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Monday, April 24, 2023

प्रोटोकॉल विभाग कब तक उढायेगी जांच की चादर साक्ष्य मिलने के बाद भी भ्रष्टाचारीयों को क्यों दिया जा रहा संरक्षण





रेवांचल टाईम्स - आदिवासी बाहुल्य मण्डला जिले में भ्रष्टाचार की गति तेज होने का मुख्य कारण आला-अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचारीयों को जांच के नाम पर संरक्षण किया जाना है। जहां एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार, अवैध कारोबार, अपराध को लेकर दोषियों को तत्काल निलंबित करने और सजा देने की बड़ी-बडी़ बातें करके मासूम जनता को लुभाने और अपना वोट बैंक तैयार करने की रणनीति सजा रही है तो वहीं जिम्मेदारों द्वारा जानबूझकर भ्रष्टाचारीयों को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है कभी जांच के नाम पर, तो कभी साक्ष्य प्रस्तुत करने के नाम पर, कभी स्थानांतरण के नाम पर, कभी नोटिस और कभी स्पष्टीकरण के नाम पर लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा इस किए जा रहे मुंह देखा व्यवहार करने से देश को खोखला करने की रणनीति तैयार किया जा रहा है। जिला प्रोटोकॉल विभाग मण्डला में प्रोटोकॉल प्रभारी मदन देशमुख सहायक ग्रेड 02 द्वारा रिश्वत मांगने एवं करोड़ों का गबन मामले के सम्पूर्ण साक्ष्य अपर कलेक्टर श्रीमती मीना मसराम एवं उनकी जांच दल को प्रस्तुत किया जा चुका है जिसमें जांच दल एवं अपर कलेक्टर श्रीमती मसराम द्वारा मदन देशमुख द्वारा रिश्वत मांगने एवं शासकीय राशि अपने निजी बैंक खाते में आहरण एवं गबन करने के पुख्ता सबूत की जांच की गई है परन्तु जिम्मेदारों द्वारा जानबूझकर दोषियों को बचाने को लेकर यह जांच रुपी खेल खेला जा रहा है ताकि जांच में जुटे आला-अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचारीयों से मामले को मनचाहे मोटी रकम बसूल किया जा सके और जांच का आश्वासन दे-देकर कुछ समय बाद मामले को रफा-दफा किया जा सके।

मदन देशमुख रिश्वत एवं गबन मामले के मुख्य आरोपी हैं

जिला प्रोटोकॉल विभाग में प्रोटोकॉल प्रभारी मदन देशमुख सहायक ग्रेड 02 द्वारा रिश्वत मांगने एवं शासकीय राशि आहरण तथा गबन करने के मामले को मदन देशमुख की काॅल रिकाॅर्डिंग, बैंक खाता स्टेटमेंट, फर्जी तरीके से किए भुगतान के बिल - बाऊचर, शासकीय डीजल पर्ची के निजोपयोग से संबंधित साक्ष्य, विश्राम गृह के फर्जी भुगतान जैसे दर्जनों साक्ष्य कार्यालय कलेक्टर मण्डला के पत्र क्रमांक/शिका./2023/55 मण्डला दिनांक 22/02/2023 के तहत 28/02/2023 को अपर कलेक्टर श्रीमती मीना मसराम को सौंपा जा चुका है जिसे सील-चपरा कर अपर कलेक्टर द्वारा जांच की चादर पहनाकर डबल लाॅक में रखकर जांच की फाइल को टेबल-टू टेबल कभी स्वास्थ्य विभाग के नाम पर,कभी पुलिस विभाग रक्षित केन्द्र के नाम पर,कभी सीएम हेल्पलाइन पर गलत निराकरण दिखाकर,कभी बैठकों और दोरों की आड़ में मामले को घुमाया जा रहा है, नतीजा जिले में भ्रष्टाचार का स्तर दिनों -दिन बढ़ता जा रहा है।

