रेवांचल टाईम्स - बालाघाट, वर्षा के मौसम में संक्रामक बीमारियां के फैलने का खतरा अधिक रहता है। इस मौसम में होने वाली बीमारियां खतरनाक साबित हो सकती है। इससे सावधानी बरतने की आवश्यकता है, लापरवाही जानलेवा हो सकती है। इसी परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले की जनता से अपील की गई है कि वह वर्षा ऋतु में होने वाली संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए पूरी सावधानी बरते। सुरक्षा एवं सावधानी ही बीमारियों से बचाव का सही एवं कारगर उपाय है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडेय ने बताया कि वर्षा ऋतु में होने वाली बीमरियों में मुख्य रूप से सर्दी, जुखाम, बुखार, मलेरिया, चिकनगुनिया, हैजा एवं टाइफाइड हो सकते है। सर्दी, जुखाम, बुखार से बचने के लिए बारिश में ज्यादा देर तक न भीगे, भीगने से बचे, भीगने पर शरीर को साफ कपड़े से पौछे तुरंत कपड़े बदले। मलेरिया से बचने के लिये अपने घर के आसपास गड्ढा न होने दें, अगर गड्ढा हो तो, उसमें पानी एकत्र न होने दें। हैजा से बचने के लिए घर के आसपास सफाई रखें, गंदा पानी उपयोग में न लायें, पानी को छानकर या उबालकर उपयोग करें। टाइफाइड खतरनाक बीमारी में से एक है। यह संक्रमित जल व दूषित भोजन से होता है। इस बीमारी में तेज बुखार आता है एंव कई दिनों तक रहता है। इस बीमारी का वायरस संक्रमण रोगी के पित्ताशय में रहता है। टाइफाइड के मरीज से दूर रहना चाहिए और चिकित्सक से दवा लेनी चाहिए। सीएमएचओ डॉ पांडेय ने आमजन से अपील की है कि वर्षा ऋतु के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाव जरूरी है। अगर बचाव न किया जाये तो यह खतरनाक हो सकती है। इसलिए कोई भी बीमारी होने पर चिकित्सक को अवश्य दिखायें, जिससे रोग की पहचान की जा सके।
हीमोग्लोबिन की जांच जरूरी
एनीमिया के बचाव के लिये हीमोग्लोबिन की जांच जरूरी है । एनीमिया (खून की कमी) इसकी सही समय पर पहचाना नहीं की जाये तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते है। शारीरिक विकास में बाधा गंभीर रोग हो सकते है। गर्भावस्था में तो एनीमिया के कारण गर्भवती की जान का जोखिम भी हो सकता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडेय ने आम जन से कहा है कि एनीमिया से बचाव के लिए सही समय पर खून की जांच करायें और उसका उपचार करायें। गर्भवती मातायें अपनी हीमोग्लोबिन जांच के साथ-साथ खान-पान का विशेष ध्यान रखें और गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने पर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। यदि किसी महिला में खून की कमी है तो उसे आयरन की गोली दी जाती है, गर्भवती महिला को समय से भोजन लेना चाहिए। भोजन के साथ में फल, हरी सब्जियां, दालें व पोषक तत्व युक्त आहार लेना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा।
डॉ पांडेय ने बताया कि एनीमिया की पहचान हीमोग्लोबिन लेबल जांच करने के बाद की जाती है। हीमोग्लोबिन लेबल 12 ग्राम से ज्यादा है तो एनीमिया नहीं माना जाता है। हीमोग्लोबिन लेबल 07 से 10 ग्राम है तो उसे मोडरेट एनीमिया कहते है। जिसे खान-पान और आयरन की गोली द्वारा ठीक किया जा सकता है। हीमोग्लोबिन लेबल 07 ग्राम से नीचे होने पर उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है, जिसकी जांच कर उपचार कराना आवश्यक है। यह जांच सभी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र में नि:शुल्क की जाती है।
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