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Saturday, June 18, 2022

आषाढ़ अमावस्या व्रत के नियम: आषाढ़ी अमावस्या पर करें पितरों का तर्पण, मिलेगी सुख शांति और अपार धन



रेवांचल टाईम्स: हिंदू धर्म में न जानें ऐसी कितनी तिथियां हैं जिनका व्रत रखने से जीवन में सुख, संपत्ति, यश, वैभव, ऐश्वर्या आदि की प्राप्ति हो सकती है. उन्हीं में से एक है अमावस्या की तिथि. आषाढ़ महा की अमावस्या पितरों को समर्पित है. इस दिन पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध क्रम के लिए विशेष पूजा की जाती है. ऐसे में इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करके स्नान दान और तर्पण किया जाता है. आषाढ़ अमावस्या के दिन व्रत रखने के कुछ नियम होते हैं, जिनके बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख उन्हीं नियमों पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आषाढ़ अमावस्या पर कौन से नियम रखे जा सकते हैं. पढ़ते हैं आगे…

आषाढ़ अमावस्या शुभ मुहूर्त

आषाढ़ माह की शुरुआती तिथि – 15 जून
आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत – 28 जून, 2022 दिन मंगलवार समय 5:52 मिनट
आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि का समापन – 29 जून, 2022 दिन बुधवार समय 8:21 मिनट

आषाढ़ अमावस्या के व्रत नियम

  1. आषाढ़ अमावस्या के दिन सूर्य देव से पहले उठें. स्नान आदि करने के बाद सूर्य देव भगवान को जल अर्पण करें.
  2. अब सूर्य देव भगवान के सामने हाथ ऊपर करके 10 बार गायत्री मंत्र का जाप करें और उसके बाद व्रत का संकल्प लें.
  3. अब अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करने के लिए विधिवत पूजा करें.
  4. मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन शिव मंदिर में पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है. वहीं इस दिन दान करने से पितर खुश भी होते हैं व वंश को सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

नोट – इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है.रेवांचल टाईम्स  इसकी पुष्टि नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से संपर्क करें.

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