दैनिक रेवांचल टाईम्स - सिवनी प्रत्येक परिवार को न्यूनतम मूलभूत आवश्यकताओं के साथ प्रतिष्ठापूर्ण जीवन यापन करने का अधिकार है। केन्द्र अथवा राज्य की आवासीय याजनाओं का हितग्रहियों को लाभ मिल सके इसलिए शासकीय भूमि को आवास मद में परिवर्तित कर आवास भू-खण्ड के लिए भूमि प्रदान करती है, जिसके प्राप्त होने पर ही वास्तविक रूप से लाभ प्राप्त हो सकता है। आवासीय भू-खण्ड प्राप्त होने पर शासकीय योजनाओं एवं बैंको से आवास ऋण प्राप्त हो सके। अत: राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र में 'आबादी क्षेत्र' की भूमि पर पात्र परिवारों को आवासीय भू-खण्ड उपलब्ध कराने के लिये भी "मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना" प्रारम्भ की गई है।
लेकिन अधिकतर ग्रामों में आवास मद की भूमि में अतिक्रमण हो गए हैं जिसे अतिक्रमण मुक्त कराने में न तो राजस्व विभाग, न तो ग्राम पंचायत रुचि दिखाती है। परिणाम स्वरूप ग्रामीण कही भी दूर दूर आवास निर्माण कर लेते हैं इधर उधर आवास होने से आगे चलकर विकास कार्य करवाने में बहुत समस्या बनती हैं।
जबकि ग्राम पंचायत को अतिक्रमण को हटाने की शक्तियां पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 56 के तहत दी गई है। पंचायत के प्रस्ताव और समझाइश के बाद भी अतिक्रमणकारी द्वारा कब्जा न हटाने पर राजस्व विभाग के अधिकारी से शिकायत कर आगे की प्रक्रिया की जाती है।
ऐसा ही एक मामला ग्राम पंचायत फुलारा में भी है जहां 2002 में पंचायत के प्रस्ताव से खसरा नंबर 90/1 को जिला कलेक्टर द्वारा आवास भूमि घोषित कर दिया गया था मगर आज तक उस भूमि में आवास निर्माण करने का इंतराज ग्रामीण कर रहे हैं। पंचायत और राजस्व विभाग की अनदेखी के चलते ग्रामीणों को अपना अधिकार नहीं प्राप्त हो पा रहा है।
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