रेवांचल टाईम्स - आदिवासी जिले मण्डला में यूं तो कई तरह के एनजीओ मध्यप्रदेश के मण्डला जिले में विगत कई वर्षों से काम कर रहे हैं। इन स्वयंसेवी संस्थाओं के कामों की जांच पड़ताल करने के लिए शासन प्रशासन के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यही वजह है कि एनजीओ के काम न तो पता चलते हैं और न ही पता होने देते हैं। सरकारी निगरानी से दूर कई एनजीओ मण्डला जिले में काम कर रहे हैे जिनकी जांच अत्यंत जरूरी हो गई है। रिलायंस फाउण्डेशन के नाम पर मण्डला जिले में खासकर ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के व्यक्तिगत व ग्रामीणों के कई सामूहिक कार्य इस फाउण्डेशन के माध्यम से होने की खबर मिल रही है। सूत्रों की माने तो रिलायंस फाउण्डेशन चयनित ग्रामों में जहां पर फाउण्डेशन का गठन हो चुका है वहां तेजी के साथ काम कराने में रूचि नहीं ले रहा है। इस फाउण्डेशन को फण्ड कौन उपलब्ध करा रहा है, यह जांच का विषय हो जाने के बावजूद भी शासन प्रशासन के द्वारा जांचकर जनता के सामने नहीं लाना अत्यंत संदिग्ध लग रहा है। जबकि कई बार इस संबंध में सोशल मीडिया के अलावा प्रिंट मीडिया के माध्यम से लगातार खबरें प्रकाशित कर शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया जा रहा है। शासन प्रशासन से मांग की जा रही है इसके बाद भी इस फाउण्डेशन के सभी कामों की जांच शुरू से लेकर अब तक नहीं की जा रही है। इस तरह के कई एनजीओ और फाउण्डेशन सरकार की पकड़ से दूर होकर काम कर रहे हैं और शासन प्रशासन इन्हें ऐसा करने के लिए पूरा संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर रिलायंस फाउण्डेशन को फण्डिंग कौन कर रहा है? आवंटित धन का कहां कहां कितना उपयोग किया गया है व किया जा रहा है मण्डला में इसका कार्यालय कहां पर है यह भी जांच का विषय हो गया है। किसानों को डेमो के लिए बीज के नाम पर पैसे लिए गए और सिर्फ बीज दिया गया, खाद नहीं दी गई इसके अलावा जो राशि ली गई उसकी कोई रसीद नहीं दी गई। इस तरह की मनमानी मण्डला जिले में रिलायंस फाउण्डेशन के द्वारा की जा रही है। शासन प्रशासन मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं। जनापेक्षा है प्रत्येक ग्राम में मण्डला जिले में रिलायंस फाउण्डेशन के कार्य कराए जाएं लेकिन जो गड़बड़ी चल रही है उसे शीघ्र दूर करते हुए अब तक आवंटित धन की उच्च स्तरीय जांच कराकर जनता के सामने सच्चाई लाई जावे।
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