रेवांचल टाईम्स - मंडला जिले की जनपद पंचायत के मनरेगा सहायक यंत्री और उपयंत्री ने ठेकेदार के साथ मिलकर जमकर किया निर्माण कार्य और फर्जी हाजरी में खेल
वही देश के प्रधानमंत्री मंच से लगातार कहते हैं। में किसी को खाने नही दूँगा। मगर उसके अधिकारी और कर्मचारी उतनी ताकत से घोटाला करते हैं।और कागजों में खानापूर्ति साफ सफाई देते हैं। कि कही भ्रष्टाचार नही हुआ है। मगर विभाग के अंदर की कहानी ही और कुछ हैं। जो अधिकारी लौटा लेकर आये थे वे आज बड़ी बड़ी गाड़ी में घूम रहें हैं। वही इसकी बानगी नैनपुर जनपद पंचायत में देखी जा सकती हैं। कि अधिकारियों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में अपने चहेते को जमकर मलाई बाटी हैं। मगर मौके पर निर्माण कार्य की हवा निकल चुकी हैं। जिसमें सबसे ज्यादा घोटाला उपयंत्री बसंत मरकाम के कार्यालय में हुआ जब वे sdo के प्रभारी थे। उनके कार्यकाल में तो निर्माण कार्य की गुणवत्ता की उच्चतम और हाई लेबल की जाँच होनी चाहियें उनके चाहते ने ऐसा निर्माण कार्य किया और लखपति हो गए और कार से घूमने लगे मगर कौन क्या सकता हैं। इनके आका ही का संरक्षण हो खैर जो भी हैं। क्या एसडीओ बसंत मरकाम और आरईएस के प्रमुख दीपक अर्मो की कारगुजारियों की पोल खुलती नजर आ रही हैं। मगर देखना हैं। कि क्या जिला कलेक्टर दोषी अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करती हैं। या एक फिर ठेकेदारों की सेटिंग काम आती हैं। जिससे वे बच कर निकल जाते है।
जनपद पंचायत में मनरेगा के कामों में करोड़ों घोटाला
मनरेगा में करोड़ो का घोटाला सामने आया है। जनपद पंचायत के अधिकारियों से साठ गांठ कर ऑनलाइन सिस्टम में सेंधमारी कर फर्जी मजदूर, फर्जी काम की एंट्री करके करोड़ों रुपए का पेमेंट निकाला गया है। पिछले तीन चार सालों से यह खेल चल रहा था। प्रथम दृष्टया यह साफ हो गया है कि इस घोटाले में सरपंच, सचिव से लेकर जिला पंचायत स्तर के आला अफसर शामिल थे। मनरेगा के ऑनलाइन सिस्टम में छेड़खानी कर फर्जीवाड़े का प्रदेश का यह अपनी तरह का पहला मामला है।घोटाले को पूरी प्लानिंग के साथ इस तरह से अंजाम दिया गया कि किसी को शक ही नहीं हुआ।
मनरेगा योजना भ्रष्टा अधिकारीयो के लिए लूट का साधन बनी है।
जनपद पंचायत के 74 पंचायत के हालत यह है कि ग्राम प्रधान और ब्लॉक के कर्मचारियों की मिलीभगत से जॉब कार्ड पर अपने चहेतों की खाता संख्या फीड कर दिया जा रहा है। नाम किसी और का भुगतान किसी और के खाते में जा रहा है। फर्जी तरीके से मनरेगा के नाम पर लाखों का घोटाला करने का मामला नैनपुर जनपद की पिंडरई तथा अन्य पंचायत में सामने आया है। यहां फर्जी जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा का धन निकालने का खेल किया जा रहा है।आश्चर्य की बात तो यह है कि गांव में जो व्यक्ति है ही नहीं उसके भी नाम जॉब कार्ड बनाकर पैसा निकाल लिया गया है। इतना ही नहीं कई कार्ड धारक को पता ही नहीं और उनके नाम पर हजारों रुपये का भुगतान हो गया है।
मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों के फर्जी जॉब कार्ड तैयार किए गए कर फर्जी हाजरी निकली से निकली राशि...
मनरेगा में ग्राम पंचायत के सचिव और रोजगार के साथ मिलकर घोटाला के लिए काम जरूरी था, इसलिए फर्जी मांग पत्र तैयार किए गए।ई मस्टररोल तैयार किया गया, जिसमें फर्जी और असली दोनों ही मजदूरों के नाम थे। ज्यादातर मस्टररोल में सरपंच और सचिव के अलावा किसी भी मजदूर के दस्तखत या अंगूठे के निशान नहीं हैं। जबकि नियमों के हिसाब से बिना दस्तखत वाले मस्टर रोल वैध नहीं होते।मजदूरों के नाम के आगे ए,बी या सी लगाकर नए जाब कार्ड बना दिए गए।असली मजदूरों को बैंक से और फर्जी मजदूरों को पोस्ट आफिस से भुगतान किया गया। पोस्ट आफिस से भुगतान लेने के लिए मनरेगा से जुड़े अफसरों ने कंप्यूटराइज्ड वेज लिस्ट की जगह, हाथ से लिखी सूची तैयार की। मनरेगा योजना की हाथ से तैयार वेज लिस्ट पर पिछले दो सालों से प्रतिबंध लगा हुआ है। ऐसी ज्यादातर वेज लिस्ट जिला और जनपद पंचायत के दफ्तरों से गायब हैं
अधिकारियों के पास जबाब नही
इतने बड़े घोटालों को अंजाम देने के बाद भी अधिकारी सिर्फ कहते है। कुछ नही हुआ है। पत्रकार सिर्फ झूठी खबर छापते हैं। मगर खेर जो भी अगर समाचार का प्रकाशन हुआ है तो 74 ग्राम पंचायतों में से किसी भी पंचायत का मस्टररोल निकल लो और देख लो कि गड़बड़ झाला हैं। कि अगर सही निकला तो कार्यवाही में अधिकारियों पर कितना जुर्माना लगेगा कि जाँच के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति होकर रह जायेगी ।
इनका कहना है....
जनपदों में सहायक यंत्री को पंचायतों के काम देखने के लिए सरकार ने रखी हुई और पंचायत में उपयंत्री ग्राम पंचायतों का मूल्यांकन करते है और सहायक यंत्री सब कार्य देखते मेरे तक जानकारी नही आती है कुछ जब मेटर होता है तब जाना पड़ता है आप इस संबंध में सहायक यंत्री से बात कर लीजिए।
दीपक आर्मो
कार्यपालन यंत्री ग्रामीण
यांत्रिकी सेवा संभाग 2
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