दैनिक रेवांचल टाइम्स - मंडला बसनिया डूब प्रभावित गांव चकदेही में सासंद फग्गन सिंह कुलस्ते द्वारा आज परिक्रमावासी विश्राम भवन का लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित था।इसी कार्यक्रम में बसनिया बांध (ओढारी)डूब प्रभावितों द्वारा एक विस्तृत ज्ञापन तथ्यों के साथ सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को दिया। जिसमें उत्तराखंड के जोशीमठ घटना कि त्रासदी को याद दिलाते हुए कहा गया है कि नर्मदा घाटी के फॉल्ट जोन और इंडियन प्लेट्स के लगातार मूवमेंट के कारण दरार बढने से भूकंप के खतरे को बढा दिया है।इसके अलावा नर्मदा घाटी में बने बांधो के कारण दरारों में पानी भर रहा है।इससे चट्टानों का संतुलन प्रभावित होने की आशंका है।बीते तीन साल में नर्मदा और सोन नदी घाटी जिलों में धरती के नीचे 37 बार भूकंप आ चुका है।अमरकंटक से अलिराजपुर के बीच 15 जिलों को संवेदनशील माना गया है, वहां विकास कार्यो के लिए कितने कहां- कहां कितनी तीव्रता के विस्फोट किये गए हैं, उसकी निगरानी आवश्यक है।बसनिया बांध के निर्माण में भी भारी तीव्रता का विस्फोट किया जाएगा।जिसके कारण भूगर्भीय हलचल से इंकार नहीं किया जा सकता है।ऐसा भूवैज्ञानिकों द्वारा किया गया अध्ययन रिपोर्ट भी बता रहा है।
दूसरी ओर ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मात्र 100 मेगावाट बिजली उत्पादन करने के लिए 2107 हेक्टेयर जंगल, जैव विविधता 2735 परिवारों को डूबाना हमें मंजूर नहीं है।स्वच्छ उर्जा के नाम पर विकसित की जा रही पनबिजली परियोजनाओ की कीमत स्थानीय जंगल, नदियां और हम आदिवासी चुकाएंगे।कम्पनी बांध में पूंजी लगा रही है तो मात्र मुनाफा कमाने के लिए न कि आदिवासीयों का कल्याण करने के लिए।
बांध निर्माण के लिए मुम्बई की कम्पनी को ठेका दिये जाने की सूचना स्थानीय समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ है।पांचवी अनुसूचि और पेसा अधिनियम के तहत प्राप्त अधिकार के दायरे में हमारी ग्राम सभा बांध बनाये जाने की स्वीकृति प्रदान नहीं करती है।अतः आपसे अपेक्षा है कि इस बांध को निरस्त कराने के लिए सरकार में उच्च स्तर पर बात करें।ज्ञापन सोंपने के लिए मंडला जिले के ओढारी,बरझङ, पङादर,चकदेही,दरगढ, चिमका टोला,दुपट्टा, रमपुरी और डिंडोरी जिले के मरवारी, मटियारी, मुंडी आदि के महिला पुरूष उपस्थित थे।जिसमें जनपद सदस्य मनोज कुङापे,चकदेही सरपंच तितरी बाई मसराम,बजारी लाल सर्वटे, तितरा मरावी,राजेन्द्र कुलस्ते,गौतम यादव, नवल सिंह मरावी,संतोष परस्ते आदि प्रमुख शामिल थे।
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