हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है और इसे चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इस साल चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो गए हैं और आज पहला नवरात्रि है. इस दिन मां दुर्गा के मां शैलपुत्री स्वरूप का पूजन किया जाता है. भक्तजन पूरे 9 दिनों तक भक्तिभाव के साथ व्रत कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं. पहले दिन घटस्थापना यानि कलश स्थापना के साथ ही जौ भी बोए जाते हैं. मान्यता है कि अगर जौ हरे-भरे होते हैं तो घर में सुख-समृद्धि आती है और इसलिए इन्हें बोते खास सावधानियां बरतनी चाहिए. क्योंकि गलत तरीके से बोए गए जौ आपके लिए परेशानियों का कारण बन सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है जौ बोने का सही तरीका?
जौ बोने का सही तरीकासबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लें और उसे धोकर उसमें कुछ देर के लिए पानी भरकर रख दें.
इसके बाद बर्तन की तली पर स्वास्तिक बनाएं.
फिर बालू या मिट्टी को छानकर साफ कर लें, ध्यान रखें कि उसमें कंकर न हों.
मिट्टी के बर्तन में बालू या मिट्टी डालें और उसमें जौ के दानों को डालकर अच्छी तरह से मिला दें.
फिर गंगाजल या साफ पानी लेकर मिट्टी पर थोड़ा सा डालें और जौ को मिट्टी को मिट्टी में ठीक प्रकार से मिला दें.
इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर वहां कुछ चावल के दाने डालें और जौ का पात्र उस पर रख दें.
अब रोजाना 9 दिनों तक मिट्टी के पात्र में थोड़ा—थोड़ा पानी डालें. ध्यान रखें ज्यादा पानी से जौ खराब हो सकते हैं.
3 से 4 दिनों बाद आपको जौ बढ़ते हुए दिखाई देंगे और फिर इसे कलावे से बांध दें.
जौ का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जौ को अन्नापूर्णा के रूप में पूजा जाता है और कहते हैं यह मां दुर्गा का ही स्वरूप है. जिस प्रकार जौ हरी-भरी होकर उगती है, इससे संकेत मिलता है कि घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का वास होगा. इसलिए जौ बोते समय गलतियां न करें और पूरी सावधानी के साथ जौ बोएं. ताकि आपके परिवार पर मां दुर्गा की कृपा दृष्टि बनी रहे.
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