रेवांचल टाईम्स :- आदिवासी बाहुल्य जिला मण्डला के अंतर्गत आने वाले नगर से लेकर गाँव गाँव में भू माफ़िया सक्रिय है और जिला प्रशासन के जिम्मेदार लोग चंद रुपये की लालच में और अपने निजी स्वार्थ के चलते गाँधी जी के तीन बंदर की तरह काम कर रहै वही जिले में सक्रिय भू माफियाओं के द्वारा शासकीय भूमि से लेकर कृषि भूमि तक मे कालोनियाँ काटी जारही है पर जबाबदारो को देखने तक कि फुर्सत नही है या कहे कि जिला प्रशासन में बैठे जिम्मेदार लोगों की ही सहमति से ये सब कार्य किया जा रहा है क्योंकि इस जिले में जनप्रतिनिधि तो कुछ कहना या करना चाहते ही नही है।
वही विकास खंड बिछिया में लगातार आदिवासियों की कृषि भूमि को गैर आदिवासी भू माफिया के द्वारा आदिवासी युवक युक्तियों के नाम ओने पोने दाम पर खरीद कर आदिवासियों को कंगाल करने की पूरी कोशिश की जा रही है। आपको बता की बिछिया के एक भू माफिया के द्वारा लगातार आदिवासियों की कृषि भूमियों को निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही बहुत ही कम कीमतों में खरीद कर उस भूमि को जगह जगह कॉलोनी बना कर प्लाटिंग की जा रही है और टुकड़ो में बेचकर करोड़ों रुपये कमाने का जरिया बना लिया गया है। साथ ही सरकार को करोड़ो रुपए का चुना लगाया जा रहा है।
भूमि आदिवासी का, नाम आदिवासी का, लेकिन पैसा गैर आदिवासी भू माफिया का
आपको बता दे की ये भू माफिया लगातार आदिवासियों के कृषि भूमि को भू माफियाओं के द्वारा निशाना बना रहे है वही जिन 4, 5, आदिवासी व्यक्ति के पर लगातार करोड़ों की जमीन खरीदी जा रही है उनमें से कुछ व्यक्ति की मालिहालत बिल्कुल भी ठीक नही है उन व्यक्तियों महीने की आमदनी लगभग 5 से 6 हजार के आसपास होगी। साथ ही कुछ ऐसे व्यक्ति है जिनके नाम पर जमीन खरीदी जा रही है जो पेशे से सरकारी कर्मचारी है इन सरकारी कर्मचारियों की भी उतनी वेतन की है कि ये करोड़ो की जमीन लगातार खरीद सके। फिर भी इनके नाम राजस्व रिकॉर्ड में करोड़ो की भूमि दर्ज है। इन व्यक्तियों के मालिहालत ठीक नही होने के बाद भी 4, 5, सालों में करोड़ो की जमीन कैसे खरीद लिए। ये वाकई सोचनीय विषय है। महीने की 5 से 6 हजार पाने वाला व्यक्ति इन चार पांच सालों में 1 से 2 करोड़ की भूमि कैसे हासिल कर सकता है। वही उन सरकारी कर्मचारी जिनके नाम से भी इन चार-पाँच सालों में लगभग 3 से 4 करोड़ की जमीन राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है जो अभी हाल ही में खरीदी गई है जो जाँच का विषय है
अधिकारियों के मिलीभगत से हो रहा है आदिवासियों की कृषि भूमि का सौदा
सूत्रों की मुताबिक ये भू माफिया और अधिकारियों की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है सूत्रों से जानकारी मुताबिक आज से करीब 2 साल से पहले तहसील कार्यालय से कॉलोनी समन्धित राजस्व कार्य करने के ऐवज में ये भू माफिया ने एक अधिकारी को अपने ही कॉलोनी में एक प्लाट भी दिया गया है। वर्तमान में भी इस भू माफिया को अधिकारियों की लगातार मदद मिल रही है। जिससे भू माफिया का हौसले बुलंद है साथ लगातार अवैध तरीके से कामो को अंजाम दे रहे है अब देखना होगा कि संबंधित राजस्व विभाग ऐसे माफिया के द्वारा क्या करवाई करती है
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