बैकुंठ विजेता रावण परम पराक्रमी और बलशाली था. वह तीनों लोकों का स्वामी बनने की ख्वाहिश रखता था, जिसके लिए वह सेना ही नहीं पुत्र भी मनचाही शक्तियों से लैस चाहता था.
Ramayan : बैकुंठ विजेता रावण परम पराक्रमी और बलशाली था. वह तीनों लोकों का स्वामी बनने की ख्वाहिश रखता था, जिसके लिए वह सेना ही नहीं पुत्र भी मनचाही शक्तियों से लैस चाहता था. इसके लिए उसने सभी ग्रह नक्षत्रों की स्थिति बदल डाली. इससे त्रिलोक में हाहाकार मच गया. अधिकांश ग्रह उसकी शक्ति और पराक्रम के आगे हार मान गए.
वह एक असीम गति वाला था, उसने किसी से भी तेज होने की तकनीक में महारथ हासिल कर ली थी. इसीलिए वह किसी की भी कैद से बच जाता था. रावण ज्योतिष और राजनीतिशास्त्र का प्रकांड पंडित और इतना शक्तिशाली था कि वह ग्रहों की स्थिति भी बदल सकता था.
बेटे मेघनाद के जन्म के दौरान रावण ने सभी ग्रहों को बेटे के ग्यारहवें घर में रहने का निर्देश दिया था, लेकिन शनि या शनि गृह ने ऐसा करने से मना कर दिया और वे बारहवें घर में स्थापित रहे. शनि देव के इस व्यवहार के कारण रावण ने उन्हें गिरफ्तार कर कारावास में डाल दिया था. इसके चलते खुद इंद्र घबरा गया. उन्होंने त्रिदेवों से रक्षा की गुहार लगाई.
इसी तरह उसके पास भाई कुबेर से छीना पुष्पक विमान था, जिसे कुछ ही लोग नियंत्रित कर सकते थे. मगर रावण ने अपने दम पर इसे नियंत्रित करना सीख लिया था. रावण के पास इस तरह के कई विमान बताए जाते थे, जिन्हें उतारने के लिए हवाई अड्डे भी थे. आज भी महियांगना में वैरागनटोटा, गुरुलुपोथा, होर्टन मैदानों में थतूपोल कांदा, कुरुनेगाला में वारियापोला आदि जगहों को हवाई अड्डे के रूप में देखा जाता है. रावण एक असाधारण वीणा वादक भी था, माना जाता है कि उसे संगीत में गहरी रुचि थी.
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