रेवांचल टाईम्स - मण्डला, जिले के अंतर्गत आने वाली नगर पंचायत निवास में बैठे जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के द्वारा इन दिनों भुगतान की नई प्रणाली चालू की गई है इनके द्वारा भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से किए जा रहे हैं सीएमओ को 50 हजार रुपये तक के भुगतान का पावर है इसका उपयोग इनके द्वारा भली भांति किया जा रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सेटिंग वाले भुगतान आर टी जी एस के माध्यम से चुपचाप बैंक भेज कर किये जा रहे है जबकि निर्देश है कि एकल खाता प्रणाली से ऑनलाइन भुगतान किये जायें मगर यहां के सीएमओ विकेश कुम्हरे सभी के आदेश को धता बता रहे है और कुछ भुगतान ऑनलाइन और सेटिंग वाले भुगतान आर टी जी एस के माध्यम से कर रहे है जिसकी भनक केवल लेखपाल, इंजीनियर,और उनके कुछ खास सहयोगी कर्मचारियों को ही है बाकी नगर पंचायत के अध्यक्ष पार्षद किसी को भुगतान के बारे में कुछ पता नही है ।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन भुगतान की जानकारी पंचायत के पदाधिकारियों को होती है उन्हीं भुगतान को सीएमओ द्वारा ऑनलाइन कराया जाता है जबकि जो भुगतान एडजस्टिंग वाले होते हैं जिनमे उनका निजी स्वार्थ शेयर और उनके खास कर्मचारियों का लाभ होता है उनको कर्मचारियों के द्वारा बैंक भेजकर आरटीजीएस के माध्यम से कराया जाता है, वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निकाय के खाते जिसमें भवन नल लाइट आदि के टैक्स जमा होते हैं उन्हीं खाते से इनके द्वारा राशि आहरण की जा रही है और उसी खाते से आरटीजीएस कराया जा रहा है परियोजना अधिकारी शहरी विकास अभिकरण से जब रेवांचल टीम ने बात की तो उनका कहना है कि निकाय के खाते से राशि एक मुश्त ट्रांसफ़र कर ले और उसी से आफिस से ऑनलाइन करे यही नियम है। मगर यहां ऐसा क्यो नही किया जा रहा है यह समझ नही आ रहा । अगर गलती से भी कोई जागरूक जिम्मेदार इन खातों की जांच करा लें जाए तो इनके द्वारा किए जा रहे भुगतान की जानकारी निकल कर सामने आ जाएगी और 50 हजार रुपये तक का पावर सीएमओ को होता है पर उसका इनके द्वारा कैसा फायदा उठाया जा रहा है यह देखना है तो निवास नगर पंचायत में देखने को मिल सकता है । जहां पर जनता तो बेचारी है साथ मे जिम्मेदार भी गांधी जी के तीन बंदर बन बेठे हुए जहा पर न उन्हें कुछ दिखाई पड़ रहा और न ही सुनाई और न ही कुछ बोल पा रहे है। अब मीडिया भी अपनी जितनी जिम्मेदारी निभा सके वह निभा रही है शायद कोई इन समाचारों के माध्यम से जाग जाए और नगर पंचायत में हो रही सरकारी धन की होली रोक सकें अब यह देखना बाकी है कि जिम्मेदार जाग पाऐगे या ये सब यू ही चलता रहेगा।
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