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Friday, April 7, 2023

मकान मालिक ने नहीं लिया 2 साल से किराया, नौजवान ने 10 साल की कड़ी मशक्कत के बाद पाई सरकारी नौकरी



रेवांचल टाईम्स - भारतीय रेल में चयनित हुए प्रवेंद्र सिंह ठाकुर जबलपुर प्रतिभा सुख-सुविधाओं की मोहताज नही होती है. लगन हो तो हर मंजिल पाई जा सकती है. ऐसा ही करके दिखाया है सतना जिले के ग्राम रामनगर से 2013 में पढ़ाई के उद्देश्य से शहर आये प्रवेंद्र सिंह ठाकुर पिता भूपाल सिंह घमापुर क्षेत्र के एक छोटे से छप्पर वाले कमरे में 2013 से रह रहे हैं, इन्होने अपने जबलपुर आकर पढ़ने का श्रेय बड़े भाई शिवेंद्र सिंह को दिया हैं. प्रवेन्द्र का चयन आरआरसी एवं एनटीपीसी ग्रुप सी में हो गया हो गया है. प्रवेन्द्र ने जबलपुर आकर एक निजी इंजीनियरिंग कालेज में प्रवेश लिया और पढ़ाई की जब अंतिम वर्ष में पहुंचे तो फीस के लिए पैसे नहीं थे कालेज ने फीस न देने के एवज में मार्कशीट नहीं दी और जब 2023 में नौकरी लग गई तो मित्रों से उधार पैसे लेकर फीस भरकर मार्कशीट लेकर डाक्यूमेंट सत्यापन कराने राजकोट गये. प्रवेंद्र का नाम अंतिम वरियता सूची में आ गया है।


मकान मालिक साबित हुए दयावान


प्रवेंद्र दिन रात एक करके अध्ययन में जुटे रहें. पैसों की कमी के चलते किराया देने में भी परेशानी होने लगी. जहां एक ओर लोगों के लिए पैसा महत्वपूर्ण होता है. पैसों के लिए लोग परिजनों को नहीं छोड़ते वहीं प्रवेंद्र के मकान मालिक नीलेश ( डल्लू ) पांडे ने मिशाल पेश करते हुए प्रवेंद्र का दो साल का किराया भी माफ़ कर दिया हैं. प्रवेंद्र ने पहले भी कई परीक्षाएं पास की किन्तु अंत में चयनित नही हो पाए. लगन मेहनत प्रवेंद्र ने नहीं छोड़ी और रेलवे की परीक्षा पास की. परीक्षा के बाद फिजिकल की तैयारी खुद से की और मकान मालिक ने किराया देकर मेडिकल देने राजकोट भेजा. इस दौरान इनके जीवन में कृष्ण की भूमिका संजय कश्यप ने निभाई और हर सम्भव सहयोग किया. प्रवेंद्र पैसों के आभाव के चलते कभी कभी तो खाना भी नहीं खा पाते है. तब कभी मकान मालिक खाना खिलाते थे तो कभी सिर्फ पोहा और चाय से प्रवेंद्र अपना दिन काटकर पढ़ाई में जुट जाते थे. इनकी उपलब्धि पर सभी ने बधाई दी हैं।


कम हुआ नौं किलो वजन

प्रवेंद्र का उचित खान - पान ना होने के कारण वे कई बार बीमार भी पड़े और वजन पर भी असर पड़ा. भूमिका भास्कर संवाददाता आकाश चक्रवर्ती से बातचीत करते हुए प्रवेंद्र ने बताया की वर्ष 2016  में उनका वजन 66 किलो था. जो अब 57 किलो रह गया हैं. प्रवेंद्र का परिवार गांव में ही रहता है इनके परिवार में माता पिता सहित भैया- भाभी रहते हैं.

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