रेवांचल टाईम्स - महिष्मति नगरी के नाम से जाना जाने वाला मंडला जो कि नर्मदा जी के आंचल में बसा हुआ है जिसे माँ नर्मदाजी ने तीन ओर से घेर रखा है। माँ नर्मदा की पवित्रता व आलोकित सुंदरता देखते बनती है साथ ही साथ माँ नर्मदा के तटों पर बड़े बड़े घाटों का निर्माण कराया गया है और इन तटों के किनारे दिव्य मंदिर व आश्रम भी देखने को मिलते हैं। चाहे हम बात करें मार्कण्डेय जी आश्रम मधपुरी, सूर्यकुंड धाम, सकवाह, हनुमानघाट स्वामी सीताराम वार्ड, राज राजेश्वरी व्यास नारायण मंदिर, सतखंडा घाट, राधाकृष्ण मंदिर पुरवा, संगम घार महाराजपुर, रपटा घाट, नावघाट, चक्रतीर्थ घाट, गऊघाट, त्रिशूल घाट, शमशान घाट देवदरा मुक्तिधाम देवदरा, रामकृष्ण सेवाधम घाट, देवदरा सहस्त्रधारा, जिलहरी घाट इन घाटो के निर्माणों को तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी जी की दूरदर्शी सोच विचारधारा होने के कारण देश की समस्त पवित्र नदियों के घाटों का निर्माण कार्य प्राथमिकता से कराया गया जिनमें से माँ नर्मदा के तटों का जीर्णोद्वार व निर्माण कार्य कराये गये है जिससे माँ नर्मदा की पवित्रता व स्वच्छता देखने को मिलती है। नर्मदा तटों के घाटों पर साफ सफाई व स्वच्छता की कमी देखने को मिलती है घाटों को कैसे स्वच्छ रखा जाये इस ओर स्वच्छता का अभियान चलाया जा रहा है लेकिन लोगों में जागरुकता की कमी के चलते आये दिन पूजा करने वालो ने में गंदगी मचा रखी हुई है। जिससे प्रेरित होकर क्यों न हमारे द्वारा साफ सफाई अभियान को जीवन का मकसद मानकर धरमदास पनरिया के द्वारा देवदरा ग्राम के अंतर्गत गऊघाट, त्रिशूल धाट, शमशान घाट मुक्तिधाम, रामकृष्ण सेवाआश्रम घाट में पिछले डेढ़ वर्ष साथ सफाई का कार्य निशुल्क सेवा भाव से किया जा रहा है एवं मां नर्मदा के घाटों में हमेशा साफ सफाई बनी रहे जिसके लिये लोगो को आगे बढ़कर उन घाटो की सफाई में सहयोग करने की प्रेरणा दे रहे हैं।
ऐसे ही लोग माँ नर्मदा के घाटों में साफ सफाई करते रहेंगे तो माँ नर्मदा की पवित्रता स्वच्छता एवं सौंदर्यता को बचाया जा सकता है।
वही पनरिया जी का कहना है कि माँ नर्मदा विश्व की ऐसी एक मात्र पवित्र नदी है जो कि पूर्व से निकलकर पश्चिम की ओर अपने जल का प्रवाह करती है और यह ऐसी जीवांत नदी है जिसकी हजारों वर्षों से लोगो के द्वारा परिक्रमा की जाती है जिसका उल्लेख हमारे पुराणों से किया गया है और पुराणों के आनुसार माँ नर्मदा की पूरी परिक्रमा जो लोग नहीं कर सकते हैं वो लोग अपने जीवन को धन्य बताने के लिये माँ नर्मदा जी की उन्तरवाहिनी परिक्रमा चैत्र मास में करके नर्मदा परिक्रमा का पुष्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वही पिछले 18 और 19 मार्च को उत्तरवाहिनी परिक्रमा पनरिया जी के द्वारा की गई और 2 अप्रेल को भी उत्तरवाहिनी परिक्रमा में शामिल होंगे साथ ही उन्होंने अपील की है कि जो लोग माँ नर्मदा जी की पूरी परिक्रमा नही कर सकते है वह इस एक दिवसी परिक्रमा कर के भी धर्म लाभ ले सकते है। और माँ नर्मदा की पूरी परिक्रमा का पुण्य लाभ लिया जा सकता हैं।
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