रेवांचल टाईम्स - मण्डला जिले की नगर पंचायत निवास में मुख्य नगर पालिका अधिकारी के रिश्वत लेने के बाद अब इनके क़रीबी की आखिर कब होगी जांच के लेकर नगर में कश्मकश बनी हुई है कि रिश्वत खोरी में केवल एक ही अधिकारी की जांच क्यो इनके करीबी की जांच क्यो नही हो रही है आखिर इन्हें किनका संरक्षण प्राप्त है जो आज तक बचते आ रहे है।
वही जनचर्चा है कि नगर परिषद में पदस्थ दैनिक वेतन भोगी मोहन मरूआ और सब इंजीनियर रोजिया डोगरे की जांच होनी चाहिये इनके द्वारा भी अनेको फर्जी फाइल चला चला कर सरकारी राशि आहरण कराने में अहम भूमिका निभाई है
वही सूत्र बताते हैं, कि रोजिया डोंगरे जो पूर्व में नैनपुर में पदस्थ रही है। वहाँ भी इन के द्वारा खूब काला पीला किया गया है। सूत्रों का कहना कि उन मामलों क़ी जांच आज तक चल रही है, और पेशी जारी है। और निवास में पदस्थ होते ही झाड़ू दार सफाई कर्मी मोहन मारुआ के साथ मिलकर सीएमओ से जुगलबंदी करते हुये कई मलाईदार विभाग जैसे डीजल, स्वच्छता, पेयजल, लोकनिर्माण विभाग को अपने हाथ मे लेकर बड़े खेल किये है और सरकारी योजनाओं में आई राशि का बन्दबाट किये है। वही रोजिया का खास राजदार सफाईकर्मी जिसको पूरी कमेटी की मौन स्वीकृति मिली और यह अपना मूलकार्य छोड़ असंवैधानिक रूप से निर्माण शाखा जैसे महत्वपूर्ण कार्य की फाइलें चलाने लगा माहिर बना हुआ है और किसको कैसे जाबाब देना है कैसे मैनेज करने है ये अच्छे से जानते है मोहन मारुआ की दैनिकचर्या के साथ मिली जानकारी और पुष्ट सूत्र बता रहे हैं कि उक्त दैनिक कर्मी जिसका मासिक वेतन महज 8 से 9 हजार से अधिक नहीं है, वह कुछ वर्षों में ही इतनी तरक्की कैसे कर सकता है कि आज यह कइयों लाख की चल अचल संपत्ति का स्वामी बन बैठा है और शान शौकत की हर चीज उपलब्ध है अगर इसकी जांच हो जाये तो बड़ा घोटाला सामने आएगा । इसके द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ कर कांजी हाउस पर अवैधानिक तरीके से कब्जा जमाया गया है वही अगर नगर पंचायत की वित्तीय विभाग की सभी फाइलों की जांच की जाए तो मोहन मरूआ की ही राइटिंग मिलेगी इसके द्वारा फर्जी फाइल चला चला कर अपना और अपने अधिकारी का जेब भरा जा रहा है उसी के चक्कर में पैसे लेते पकड़े गये भृष्ट सीएमओ लोकायुक्त के दायरे में आ गया अब इन को बचाने उनके खास लोकायुक्त कार्यालय के चक्कर काटते नजर आ रहे है वही जानकारी है कि अन्य संदिग्ध कर्मचारियों द्वारा मंडला में भी पैसे देकर आने की खबर विश्वसनीय सूत्रों से मिली है जिसके नाम का रेवांचल की टीम जल्द ही खुलासा करेगा की सरकारी योजनाओं में बन्दबाट कर की गई गाढ़ी कमाई कहा कहा लग रही और कहा कहा किसको किसको मैनजमेंट में की जा रही है ।
मोहन मरूआ रोजिया ने दिया होगा ज्ञान..
वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिश्वत की राशि बोरवेल खनन की शेष राशि भुगतान कर देने के नाम पर दैनिक वेतन भोगी संदीप दुबे के माध्यम से ली गई, कमाल इस बात का है कि इस लेनदेन की जानकारी नगर परिषद के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष को भी नहीं हो सकी परिषद के मेम्बर तो दूर की बात हैं? इसका सीधा मतलब निकलता है कि नगर परिषद निवास के मुख्य पालिका अधिकारी विकेश कुम्हरे और इसके दलाल साथियों के बीच ही कददू काटे जाने का प्लान था? सम्भवतः इस दलाली में विकेश कुम्हरे/संदीप दुबे/मोहन मारुआ/रोजिया डोंगरे शामिल थी। जिसका ज्ञान रोजिया और मोहन मरूआ ने सीएमओ को दिया होगा । लेकिन मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने पैसे लेने एक दैनिक कर्मी को मोहरा बनाया और उसके भविष्य को ले डूबा। अब आगे आगे देखे की होता है क्या..... शेष अगले अंक में....
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