रेवांचल टाइम्स नैनपुर - 21 जनवरी को वीर सपूत हेमू कालाणी जी के शहीद दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष अनुसार गुरुवार की शाम 6:00 बजे बुधवारी बाजार में नपा उपाध्यक्ष कासिम पार्र्षद शंकर सायरानीसतनारायण खंडेलवाल, कन्हैया चावला एवं सिंधी समाज ने अमर शहीद हेमू कलाणी जी के चित्र पर कैंडल प्रज्वलित व फूलमाल्यार्पण कर शत शत नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उपस्थित जनों ने भी फूल माला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी ।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए बताया की ऐसे किशोरावस्था में देश के प्रति बलिदान देने वाले ऐसे वीर सपूत अमर शहीद हेमू कालाणी जैसे वीर युवा भारत भूमि में बार बार जन्मे उनके द्वारा देश के प्रति किए गए बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा आगे बताया कि
स्वतंत्रता संग्राम में भारत माता के अनगिनत सपूतो ने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत माता को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराया | आजादी की लड़ाई में भारत के सभी प्रदेशो का योगदान रहा | अंग्रेजो को भारत से भगा कर देश को जिन वन्दनीय वीरो ने आजाद कराया उनमे सबसे कम उम्र के बालक क्रांतिकारी अमर शहीद हेमू कालाणी (Hemu Kalani) को भारत देश कभी नही भुला पायेगा |
बचपन से ही क्रांतिकारी गतिविधियां में रहा रुख
हेमू कालाणी सिन्ध के सख्खर (Sukkur) में २३ मार्च सन् १९२३ को जन्मे थे। उनके पिताजी का नाम पेसूमल कालाणी एवं उनकी माँ का नाम जेठी बाई था।वे बचपन से साहसी तथा विद्यार्थी जीवन से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रहे | हेमू कालाणी जब मात्र 7 वर्ष के थे तब वह तिरंगा लेकर अंग्रेजो की बस्ती में अपने दोस्तों के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों का नेतृत्व करते थे |1942 में 19 वर्षीय किशोर क्रांतिकारी ने “अंग्रेजो भारत छोड़ो ”नारे के साथ अपनी टोली के साथ सिंध प्रदेश में तहलका मचा दिया था और उसके उत्साह को देखकर प्रत्येक सिंधवासी में जोश आ गया था |Hemu Kalani हेमू समस्त विदेशी वस्तुओ का बहिष्कार करने के लिए लोगो से अनुरोध किया करते थे शीघ्र ही सक्रिय क्रान्तिकारी गतिविधियों में शामिल होकर उन्होंने हुकुमत को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रियाकलापों में भाग लेना शूरू कर दिया अत्याचारी फिरंगी सरकार के खिलाफ छापामार गतिविधियों एवं उनके वाहनों को जलाने में हेमू सदा अपने साथियों का नेतृत्व करते थे
अंग्रेजों के छुड़ाए छक्के, साहस रहा बुलंद हेमू ने अंग्रेजो की एक ट्रेन ,जिसमे क्रांतिकारियों का दमन करने के लिए हथियार एवं अंग्रेजी अफसरों का खूखार दस्ता था | उसे सक्खर पुल में पटरी की फिश प्लेट खोलकर गिराने का कार्य किया था जिसे अंग्रेजो ने देख लिया था | 1942 में क्रांतिकारी हौसले से भयभीत अंग्रजी हुकुमत ने Hemu Kalani हेमू की उम्र कैद को फाँसी की सजा में तब्दील कर दिया | पुरे भारत में सिंध प्रदेश में सभी लोग एवं क्रांतिकारी संघठन हैरान रह गये और अंग्रेज सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया | हेमू को जेल में अपने साथियों का नाम बताने के लिए काफी प्रलोभन और यातनाये दी गयी लेकिन उसने मुह नही खोला और फासी पर झुलना ही बेहतर समझा भारतवर्ष में पुनः जन्म लेने की जताई आखरी इच्छा
जब वे किशोर वयस्क अवस्था के थे तब सन् १९४२ में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया तो हेमू इसमें कूद पड़े। १९४२ में उन्हें यह गुप्त जानकारी मिली कि अंग्रेजी सेना हथियारों से भरी रेलगाड़ी रोहड़ी शहर से होकर गुजरेगी. हेमू कालाणी अपने साथियों के साथ रेल पटरी को अस्त व्यस्त करने की योजना बनाई। वे यह सब कार्य अत्यंत गुप्त तरीके से कर रहे थे पर फिर भी वहां पर तैनात पुलिस कर्मियों की नजर उनपर पड़ी और उन्होंने हेमू कालाणी को गिरफ्तार कर लिया और उनके बाकी साथी फरार हो गए। हेमू कालाणी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई. उस समय के सिंध के गणमान्य लोगों ने एक पेटीशन दायर की और वायसराय से उनको फांसी की सजा ना देने की अपील की। वायसराय ने इस शर्त पर यह स्वीकार किया कि हेमू कालाणी अपने साथियों का नाम और पता बताये पर हेमू कालाणी ने यह शर्त अस्वीकार कर दी। २१ जनवरी १९४३ को उन्हें फांसी की सजा दी गई। जब फांसी से पहले उनसे आखरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने भारतवर्ष में फिर से जन्म लेने की इच्छा जाहिर की। इन्कलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय की घोषणा के साथ उन्होंने फांसी को स्वीकार किया।
कार्यक्रम मे उपस्थित रमेश लालवानी,चंदिराम ,जमीयतराय कोटवानी,सुदामा बोधानी,हरेश नागरानी,कैलाश कटियार,तपन गाजरानी, राजकुमार चयानी, राजू पंजावानी,रूपेश कटियार,हरि नागपाल,रामकुमार चौरसियाकन्हैयाझरिया,सुनील विश्वकर्मा,बेनी पटेल,विनय विजयनामदेव,हेमू कलानी चौक के सम्मानितव्यापारी,जुगल बघेल एवं सिंधी समाज के युवा व बुधवारी बाजार हेमू कालाणी चौक के सम्मानित व्यापारी बंधु आदि उपस्थित रहे।
रेवांचल टाइम्स से राजा विश्वकर्मा नैनपुर की खबर
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