस्त 1947 के बाद आदिवासियों को शिक्षित करने के लिए कमेटी का गठन किया गया जिसमे जिस क्षेत्र में आदिवासियों की बहुलता थी उस क्षेत्र से पंडित रविशंकर शुक्ल को चुना गया और अंतरिम कमेटी बनाकर संविधान का निर्माण किया गया और 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाकर  भाषाई आधार पे 1956 में 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया गया  जिन क्षेत्रों में आदिवासियों की बहुलता रही उनको काग्रेस की सरकार ने टुकड़े टुकड़े करदिए जैसे मराठी बोलने वालो को महाराष्ट्र बना, जिसमे बरार जी बिदरबा था जहा आदिवासियों की बोली भाषा थी उसे महाराष्ट्र में मिला दिया और कुछ आदिवासियों का हिस्सा गुजरात,राजस्थान,बिहार,उत्तरप्रदेश,उड़ीसा, जैसे क्षेत्रों में गोंडी भाषा बोलने वालो को बाट दिया गया, और  सेंट्रल प्रोविजन और बरार जिसकी राजधानी नागपुर थी जिसे कांग्रेस ने चालबाजी कर बाट दिया, हमारे आदिवासी नेता जयपाल सिंह मूंथा राजा प्रविणचंद भंजदेव, मंगरू सिंह उइके, आदि नेताओ ने गोंडवाना राज्य की मांग करते रहे 1996 में पेनवासी दादा हीरा सिंह मरकाम जी के नेतृत्व में  भोपाल के न्यू मार्केट के जयस्तभ में बैठकर गोंडवाना राज्य की मांग धरना दिए रामचंद्र पत्ते, नर्मदा उइके, कलावती श्याम, शरद शीधर्त, मनमोहन शाह बट्टी ये सभी पेनवासी होगाए जो अभी जिंदा है राजाबलि मरावी, गुलजार सिंह मरकाम , और उनका नेतृत्व करने वाले अमान सिंह पोर्ते जी जो वर्तमान में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष है इन्होंने तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी ही थे  और केंद्र में भाजपा के  प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपाई ये दोनो कांग्रेस और भाजपा भाई भाई मिलकर आदिवासियों की मांग जो गुलाम भारत के समय गोंडवाना राष्ट्र की मांग थी जो  गोंडवाना राज्य में सिमट गई औरटी यही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के क्रांतिकारियों के द्वारा गोंडवाना राज्य की मांग की थी जिसे पुनः चलवाजी करते हुए मध्यप्रदेश में आदिवासी बहुलता को टुकड़े टुकड़े कर 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़, झारखंड, बनाकर आदिवासियों की मांग के गोंडवाना राज्य गोंडी भाषा गोंडी संस्कृति को  पुनः दवादिया गया 2003 के विधान सभा चुनाव में गिंदवाना गणतंत्र पार्टी ने कांग्रेस के विधायकों पछाड़ते हुए मध्यप्रदेश में 3 विधायक बनाएं, छत्तीसगढ़ में दादा हीरा सिंह मरकाम जीते, और महाराष्ट्र से एक विधायक जीता कर लाए,  जिसपर दादा मरकाम की पीली क्रांति और कुलाहड़ी निसान ने विधान सभा सदन, और दिल्ली के जंतर मंतर में गोंडवाना ने आंदोलन 5 से 7 लाख लोगों आंदोलन किया और शरद यादव जी ने लोकसभा में वन अधिकार अधिनिया 2005 के तहत पट्टा निर्माण कराकर 2006 में पारित हुए और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी मध्यप्रदेश में बड़ी तेजी के साथ सत्ता की ओर बढ़ रही थी तो कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार और भाजपा ने साजिश कर 2008 के चुनाव से पहले विधानसभाओं का परिसीमन करडिया गया इस्तारह से आदिवासी बहुलता में रहने वाले सभी मतदाताओं के भविष्य के साथ कांग्रेस भाजपा ने कूटनीति कर गोंगपा को उभारने नहीं दिया लेकिन वर्तमान में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 2023 के चुनाव में मध्यप्रदेश के मतदाता सकल्पित है की अब सत्ता का परिवर्तन होना चाहिए हमने 75 वर्षों से दोनो राजनैतिक दलों को जिताते आय हैं, जिन्होंने आदिवासियों को आज तक 75- 80% तक उनके बच्चो को शिक्षित नही किया क्या इसका कारण आप देश की जनता जानती है क्या जिस दिन देश के आजादी के पूर्व जब संविधान भी बना था तब एसटी,एससी,ओबीसी,मिनोर्टी, नही हुआ करते थे ये सभी इस देश के मूलनिवासी थे मूल मालिक थे उनका इस देश में बराबर का अधिकार था लेकिन कांग्रेस के राजनैतिक सद्यंत्र के चलते हम आपस में बात दिया गया आज है 3000 से अधिक जातियों में और उसमे भी 25000 अप जातियों में बाट दिया गया। और जिसे 75 वर्षों में भी शिक्षित नही किया गया और जो आरक्षण 10 वर्षों के लिए किया गया था जिसमें यह उल्लेखित था की ये आरक्षण 10 वर्षों के लिए दिया जा रहा है जिसके तहत आरक्षण के माध्यम से उनको शिक्षित कर दिया जायेगा और समानता में लाकर इस देश की जिम्मेदारी सोपदी जाएगी लेकिन वो इन्होंने सत्ता के लालच के कारण नहीं किया गया । इस बार मध्यप्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सहयोग के बिना मध्यप्रदेश में सरकार बनाना और सरकार चलाना आसान नही होगा । और माननीय पूर्व मुख्यमंत्री महोदय जी वर्तमान में राज्य सभा सांसद है आप क्या आपने सदन में 8 वी अनुसूची में गोंडी भाषा लिपि को मान्यता की बात किए क्या, शिक्षा के क्षेत्र में आदिवासियों गोंडवाना राजाओं के इतिहास को सिलेबस में जोड़ने की बात किए क्या, हमारी मांग थी जल-जंगल-जमीन से जो खनिज सम्पदा में 25-35% प्रतिशत का मालिकाना हक अधिकार दिलाए क्या, और हमारे राजा महाराजाओं की धरोहर गढ़,किला,महल को सुरक्षित कराया क्या, और कांग्रेस की सरकार इंद्रा गांधी ने 1976 में सीलिंग एक्ट के माध्यम से आदिवासी राजाओं के पास जो हजारों एकड़ जमीन थी उसे जप्त किया गया साथ आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासी और नही सरकार खरीद सकती है उस अधिनियम के तहत बिसरा मुंडा के 1898 में बने भूमि संपादन अधिनियम के रहते हुए भी सारे विकास के काम चाहे बांध हो, उद्योग हो, या सरकार की कोई भी योजना हो उपयोग के लिए आदिवासियों की जल जंगल जमीन पर ही अतिक्रमण किया गया है और किया जा रहा है। हमेशा से ये दोनो राजनैतिक दल कांग्रेस-भाजपा या तो सत्ता में रहे या तो विपक्ष में रहे और दोनो की जिम्मे वारी थी की आदिवासियों का विकास हो संविधान का निर्वहन हो देश संविधान के अनुसार आगे बड़े लेकिन नही हुआ इस लिए इस बार मध्यप्रदेश में गोंडवाना की सरकार बनाने में मतदाता संकल्पित है और प्रदेश में सरकार बनेगी ऐसा तय है ।

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