रेवांचल टाईम्स :- शासन की विकासोन्मुखी योजनाओं से कोशो दूर है बैगा परिवार आज भी मध्यप्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार ऐसी अनेको बहुआयामी योजनाओं से कोसो दूर बैगा जनजाति के परिवार आज भी अपनी मुफलिसी भरी बद से बत्तर गुमनामी जिन्दगी जीने के लिए मजबूर है ग्राम पंचायत की निष्क्रियता के चलते बैगा जनजाति के परिवार गरीबी, शिक्षा , स्वास्थ्य एव शासन की लचर व्यवस्था के चलते तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं से अनभिज्ञ है।शासन की मूलभूत विकासोन्मुखी तमाम योजनाओ एव बैगा जनजाति के सर्वागीण विकास के नाम से करोड़ो रूपये के कागजी योजनाओ से अछूते बैगा परिवार आज भी स्वयं के भरोसे से जीवन यापन कर रहे हैं राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली के समीप वर्ती ग्राम पंचायत राता के बैगा बहुल्य गाँव कपोट बहरा से इन दिनों रोजगार की तलाश मैं गाँव के गाँव बैगा परिवार के गरीब वशिन्दे अपने साथ छोटे छोटे बच्चों को लेकर महाराष्ट्र शहर के विभिन्न कस्बों मैं काय॔ करने के लिए बड़ी संख्या मैं पलायन करने को मजबूर दिखाई दे रहे हैं। इन्हें स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायत राता मैं ऐसा कोई भी रोजगार मूलक स्थाई काय॔ नहीं मिलने के कारण आज बैगा परिवार के गरीब मजदूरों गाँव छोड़कर बाहर पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं गत दिनों मुख्य सड़क मार्ग कान्हा- चिरईड़ोगरी पर बड़ी संख्या मैं बाहर जाने के लिए खड़े गरीब बैगा परिवार के सदस्यों ने बताया कि ग्राम पंचायत राता मैं चारों तरफ रोजगार मूलक काय॔ बन्द है, बैगा परिवार के समक्ष जीवोकापार्जन की विकराल समस्या सामने खड़ी है इन्हें रोजगार मूलक काय॔ नहीं मिल रहा है ग्राम पंचायत के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों का भी ग्राम विकास एवं बैगा बस्ती के विकास की ओर बिलकुल नहीं है। यहाँ पर कपोट बहरा मैं चारों तरफ समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है किन्तु पंचायत के द्वारा शासन एवं प्रशासन के नियम निर्देशों को बलाय ताक पर रख मन मर्जी के मुताबिक निर्माण कार्यों को कहाँ पर कर रहे हैं ऐसी तमाम बातों और शासन की बहुआयामी कल्याणकारी योजनाओं से बैगा परिवार आज भी अनभिज्ञ दिखाई दे रहे हैं एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा बैगा परिवार के चहुमुखी विकास की बातें करते थकती नहीं है वहीं कपोट बहरा के बैगा परिवार आज रोजगार की तलाश मैं दूसरे राज्यों की ओर पलायन करने को विवश है। कपोट बहरा के बैगा परिवार के सदस्यों ने दैनिक देशबन्धु को बताया कि इन्हें नेशनल पार्क कान्हा से स्थापित कर के यहाँ पर ग्राम पंचायत राता मे बसाया गया है किन्तु शासकीय योजनाओं से कोसो दूर आज भी बैगा परिवार अपनी मुफलिसी की जिन्दगी जीने के लिए मजबूर दिखाई दे रहे हैं । जिला प्रशासन के जिम्मेदार शासकीय तंत्र का भी इस ओर समुचित ध्यान आकर्षित नहीं होने के कारण कपोट बहरा के बैगा परिवार आज अपने झोपड़ी नुमा घरों की चहार दीवारों को छोड़ कर अपने जन बच्चों के साथ बाहर पलायन कर रहे हैं यहाँ के बैगा परिवार के सदस्यों का कहना है कि शासन बैगा परिवार के विकास के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च कर बैगा जनजाति के परिवार का जीवन स्तर उठाने का प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर शासन की योजना से वंचित बैगा जनजाति परिवार टपरे के मकान मैं रहने को मजबूर है जिसे आज तक शासन की योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। शासन की ऐसे अनेको जन कल्याणकारी योजनाओं से वंचित बैगा जनजाति को अपने स्वयं के भरोसे जीवन जीने के लिए छोड़ दिया गया है । कपोट बहरा गाँव उबड़ खाबड़ घने जंगलों के बीचो बीच बसा हुआ है जहाँ पर जिला प्रशासन के जिम्मेदार शासकीय तंत्र बहुत ही कम पहुँचते हैं, पंचायत के द्वारा जो योजनाओं को मूर्त रूप देने का प्रयास किया गया वह आज भी यहाँ पर आधे अधूरे दिखाई दे रहे । मनरेगा योजना अंतर्गत भी यहाँ पर रोजगार मूलक काय॔ पूर्णतः बन्द होने के कारण गरीब बैगा जनजाति के लोग लगातार बाहर पलायन कर रहे हैं ।
जिला कलेक्टर मण्ड़ला एवं संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से जन माँग की गई है कि ग्राम कपोट बहरा से लगातार दूसरे राज्यों की तरफ पलायन कर रहे बैगा जनजाति को स्थानीय स्तर पर रोजगार मूलक काय॔ दिलवाया जाये जिससे बैगा जनजाति शासन की विकासोन्मुखी योजनाओं से लाभान्वित हो सके
रेवांचल टाइम्स से राजा विश्वकर्मा नैनपुर की खबर
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