रेवांचल टाईम्स :- वर्षो से फायदे में चले रहे मध्य प्रदेश पर्यटन मोटल गाजीपुर मण्डला को घटा बता कर निजी हाथों में सौपने की पूरी तैयारी की जा चुकी है।
वही जिले की एक मात्र पर्यटन मोटल जो मण्डला गाजीपुर जो निवास विधायक सभा क्षेत्र में संचालित है अब इस पर्यटन मोटल को मध्यप्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने निजी हाथों में सौपने की तैयारी कर रही है ऐसा आम चर्चाओं में चल रहा था लेकिन इस बात पर मोहर तब लग गई जब पर्यटन विभाग द्वारा 90 वषों के लिए लीज पर ठेकेदार को देने के लिए निविदा निकली गई जिसका NIT No. 833/MPT दिनांक 23/12/2020 में प्रकाशित किया गया है। वही इसके पीछे का कारण बताया गया कि यह पर्यटन मोटल घाटे पर चल रहा है वही जब घाटे वाली बात को लेकर विभाग के कर्मचारियों पूछा गया की क्या सच में पर्यटन मोटल गाजीपुर मण्डला घाटे में चल रहा है तो इस पर कर्मचारियों का चौकाने वाला जवाब था, उनका कहना था कि पर्यटन मोटल कभी भी घाटे पर नही रही है प्रतिवर्ष लगभग एक से डेढ़ करोड़ के फायदे में ही संचालित हो रही है। वही इस बात जानकारी लगते ही निवास विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने इस निजीकरण का विरोध किया साथ ही प्रमुख सचिव पर्यटन विभाग को पत्र लिखकर बताया की जिस पर्यटन मोटल को घाटे में बता कर निजी हाथों में देने की तैयारी की जा रही है यह पर्यटन मोटल कभी भी घाटे में नही रहा साथ ही 13, 14, वर्षो से लगभग 1.5 करोड़ मुनाफ़े में ही चल रहा है
सैलानियों को होगी असुविधा, वसूल की जाएगी अधिक शुल्क
जिले में एक मात्र शासकीय पर्यटन मोटल है जहां पर कान्हा नेशनल पार्क, सहस्त्रधारा जल प्रपात, रामनगर प्राचीन किले, काला पहाड़ आदि ऐतिहासिक दार्शनिक स्थाल हैं जिन्हें देखने आये सैलानी एवं व्हीआईपी ठहरते हैं। सतत लाभ के बाद भी इसको बेचना या निजी निजी हाथों में देना आश्चर्य भरा निर्णय है। वही डॉ मर्सकोले से बताया कि की उक्त मोटल का इससे पहले भी निजी हाथों में देने के टेंडर जारी हुए थे जिसको लेकर हमारे द्वारा विवेक तनखा जी के संज्ञान में लाकर उस टेंडर को रुकवाया गया था। अब फिर से भोपाल में बैठकर बिना लोकल जनप्रतिनिधि और प्रशासन के संज्ञान के बिना ही निजी हाथों में देने कि पूरी तैयारी कर लिया गया है वही सूत्रों कहना है कि यह टेंडर ग्वालियर के ठेकेदार को 3 करोड़ में दे दिया गया है।
निजी हाथ, वसूली जायेगी अधिक शुल्क, धूमिल होगी जिले का नाम
वही डॉ मर्सकोले का कहना है यदि एमपीटी को निजी हाथों पर दिया जाता है तो जिस ठेकेदार को टेंडर मिला है वो अपना शुल्क निर्धारित करेगा वही शासन द्वारा निर्धारित की गई शुल्का से अतिरिक्त राशि की वसूली किये जाने संभावनाएं होगी। जैसा कि आए दिन समाचार पत्रों के माध्यम से ठेकेदारों द्वारा मनमानी वसूली की खबरें प्रकाशित होती है। ऐसी स्थिति में मण्डला जिले की छवी धूमिल होने की संभावनाएं रहेगी साथ ही पर्यटन मोटल में कार्यरत सैकड़ों कर्मचारी बेरोजगार हो जायेगें। हम किसी भी स्थिति में लाभ में चल रहे मंडला जिले के एक मात्र पर्यटन मोटल एमपीटी को निजी निजी हाथों नही देने देंगे जोरदार विरोध किया जायेगा। साथ ही बिना सहमति के निजी निजी हाथों को चलाने देंगे,
मंडला की बुद्धिजीवी जनता और प्रशासन से इस हेतु सहयोग और समर्थन चाहता हूं, मैं जिले की जनता को बताना चाहता हूँ कि यह कृत्य बहुत बड़ी साजिश के तहत भोपाल से ही कुछ अधिकारी और संवैधनिक पदों पर बैठे नेताओ ने अपने चहेते रसूखदार लोगो को लाभ पहुचाने के लिए लाभ में चल रहे संपत्ति को घाटा बताकर अपने रसूखदारो के सामने नादमस्तक हो गए। और ऐसी कई बड़ी-बड़ी सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों मे दिया जा रहा है अत: मैं सरकार अपील करता हूँ कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश पर्यटन मोटल गाजीपुर मण्डला को लीज पर देने निविदा जारी की गई उस निविदा को तत्काल निरस्त किया जाएं।
सच के साथ है।
ReplyDeleteसरकार को आम जनता की सोच रख काम करना चाहिए सब कुछ प्रायवेट करोगे तो गरीब मध्यमवर्गीय बहुत परेशान होगा