अंतरराष्ट्रीय कैंसर रिसर्च एजेंसी ने स्मार्ट फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रो मैग्नेटिक विकिरणों को कार्सिनोजन यानि कैंसरकारी तत्वों की श्रेणी में रखा. ICRA ने चेतावनी दी है कि स्मार्ट फोन का अधिक इस्तेमाल कान और मस्तिष्क में ट्यूमर पनपने की वजह बनता है. आगे चलकर इसके कैंसर का रूप लेने की संभावना बढ़ती है. साल 2014 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, स्मार्ट फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रो मैग्नेटिक विकिरणों का नपुंसकता से सीधा संबंध है.
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि पैंट की जेब में स्मार्ट फोन रखने से शुक्राणुओं का उत्पादन घटता है. इसके अलावा अंडाणुओं को निषेचित करने की गति भी धीमी पड़ जाती है. यदि आप फोन को तकिये के नीचे रखकर सोते हैं तो तुरंत ही इस आदत को छोड़ दें. ऐसा करने से आपका स्मार्ट फोन फट सकता है
वहीं, साल 2017 में इजरायल की हाइफा यूनिवर्सिटी के अध्ययन में कहा गया कि सोने से आधे घंटे पहले स्क्रीन का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. शोधकर्ताओं ने कहा कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर तथा टीवी की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी ‘स्लीप हार्मोन’ मेलाटोनिन का उत्पादन बाधित करती है. इससे लोगों को सोने में दिक्कत आने लगती है.
No comments:
Post a Comment