हिंदू धर्म में हर माह त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है और जब यह प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष कहा जाता है. आज यानि 5 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह की त्रयोदशी तिथि है और अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सोम प्रदोष व्रत जरूर रखें. कहते हैं प्रदोष व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. लेकिन इस दिन पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ना ना भूलें. मान्यता है कि बिना व्रत कथा के कोई भी व्रत या पूजा अधूरी मानी जाती है.
सोम प्रदोष व्रत कथा
एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी, उसके पति का स्वर्गवास हो गया था. उसके पास घर-परिवार कुछ नहीं बचा, इसलिए सुबह से अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी. इस तरह से वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी. एक दिन घर आते समय ब्राह्मणी को एक बालक घायल अवस्था में मिला, ब्राह्मणी उसे अपने घर ले आई. लड़का विदर्भ का राजकुमार था, शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण किया और उसके पिता को बंदी बनाकर उसके राज्य पर अधिकार कर लिया, इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था.
राजकुमार ब्राह्मणी और उसके पुत्र के साथ उनके घर में रहने लगा. एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा और उस पर मोहित हो गई. अगले दिन वह अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई. कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए, उन्होंने वैसा ही किया.
वह विधवा ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी. उनके प्रदोष व्रत का ही प्रभाव था कि राजकुमार ने गंधर्वराज की सेना की सहायता से विदर्भ से शत्रुओं को भगाया और अपने पिता का राज्य पुनः प्राप्त किया, और सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा. राजकुमार ने ब्राह्मणी के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बना लिया. ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के कारण शंकर भगवान की कृपा से जैसे राजकुमार और ब्राह्मणी पुत्र के दिन सुधर गए, वैसे ही शंकर भगवान अपने हर भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं और सबके दिन संवर जाते हैं.
No comments:
Post a Comment