दैनिक रेवांचल टाइम्स सिवनी - न मातु परदैवतम माता के समान कोई दूसरा देवता नहीं| माता ही प्रथम पूजनीय होती है| मातृदेवोभव, आचार्यदेवोभव, पितृदेवोभव इत्यादि मंत्रों में माता को ही प्रथम स्थान दिया गया है इसी कारण से माता को आदिगुरु भी माना गया है |मां के ऋण से कोई मुक्त नहीं हो सकता इसी दिव्य भाव को लेकर परमपूज्य अनंतश्री विभूषित द्वारका- शारदापीठाधीश्वर स्वामी शसदानंद सरस्वती महाराज ने अपने पूज्य गुरुदेव की जन्मदात्री माता श्री गिरिजा देवी के जन्मस्थान में दिव्य मंदिर की आधारशिला रखी | शंकराचार्य जी नींव भरकर मंदिर निर्माण का श्री गणेश किया और अपने पूज्य गुरुदेव का स्मरण किया| मातृदेवोभव के सनातनी भाव को महिमामंडित करती मातृधाम को धन्य बताया जहाँ ऐसी महान माता का जन्म हुआ| विदित होवे कि ब्रह्मलीन भगवत्पूज्यपाद धर्मसम्राट अनंत श्री ज्योतिष् एवं द्वारका-शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की आज्ञानुसार उनके परमशिष्य निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी महाराज के मार्गदर्शन में पूज्य गिरिजा देवी की जन्मस्थली में माता जी का मंदिर का निर्माण किया जा रहा है इसी संकल्प को पूर्ण करने मंदिर की आधारशिला रखने द्वारका- शारदापीठ के जगदगुरु शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज का मातृधाम आगमन 10 फरवरी को अपराह्न हुआ|
इस अवसर पर अनेक गणमान्य उपस्थित रहे| मातृधाम पहुँच अनंतश्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज ने परमराध्य श्री गुरुदेव भगवान की परमाराध्या माँ श्रीमाता ललितेश्वरी त्रिपुर सुंदरी एवं जन्मदात्री माता गिरिजा देवी का पूजन अर्चन कर आरती उतारी ओर अपने पूज्य गुरुदेव भगवान के श्री चरणपादुकाओं पावन पूजन किया| उक्त जानकारी देते हुए मातृधाम के प्रभारी धर्मवीर अजित तिवारी ने बताया कि पूज्यपाद श्री शंकराचार्य जी से के श्री चरणों करकमलों से मंदिर निर्माण का श्रीगणेश होना परम सौभाग्य का विषय है| माताजी के मंदिर निर्माण के पूर्ण होने पर विशाल धार्मिक आयोजन मातधाम की पुण्य धरा में आयोजित किया जावेगा| जिसमें देशभर से अनेक साधुसंत, विद्वान,गणमान्य एवं अनेक भक्तजन उपस्थित रहेंगे
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