स्वच्छता अभियान के फर्जी दस्तावेज पोर्टल किये जा रहे है अपलोड उपयंत्री ने कराये अपलोड, फिर शुरू होनी वाली है भ्रष्टाचार एनजीओ को लाखों के भुगतान की तैयारी.... - revanchal times new

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Tuesday, February 28, 2023

स्वच्छता अभियान के फर्जी दस्तावेज पोर्टल किये जा रहे है अपलोड उपयंत्री ने कराये अपलोड, फिर शुरू होनी वाली है भ्रष्टाचार एनजीओ को लाखों के भुगतान की तैयारी....


रेवांचल टाईम्स - मण्डला जिले के अंतर्गत आने वाली निवास नगर पंचायत में अनेको मामले भ्रष्टाचार, गबन, मनमानी, पद का दुरूपयोग ऐसे अनेकों कार्य किये पर मिडिया ने इस सब मुद्दों को अपनी कमल से जम से आँख मुदे सो रहे जिम्मेदारो की आज भी नीद नही खुल पाई है और आज भी वह सब चल रहा है। अब नगर में जनचर्चा का विषय बना हुआ कि आख़िर कितना वजन बढ़ाया होगा एक इनकी करनी में ध्यान न देने पर और शायद इस जिले वासियों के दुर्भाग्य ही है जो ऐसे जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार प्रशासन मिला है जो सब देख रहा है सुना रहा है पर इनके द्वारा किये गए कृत्य पर कोई कार्यवाही नही कर रहा है जिस कारण इन भ्रस्टो का हौसला बुलन्द है।

        वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर परिषद निवास के जिम्मेदारो के द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रतिक्रिया रोजाना सामने आ रहे है एक अच्छी खासी किताब भ्रष्टाचार को लेकर लिखी जा सकती है वही लगातार कांजी हाउस में मोहन मरूआ का कब्जा,मोहन मरूआ के द्वारा फर्जी फाइल चलाये जाना,डीजल में हेराफेरी, पंप मेकेनिक बना लेखापाल, टिंचिंग ग्राउण्ड में आग, एमआरएफ की कमी,आदि  मगर वाह  जेडी पी जो लेते और कार्यपालन यंत्री प्रदीप मिश्रा कार्यवाही के नाम पर आँख कान और मुँह बंद कर कर ऐसे बैठे है जैसे कुछ जानकारी ही नही है या फिर मामला दवाने रखने के लिए बजन ले लिया गया है प्रभारी सीएमओ कार्यपालन यंत्री के खास होने के कारण ये चुप बैठे है और सभी को चुप कर रहे है ऐसा ही एक और मामला सामने आया है जहां इजीनियर ने स्वच्छता के फर्जी दस्तवेजो पोर्टल में अपलोड करा दिए है देखने में आया कि निकाय में इतने कर्मचारी होने के बाद भी उपयंत्री के द्वारा एनजीओ लगाकर स्वच्छता के फर्जी दस्वावेज बनवाकर पोर्टल में अपलोड करा दिए है और पीआईयू अभिनव गर्ग द्वारा उनको आगे भेज दिया गया है जबकि अभिनय गर्ग को भी पता है कि जमीनी स्तर पर निवास नगर पंचायत में कोई गतिविधियां  नही हुई है उसके बाद भी उनने दस्वावेज सही कह कर भारत सरकार के पोर्टल में अपलोड कर दिए है जो जांच का विषय है अगर दस्तवेजो को देखा जाए और जमीनी हकीकत देखी जाए तो जमीन आसमान का अंतर सामने आएगा  वही निकाय में लगभग 60 कर्मचारी होने के बाद भी इजीनियर ने अपनी मनमर्जी से एनजीओ लगाकर दस्तवेजो बनवाये है अब एनजीओ का लाखो का भुगतान भी नगर पंचायत  के पैसे से किया जाएगा  । इतने कर्मचारी होने के बाद भी लाखों रुपये का भुगतान एनजीओ को करना पूर्ण रूप से गलत है  वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया है कि एनजीओ के भुगतान में भी कमीशन मिलेगा अब देखना है कि इनके द्वारा कितना भुगतान एनजीओ को किया जाता है और इसकी जानकारी परिषद के पदाधिकारियों को दी जाती है या प्रभारी सीएमओ के साथ मिलकर 50 हजार के पावर का इस्तेमाल किया जाता है ।वही एक तरफ एनजीओ को लाखों का भुगतान किया जाएगा दूसरी तरफ सफाई कर्मचारी झाड़ू, तसला, आदि सामग्री को तरस रहे है उस पर किसी का ध्यान नही है ।वही सवाल एक यह भी है कि एक तरफ उपयंत्री कार्यवाही से बचने के लिए अपने आप को स्वच्छता नोडल न होने की बात कह रही है और दूसरी तरफ एनजीओ लगाकर स्वच्छता के दस्तववेज अपलोड करा रही है। आखिर उसकी सच्चाई क्या है ये तो स्थनीय लोग जो जिम्मेदार है वही बता पाऐगे और रही बात जाँच की तो कोषों दूर की इनकी कोई अधिकारी कर्मचारी जांच कर इन्हें दोषी साबित कर दे क्योंकि ये सब को इनके पद के हिसाब से हड्डी डाल रहे है । शेष अगले अंक में....

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