रेवांचल टाईम्स :- अपनी मध्य प्रदेश सरकार को कितना नीचा देखना पड़ रहा है, मारे शर्म के उसका सर झुका जा रहा है, उसे लग रहा है कि इसी समय धरती फट जाए और वो धरती में समां जाएl वैसे शर्म लगने वाली बात तो है ही, बड़ी बड़ी बातें करती थी ये सरकार ' दरुओं ' के लिए पर अब पोल खुली कि उत्तर प्रदेश में, महाराष्ट में हर एक लाख दरुओं के बीच डेढ़ से लेकर दो दर्जन दुकाने हैं और अपने प्रदेश में एक लाख दरुओं के बीच कुल जमा चार दुकाने, बहुत नाइंसाफी है इन दरुओं के साथ, जो प्रदेश का खजाना भरने में अपनी पूरी जमा पूँजी लुटाये पड़े हैं और सरकार को इनका ध्यान नहीं है लेकिन अब सरकार को 'बुद्ध ज्ञान' सा हो गया है कि हमारे प्रदेश के दरुये बेचारे कितना कष्ट उठा रहे है कई कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है एक 'बोतल' के लिए, इसलिए अब सरकार के गृह मंत्री अपने नरोत्तम मिश्रा जी ने साफ़ साफ़ कह दिया है कि प्रदेश में उत्तर प्रदेश और दूसरे प्रदेश के मुकाबले में दारू की दुकानें काफी कम हैं इनकी तकलीफ हम से देखी नहीं जाती इसलिए सरकार अब और दुकानें खोलने के बारे में सोच रही है इधर आबकारी अफसरों ने भी सरकार को सलाह दे दी कि हुजूर ज्यादा दुकानें खोलेंगे तो सरकार को टैक्स भी ज्यादा मिलेगाl सरकार हमेशा से ही 'भोली भाली' रही है उसे अफसरों के पेंच कम ही समझ में आते हैं वो ये समझ ही नहीं पाती कि अफसर इसलिए दुकाने खुलवाना चाह रहे हैं क्योकि जितनी ज्यादा दुकानें होंगी उतना ज्यादा माल सरकार में आये न आये पर उनकी जेबें मोटी होती जाएगीl हर दुकान से अभी जो महीना मिलता हैं है वो ज्यादा दुकानें खुलने से और भी ज्यादा हो जाएगा l दरुये मरे गड़े उससे किसी को क्या लेना देना है अपना राजस्व बढ़ना चाहिए, घर बर्बाद होते हैं तो होते रहे इससे सरकार को क्या लेना देना है lजब ज्यादा हल्ला मचा तो सरकार ने नई स्कीम बतला दी कि असल में कम दारू की दुकानों के कारण अवैध शराब का धंधा जोर पकड़ता है इसलिए जब वैध शराब मिलने लगेगी तो लोग बाग़ अवैध शराब नहीं खरीदेंगे और पीकर मरेंगे भी नहीं ,अपने को तो एक बात समझ से बाहर हैं कि ये इतना बड़ा अमला आबकारी विभाग और पुलिस क्या घास छीलने के लिए बैठा है, रोको न अवैध शराब को पर रोके तो रोकें कैसे एक एक अवैध शराब बनाने वालों से हर महीना बंधी बंधाई रकम जो मिलती हैं और जब इंसान को रकम मिलती है तो उसकी आँखे अपने आप मुंद जाती हैं उसे नोट के अलावा और कुछ नहीं दिखाई देता l लेकिन मध्य प्रदेश सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा जी के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भांजी मार दी उन्होंने साफ़ साफ कह दिया कि जितने भी भाजपा शासित प्रदेश हैं उनमें शराबबंदी के लिए वे अभियान चलाएंगी और इसकी शुरुवात मध्य प्रदेश से करेंगी अब अपने 'मामा' के सामने भारी धर्म संकट खडा हो गया है कि वे किसकी बात माने अपने गृह मंत्री की या पूर्व मुख्यमंत्री की, मामा सोच में हैं और कितने दिन सोच विचार करते हैं ये देखना दिलचस्प होगा
एक सर्वे ये भी
हाल ही में एक सर्वे सामने आया है इसमें कहा गया है कि महिलाएं अपने खाना बनाने के टाइम में कटौती करना चाहती हैं क्योकि खाना बनाने में जितना वक्त जाया होता है उतने में वे दूसरा काम कर सकती हैं l अब ये दूसरे काम कौन से है ये तो नहीं बताया नहीं गया पर माना ये जा रहा है कि किटी पार्टी, पड़ोसन की बुराई, सास बहू के सीरिअल जैसे काम में वो अपना खाना बनाने से बचे वक्त को लगाना चाहती हैं अब तो वैसे भी खाना बनाने में वक्त लगता ही कँहा है अधिकतर घरों में बाइयाँ खाना पका रही है जंहा बाईयां नहीं है वंहा गैस, कूकर, माइक्रो वेब जैसे साधन उपलब्ध हैं जो मिनिटों में खाना पका देते हैं l पुराने ज़माने की महिलाओं को देखती अगर ये सर्वे में शामिल महिलायें तो उनके तो होश ही फाख्ता हो जाते, कैसे जमीन पर बैठकर 'बटुए' में दाल चावल बनाया जाता था चूल्हे में रोटी बनाना और सेंकना, पहले लकड़ी डाल के चूल्हा जलाना पड़ता था या फिर बुरादे की सिगड़ी में बुरादा भरकर उसमें मिट्टी के तेल की मदद से आग लगाई जाती थी कहीं कहीं सिगड़ी में पत्थर का कोयला जिसे 'कन्डी कोयला' भी कहा जाता था में ही खाना बनता था महिलायें सुबह से खाने की तैयारी में जुट जाती थी और दोपहर बाद सबको खाना खिलाकर खुद खाना खाने के बाद फुरसत हो पाती थीं और शाम होते होते फिर रात वाले खाने की तैयारियों में जुट जाती थीं आजकल की महिलाये इतने में ही घबरा गईं वैसे ठीक भी है अब जमाना भी बदल गया है इसलिए उनका सोचना भी ठीक ही है लेकिन बचे हुए समय का उपयोग यदि वे किसी अच्छे काम में लगाएंगी तो अच्छा होगा पर महिलाओं का 'टेम्परामेंट' जैसा है उससे ये उम्मीद करना ठीक नहीं होगा
सुपर हिट ऑफ़ द वीक
'सुनते हो आपका दोस्त एक पागल लड़की से शादी करने जा रहा है है आप उसे रोकते क्यों नहीं हो' श्रीमती जी ने श्रीमान जी से कहा
'मैं क्यों रोकू उस दोस्त को, उसने मुझे रोका था क्या ' श्रीमान जी ने उत्तर दिया
चैतन्य भट्ट
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