घुघरी में समर्पण दिवस के रूप में मनाई गई पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि... - revanchal times new

revanchal times new

निष्पक्ष एवं सत्य का प्रवर्तक

Breaking

🙏जय माता दी🙏 शुभारंभ शुभारंभ माँ नर्मदा की कृपा और बुजुर्गों के आशीर्वाद से माँ रेवा पब्लिकेशन एन्ड प्रिंटर्स का हुआ शुभारंभ समाचार पत्रों की प्रिंटिग हेतु संपर्क करें मोबाईल न- 0761- 4112552/07415685293, 09340553112,/ 9425852299/08770497044 पता:- 68/1 लक्ष्मीपुर विवेकानंद वार्ड मुस्कान प्लाजा के पीछे एम आर 4 रोड़ उखरी जबलपुर (म.प्र.)

Saturday, February 11, 2023

घुघरी में समर्पण दिवस के रूप में मनाई गई पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि...


रेवांचल टाईम्स - मंडला जिले के साथ साथ आसपास में भी मनाई गई पंडित दीनदयाल की पुण्यतिथि वही विकास खण्ड घुघरी पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ऐसे युगद्रष्टा थे जिन्होंने देश को एक ऐसी विचारधारा देने का काम किया जिसका मूल उदेश्य सत्ता प्राप्ति नहीं बल्कि राष्ट्र को पुनः विश्व गुरु के पद पर आसीन करना हो। पंडित जी ने देश को एकात्म मानव दर्शन दिया जिसमें व्यक्ति से समष्टि तक सभी के हित समाहित हैं। पंडित जी का मानना था कि जब तक हम समाज के गरीब-से-गरीब व्यक्ति तक विकास नहीं पहुंचाते, उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़कर देश की प्रगति में सहभागी नहीं बनाते तब तक देश की स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।ऐसे महान विचारक व राष्ट्रसेवक की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन।एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता हैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय* कोई राजनीतिक दल इतने कम समय में एक विचार, एक राजनीतिक व्यवस्था, एक राजनीतिक दल, विपक्ष से लेकर विकल्प तक की यात्रा को पार कर ले तो इसे क्या कहेंगे? कोई इसे चमत्कार कह सकता है, लेकिन यह चमत्कार नहीं बल्कि संगठन आधारित राजनीति का अद्भुत उदाहरण है। जनसंघ से भाजपा के उदय तक पार्टी ने विपक्ष से राजनीति के मजबूत विकल्प का सफर तय किया है तो उसकी नींव डालने वाले व्यक्तित्व थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय. उन्होंने संगठन आधारित राजनीतिक दल का एक पर्याय देश में खड़ा किया. उसी का परिणाम है कि भारतीय जनसंघ से लेकर के भारतीय जनता पार्टी तक संगठन आधारित राजनीतिक दल अपनी अलग पहचान रखता है.डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते थे, अगर मेरे पास एक दो और दीनदयाल हों तो मैं हिंदुस्तान की राजनीति का चरित्र बदल सकता हूं. दरअसल पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कांग्रेस के विकल्प के तौर कार्यकर्ता के निर्माण पर जोर दिया. उनका उद्देश्य ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक नई श्रेणी तैयार करना था जिसका एक स्वतंत्र चिंतन हो, राष्ट्रभक्ति से प्रेरित हो और राष्ट्र-समाज को समर्पित हो. उन्होंने अपनी पूरी शक्ति संगठन को वैचारिक अधिष्ठान देने, कार्यकर्ता के निर्माण और संगठन के विस्तार में लगा दी. आज संघ और भाजपा जिस मुकाम पर है उस विचार की नींव पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही डाली थी.बचपन में ही माता-पिता को खोने वाले पंडित जी अभाव की पीड़ा को बखूबी महसूस करते थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य के लिए अपना जीवन अर्पित करने वाले पंडित जी 1951 तक संघ में विभिन्न पदों पर रहकर समाज चेतना का कार्य करते रहे. 1951 में जनसंघ की स्थापना हुई तब से उन्होंने अपनी सेवाएं जनसंघ को अर्पित कर दी. स्वदेशी को जीवन में आत्मसात करने वाले दीनदयाल उपाध्याय उच्च कोटि के पत्रकार थे. सरकारी नौकरी में चुने जाने के बाद भी समाज-राष्ट्र को चुना. उनका कहना था-समाज की अंतिम सीढ़ी पर जो बैठा हुआ है; दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, गांव हो, गरीब हो, किसान हो… सबसे पहले उसका उदय होना चाहिए. राष्ट्र को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए समाज को अंतिम सीढ़ी पर ये जो लोग हैं उनका सामाजिक, आर्थिक विकास करना होगा।

