रेवांचल टाईम्स - सोशल मीडिया में एक तस्वीर देखी जिसमे एक प्रोफेसर गुस्से में एक फल वाले का नुकसान करती दिखी जो अशोभनीय है, जब भी हम एक उचित समाज की परिकल्पना करते हैं तो उस समाज में शिष्टाचार और सभ्यता की अपेक्षा करते है और शिष्ट होने के लिए जरूरी है अच्छा आचरण जो हमें संस्कार और शिक्षा के माध्यम से मिलते है , सिर्फ अच्छी शिक्षा और उत्तम तालीम से हम शिष्ट नही होते अपितु अच्छे संस्कारों से हम में शालीनता और सभ्यता आती है जो एक मानव के द्वारा सामाजिक उत्थान में कारगर है , युवाओं को यह समझना जरूरी है की भारतीय संस्कृति में अच्छे आचरण के लाभ क्या हो सकते है , आज हम देखते है रिश्ते एक पतली डोर की तरह टूट जाते है और इसकी यदि हम सूक्ष्मता से देखे तो अभद्र आचरण इसका कारण देखा गया है , बनते हुए काम कई बार एक बुरे आचरण की वजह से सफल नही हो पाते और सबसे महत्वपूर्ण बात एक बुरा व्यवहार द्वेष एवं नकारात्मकता को जन्म देता है जो धीरे धीरे समाज मैं फैलती है और आने वाली पीढ़ियों तक इसका प्रभाव होता है । अंत में यह समझना होगा की एक अच्छा समाज एक अच्छे आचरण से , मधुर व्यवहार से और एक शिक्षित संस्कारी स्वभाव से ही संभव है और समाज का उत्थान ही देश का उत्थान है ।
जय हिंद
लेखक
प्रोफ. पर्व परमार
No comments:
Post a Comment