बिजली के लिए आदिवासियों को उजाङना बंद होना चाहिए
दैनिक रेवांचल टाइम्स - मंडला बसनिया(ओढारी) बांध प्रभावितो द्वारा आज रैली निकालकर कलेक्टर मंडला को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया।ज्ञापन में कहा गया है कि इस बांध से मात्र 8780 हैक्टेयर में सिंचाई होगी जबकि 6343 हेक्टेयर भूमि डूब में आएगा। क्या काश्तकारों की 2443 हेक्टेयर कृषि,1793 शासकीय और 2107 हेक्टेयर वन भूमि को डूबा कर 100 मेगावाट बिजली उत्पादन उचित है ? जबकि ये जंगल जैव विविधता से परिपूर्ण है।ज्ञापन में शंका जाहिर किया गया है कि डूब क्षेत्र की गणना अभीतक टोपोशीट से ही हुआ है।जब प्रत्यक्ष गांव - गांव जाकर जमीनी सर्वे होगा तो विस्थापित होने वाले गांव और डूब जमीन के रकबा में बढोतरी होगी।जिसका बङा उदाहरण बरगी बांध है।
दूसरा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मंडला जिला संविधान की पांचवी अनुसूचि(आदिवासी क्षेत्र के लिए विशेष व्यवस्था) के तहत वर्गीकृत है,जहां पेसा अधिनियम प्रभावशील है।इस परियोजना के सबंध में प्रभावित ग्राम सभा को किसी भी तरह की जानकारी नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा नहीं दिया गया है। यह आदिवासियों को पेसा नियम के तहत प्राप्त संवैधानिक अधिकारों का हनन है। बांध निर्माण के लिए मुम्बई की कम्पनी को ठेका दिये जाने की सूचना स्थानीय समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ है।पांचवी अनुसूचि और पेसा अधिनियम के तहत प्राप्त अधिकार के दायरे में हमारी ग्राम सभा बांध बनाये जाने की स्वीकृति प्रदान नहीं करती है।उपस्थित समुदाय ने कलेक्टर से कहा कि बिजली बनाने के लिए आदिवासियों को उजाङना बंद होना चाहिए।
मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया है कि इस बांध को तत्काल निरस्त करने की घोषणा करें।अन्यथा हमलोग इस बांध के विरोध में सङको पर संघर्ष के लिए मजबूर होंगै। जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक डाक्टर अशोक मर्सकोले, जिला पंचायत सदस्य ललिता धुर्वे,जिला पंचायत सदस्य भूपेंद्र बरकङे,बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के राज कुमार सिन्हा, शारदा यादव,मदन सिंह बरकङे, नवल सिंह मरावी,बी.एल.सर्वटे,तितरा मरावी,फूल चन्द्र पट्टा,गौतम यादव, राजेन्द्र कुलस्तसे,संतु लाल कुलस्ते,हरदयाल भवेदी सहित रमपुरी, धनगांव, ओढारी,
चकदेही,चिमका टोला, मुंडी,
पङादर,कौआ डोंगरी आदि गांव के सैकङो महिला- पुरूष इस रैली में शामिल थे।
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