जिला प्रोटोकॉल विभाग में इस शर्मशार कृत्य एवं रिश्वत तथा गबन-घोटाले का मामला जिले से लेकर प्रदेश तक सुर्खियों में बना हुआ है। प्रोटोकॉल विभाग में जिले के प्रभारी मंत्री के नाम शासकीय राशि आहरण करने का मामला लगभग एक वर्ष बीतने को आया परन्तु जांच अधिकारियों द्वारा साक्ष्य मिलने के बावजूद दोषियों को सजा नहीं दिया गया। वहीं जिम्मेदारों ने मामले में फंसे स्वयं के कलम को बचाने को लेकर एक ही बिल-बाऊचरों को तीन-तीन बार सेंग्शन किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग भी भ्रष्टाचारीयों के साथ है शामिल
जिला प्रोटोकॉल विभाग द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और रिश्वत मामले में स्वास्थ्य विभाग भी लिप्त पाया गया है। जिला प्रोटोकॉल प्रभारी मदन देशमुख द्वारा जिले के प्रभारी मंत्री बिसाहू लाल सिंह के नाम से किए गए फर्जी भुगतान मामले का सूचना का अधिकार अधिनियम से प्राप्त जानकारी में खुलासा किया गया है जिसमें जो वाहन सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारायणगंज में चलाया जा रहा है और जिसके भुगतान सीएचसी नारायणगंज से किया गया है उसी वाहन का और उसी दिन-दिनांक में प्रोटोकॉल विभाग द्वारा भी भुगतान किया गया है। अग्रवाल टूर एंड ट्रेवल्स के नाम पर किए गए इस फर्जी भुगतान का खुलासा पहले भी किया गया है।उक्त फर्म का मालिक केन्द्रीय मंत्री का प्रतिनिधि है (सांसद प्रतिनिधि) इस तरह प्रोटोकॉल विभाग द्वारा किए गए गबन मामले में जहां एक तरफ प्रभारी मंत्री के नाम पर फर्जी भुगतान वहीं दूसरी तरफ सांसद प्रतिनिधि के नाम पर फर्जी भुगतान, वहीं मामले पर जांच की चादर ढांकने का आला-अधिकारियों का पुरजोर प्रयास, शिकायकर्ता द्वारा एक-एक साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने के बावजूद भी दोषियों को संरक्षण प्रदान करना जिम्मेदारों के ऊपर भी ऊंगली खड़ा करता है, वहीं मामले के मुख्य आरोपी मदन देशमुख का कहना है कि "यदि मैं फंसुंगा तो सबकी पोल खोल दुंगा" इस तरह आरोपी द्वारा आला-अधिकारियों को दी जा रही खुली चुनौती मामले में लिप्त आकाओं की सच्चाई बयां करती है।
प्रोटोकॉल द्वारा एक ही बिल को तीन बार सेंग्शन किया गया
जिला प्रोटोकॉल विभाग में हुए इस करोड़ों के गबन मामले में आये दिन हो रहे प्रकाशनों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां प्रोटोकॉल विभाग द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए सीएम हेल्पलाइन को भी नाकार दिया गया और भ्रष्टाचार में लिप्त आकाओं द्वारा अपना दामन बचाने को लेकर गलत निराकरण दर्शाया गया, वहीं जिला कलेक्टर द्वारा सीएम हेल्पलाइन शिकायतों को लेकर आये दिन बैठकें ली जा रही है परन्तु जिले की रैंकिंग सुधरने का नाम नहीं ले रहा है।आरटीआई से किए गए खुलासा में प्रोटोकॉल विभाग द्वारा एक ही बिल को तीन बार सेंग्शन किया गया है और वहीं जिला प्रोटोकॉल अधिकारी एडीएम श्रीमती मीना मसराम का कहना है कि मुझे मामले की जानकारी नहीं है अब यह कैसे हो सकता है कि जिला अधिकारी द्वारा भुगतान को लेकर बिल-बाऊचरों में हस्ताक्षर किया जावे और वित्तीय प्रभारी अधिकारी को भुगतान की सच्चाई मालूम नहीं होवे। जिला कलेक्टर द्वारा 28/02/2023 को मामले में लिप्त दोषियों से संबंधित समस्त दस्तावेज एवं साक्ष्य मांगे गए थे परंतु आज दिनांक तक जिम्मेदारों द्वारा भ्रष्टाचारीयों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं किया गया और पूंछने पर पता चलता है कि जांच चल रही है,सवाल यह उठता है कि आखिर दोषियों को संरक्षण प्रदान करने वाली यह जांच आला-अधिकारियों द्वारा कब तक किया जाएगा, आखिर सच्चाई क्या है जिसे जिम्मेदारों ने जांच की चादर में लपेटने की कोशिश कर रहे हैं और कब तक यह सिलसिला चलता रहेगा।


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