पं. दीनदयाल उपाध्याय का यही विचार अंत्योदय के मूल का जनक है और इससे ही मोदी सरकार का मूलमंत्र बना है- “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। कोविड काल में देश के 80 करोड़ लोगों के फ़्री अनाज देना, निशुल्क टीकाकरण,किसान सम्मान निधि में अभी तक पौने दो लाख करोड़ की राशि सीधे बैंक खाते में पहुंचाना, 45 करोड़ से अधिक गरीबों का जनधन खाते खुलवाना, उज्ज्वला के तहत 9 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन, घर-घर शौचालय का निर्माण, स्वनिधि योजना, आयुष्मान भारत,  जलजीवन मिशन की नल जल योजना आदि के जरिए कदम बढ़ा रही केंद्र सरकार की सभी गरीबोन्मुख पहल पंडित जी के अंत्योदय के दर्शन से ही निकली हैं. एकात्म मानववाद और अंत्योदय के जिस रास्ते पर चलकर आज केंद्र सरकार देश के हर वर्ग के सपने का साकार कर आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ा रही है, उसके प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय ही हैं।सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय यानी अंत्योदय का दर्शन देने वाले पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद और अंत्योदय मुंबई में 22 से 25 अप्रैल 1965 में चार भागों में दिए गए भाषण का सार है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हो या फिर गरीबों की सेवा या फिर आत्मनिर्भरता को आंदोलन बनाने की पहल, पंडित जी के ही आर्थिक दर्शन का हिस्सा है. वे कहते थे कि हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता हैं, केवल भारत ही नहीं, माता शब्द हटा दीजिए तो भारत केवल जमीन का टुकड़ा मात्रा रह जाता है. आजादी केवल तभी सार्थक हो सकती है, जब यह हमारी संस्कृति की अभिव्यक्ति का जरिया बन सकती है. जब अंग्रेज हम पर राज कर रहे थे, तब हमने उनके विरोध में गर्व का अनुभव किया, लेकिन हैरत की बात है कि अब जबकि अंग्रेज चले गए हैं, पश्चिमीकरण प्रगति का पर्याय बन गया है।केंद्र सरकार की वित्तीय समावेशन की योजना आज समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही है तो वह पंडित जी के अंत्योदय का ही उदाहरण है. पं. दीनदयाल जी के विचारों का ही प्रभाव है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना’ की शुरुआत की जो आज ग्रामीण भारत की एक नई क्रांति बन चुकी है. संगठन को कैडर आधारित बनाना हो या समाज के आख़िरी छोर के व्यक्ति का कल्याण सुनिश्चित कर सही मायने में आज़ादी का अहसास कराना, पंडित के विचारों और दर्शन में ही निहित रहा है. उनके विचार आज भी राष्ट्र की प्रेरणा है। पं. दीन दयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि आज भाजपा मंडल कार्यालय घुघरी में समर्पण दिवस के रूप में मनाई गई । इस अवसर पर भाजपा मंडल अध्यक्ष शम्भू प्रसाद साहू  ने  पं. दीन दयाल उपाध्याय जी की जीवनी पर प्रकाश डाला और सभी से समर्पण निधी ( आजीवन सहयोग निधि) संग्रह के लिए आग्रह किया । कार्यक्रम में वरिष्ठ भाजपा नेता  एवं जिला कार्यसमिति सदस्य  मंशाराम सोनी, जिला कार्यालय मंत्री भाजपा युवा मोर्चा दीपक नामदेव ,भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा अध्यक्ष नरोत्तम रघुवंशी , भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष  श्रीराम अग्रवाल  संदीप पाठक ,चमरा सिंह मरकाम सहित कार्यकर्ताओं की  उपस्थिति रही।

No comments:

Post a Comment