रेवांचल टाईम्स - मंडला जिले के कोटवार प्रांत व्यापी आवाहन पर शुक्रवार 10 मार्च की रात को भी अपने लंबित मांगों का निराकरण कराने ठंड और मच्छरों के घमासान में कलेक्ट्रेट के पास सड़क के किनारे खुले आसमान में डटे रहे। गूंगी, बहरी सरकार के सामने बहुत ही कम मानदेय पाकर भी सरकार के सारे विभागों के काम करते आने वाले इन कोटवारों की सुध शासन तो ले ही नहीं रहा है।पूर्व सूचना के बाद भी प्रशासन का कोई अमला भी सुध लेने अब तक नहीं पहुंचा।
कोटवार संगठन से जिला उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रवक्ता का कहना है,कि आज आंदोलन का दूसरा दिन है। आंदोलन मांग पूरी होते तक जारी रहेगा। शंकरदास पड़वार के अनुसार 10 मार्च की रात में भी लगभग दो दर्जन महिला पुरुष कोटवार धरना स्थल पर बिना छाया के भी ठंड और असुरक्षा के बीच डटे रहे हैं।
दूसरा दिन भी जारी रही हड़ताल
शनिवार 11 मार्च को भी सैकड़ों की संख्या बल में जिले भर से कोटवार महिला पुरुष धरना देते रहे।
यह धरना लगातार 17 मार्च तक जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट परिसर में जारी रहेगा। मांगें नहीं माने जाने पर 20 मार्च से भोपाल में जंगी प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाएंगे।अपने हक को पूरा करवाने के लिए मजबूर कोटवारों ने बताया है,कि काम के बदले मानदेय बहुत कम यानी ₹400 महीने का मिलता है। जिससे परिवार का गुजारा तो क्या खुद कोटवार के तहसील में हाजिरी देने जाने में ही खर्च हो जाता है। आर्थिक तंगी के शिकार कोटवारों ने धरना स्थल पर ठंड और ओस से बचने के लिए टेंट व्यवस्था भी नहीं कर पाये हैं। बल्कि 24 घंटे में एक बार भोजन लेकर भी उपवास रखकर हड़ताल जारी रखे हुए हैं। जिले के दूर-दूर गांव से आए कोटवार परिवार के लोग सरकार का ध्यानाकर्षण कराने ठंडी रात,असुरक्षा और बिना कोई टेंट के साधारण सा तंबू तानकर मच्छरों के बीच खुले आसमान के नीचे अपना हक पाने के लिए दूसरा दिन भी अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं।
कोटवार का पद सभी विभागों के बड़े से बड़े जमीनी स्तर का काम संपादित करने का होता है :पी.डी.खैरवार
कोटवारों के द्वारा किये जाने वाले सरकारी कार्यों को करीब से अनुभव करने वाले और कोटवार परिवारों से जुड़े समाज सेवी पी.डी.खैरवार ने बताया है,कि
शासन के सभी विभागों के द्वारा समय समय पर सौंपे जाने वाले कार्यों व शासन प्रशासन और जनता के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान को बखूबी पूरा करना कोटवारों का काम होता है।शासन के सभी विभागों से संबंधित योजनाओं का प्रचार प्रसार,ढोंढी पीटना व ग्राम की चौकीदारी और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य के रूप में जिम्मेदारी से काम करना होता है।ग्राम में किसी प्रकार की चोरी, डकैती,अनहोनी या दुर्घटना घटित होने की स्थिति में प्रशासन को सूचना देने का काम भी कोटवार करते हैं। कोटवार राजस्व विभाग का जमीन से जुड़ा सबसे पहला कर्मचारी होता है,जिसको सरकार कर्मचारी का दर्जा देने पर विचार नहीं कर पा रही है। जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह कोटवारों से चुनाव जैसे जरूरी कार्य में भी ड्यूटी कराई जाती है।शासन के इतने महत्वपूर्ण काम करने वाले मध्यप्रदेश के अड़तीस हजार कोटवारों की अनदेखी करना सरकार के लिए बहुत बड़ा सवालिया निशान है।
घुघरी तहसील से पहुंची कोटवार कुंती बाई सोनवानी ने कहा है,कि इस बार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा लेकर ही घर वापस हो़ने का संकल्प लेकर हम सभी कोटवार घरों से आंदोलन के लिए निकले हैं।
आंदोलन का आज दूसरा दिन भी भैया लाल, शंकर दास, राजकुमार उईके, राजकुमार गायगवाल, रमेश सोनवानी, विजय बैरागी, सुखदेव केवट,मुरली कार्तिकेय, राकेश मरावी, आशीष झारिया,बबीता झारिया, राजकुमारी पूषाम,सुहागवती भलावी,श्यामवती गायगवाल, राजू मरकाम, चंद्रमणि बघेल,लखन धनेश्वर,गोविंद बैरागी,चरन दास आंधवान, आनंद दास धनेश्वर, ललित टैगोर, रामकुमार परते,रेखा परते,लखन सोनवानी, शोभाराम कोठिया, राकेश मरावी, रघुवीर, हरिश्चंद्र,पुरुषोत्तम दास,शंकर दास, राजेन्द्र सोनवानी,सरजू बघेल,चौधरी बैरागी सामिल रहे।
No comments:
Post a Comment