रेवांचल टाईम्स - मंडला देश के भविष्य कहलाने वाले नौनिहालों के साथ निजी विद्यालयों के प्रमुखों की मनमानी चल रही है। जिसके चलते आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में संचालित बहु मंजिला निजी विद्यालयों में कक्षा 1 से लेकर 8 तक के छात्र-छात्राओं को पहली मंजिला से लेकर चौथी मंजिला तक बस्ते का बोझ लाद कर जाना पड़ता है। वही 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्र छात्राओं को प्रथम तल (ग्राउंड फ्लोर) की कक्षाओं में स्थान दिया जाता हैं। और अबोध नौनिहालों को सबसे ऊपर प्रथम द्वितीय, तृतीय, और चतुर्थ तल में क्लास संचालित कराई जा रही है। जिससे अबोध नौनिहालों का बस्ते का बोझ लादकर बहु मंजिला जाने तक शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे बच्चे अपने आप को भारी थकान महसूस कर अपने-अपने अभिभावकों को अपनी समस्या बता रहे हैं। क्या कारण है कि छोटे छात्र-छात्राओं को बहु मंजिला में क्लास लगाई जाती है, और बड़े छात्र- छात्राओं को प्रथम तल (ग्राउंड फ्लोर)
की क्लासों में पढ़ाया जाता है। क्लास वन से लेकर क्लास 5 तक की छात्र-छात्राओं के वजन के बराबर उनका बस्ता ही होता। लेकिन यह सब विद्यालय प्रमुख को, कोई लेना-देना नहीं होता। विद्यालय प्रमुखों सिर्फ छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से फीस वसूलना मात्र रहता है। इसके अलावा स्मार्ट क्लास नहीं लगाई जाती और स्मार्ट क्लास की फीस वसूली जा रही है। छात्र छात्राओं के अभिभावक ने जिला प्रशासन से अपील की है कि निजी विद्यालयों में उक्त घटनाक्रम चल रहा है जिसे संज्ञान में लेकर स्कूल प्रबंधन को निर्देशित कर, छोटे छात्र-छात्राओं को प्रथम तल में क्लास संचालित कराई जाए। जिससे छोटे छात्र-छात्राओं को शारीरिक और मानसिक तकलीफों से निजात मिल सके।
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