रेवांचल टाईम्स - मंडला इंसाफ पाने की उम्मीद से पीड़ित व फरयादी आप बीती बताने और इंसाफ की उम्मीद से कई किलोमीटर का सफर तय करके और सैकड़ो रुपये खर्च करके ग्रामीण पुलिस अधीक्षक कार्यालय मंडला पहुँचते है लेकिन यहाँ पर पदस्थ कुछ पुलिसकर्मी अपने आप को ही पुलिस अधीक्षक समझते हुए जिले के पुलिस कप्तान से नही मिलने देते अगर कोई फरीदी पुलिस अधीक्षक यशपाल सिंह राजपूत से मिलने की जिद्द करता है तो यहाँ पर पदस्थ संतरी परते फरयादो को अपनी वर्दी व पुलिस का रौब दिखाते हुए बत्तमीजी करके डरा धमकाके भगा देता है। ऐसा ही नजारा हमें मंडला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में देखने को मिला, जहाँ एक तरफ पुलिस सब को अपना हितेषी और बड़े बड़े शोलग्न लगा कर कहते है कि वर्दी के साथ हमदर्दी भी पर ये कैसी हमदर्दी ये मंडला जिले के भोलेभाले जनता नही समझ पा रही है।
वही मंगलवार के दिन करीब दो दर्जन महिला पुरुष अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर पुलिस अधीक्षक यशपाल सिंह राजपूत से मिलने पहुँचे पुरुषों के साथ महिलाओं को देखर पुलिस अधीक्षक ने तत्काल सभी लोगो बुला लिया लेकिन कार्यलय के बाहर डियूटी में पदस्थ संतरी ने ग्रामीणों को यह कह कर रोक दिया कि सिर्फ 5 लोग ही अंदर जासक्ते है जब बाकी के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक से मिलने की जिद्द करने लगे तो साहब के संतरी परते ने ग्रामीणों से बत्तमीजी करतें हुए डरा धमका कर अंदर नही जाने दिया। जिससे ग्रामीणों में काफी नाराजगी देखी गई और कहने लगें पुलिसकर्मी अधीक्षक का संतरी परते उन लोगो से मिला है जिनकी हम शिकायत करने आए है। साथ ही कहा अगर ऐसे पुलिसकर्मी एसपी कार्यालय में पदस्थ रहे तो फरियादियों को इंसाफ मिलना मुश्किल है हम सभी ग्रामीण ऐसे बत्तमीजी संतरी को हटाने की मांग करतें है।।
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