रेवांचल टाईम्स - रात के अंधेरे से शुरू हुआ रेत चोरी का काम अब देवहरा चौकी के अभयदान से दिन दहाड़े होने लगा।
जुड़मानी की धार में ट्रैक्टर और डग्गी की धमा चौकड़ी धनपुरी थाना अंतर्गत शहडोल और अनूपपुर की सीमा को अलग करने बाली बेम्हौरी-गरफदिया क्षेत्र मे जुड़मानी नदी जिसको जिंदा नाला के नाम से भी जाना जाता है जिसके आसपास शहडोल की तरफ से बेम्हौरी, गरफदिया, बंडी और अनूपपुर की तरफ से पटना, घिरौल, तुम्मीवर, डोंगराटोला आदि गांव स्थित है।
जहां उक्त सभी गांवों के अलग- अलग घाटों और पुलियों के पास ट्रैक्टर लगाकर रेत का अवैध उत्खनन के लिए ट्रैक्टर और मेटाडोर फिर से सक्रिय हो चुके है। डोंगरा टोला रोड़ में नदी के भीतर ट्रैक्टर जैसे बड़े वाहन नदी में उतार कर रेत निकाला जाता है। उक्त जिलों की सीमा के गांव अपने-अपने जिला मुख्यालय से मात्र 20 से 30 किलोमीटर की ही दूर पर स्थित है, लेकिन आउटर मे होने के कारण रेत चोर जमकर इसका फायदा उठाते हैं आसपास क्षेत्र के रेत चोर खान और सिंह साहब अपनी राजनैतिक कथरी ओढ़कर रेत चोरी कराकर शासन को लाखो रुपए का राजस्व का चूना लगा कर अपना-अपना बैंक बैलेंस दिनों दिन बढ़ा रहे हैं और ग्राम में सफेद पोश नेता बनकर ग्रामीणों का सेवक बने हुए हैं ऐसा नहीं है की केबल खान और सिंह साहब की ही जोड़ी इस रेत चोरी के कार्य में संलिप्त है आस-पास के कई ग्रामीण जिनके पास ट्रैक्टर और मेटाडोर है वे लोग भी रेत के इस अवैध कारोबार में शामिल होकर नदी का सीना छलनी करने में नही चूक रहे हैं जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली में भी सवाल खड़े होते रहते हैं और कई बार अखबारों में यह मुद्दा भी उठता रहता है।
यहां से इतने समय उठाते हैं रेत ग्रामीण सूत्रों ने बताया कि बम्हौरी पंचायत अन्तर्गत बेम्हौरी से पटना मार्ग में, तुम्मीबर डोंगराटोला रोड मे पुलिया के पास, बैरगिहा रपटा पुल यानि चैन सिंह के खेत के पास से, बंडी और लखबरिया पंचायत के जुड़ाव सीमा मे नरगड़ा नाला से, वहीं अनूपपुर जिले की सीमा क्षेत्र मे डोंगराटोला पंचायत के पोडापानी घाट से, बैरगिहा टोला के प्राथमिक स्कूल के समीप स्थित रपटा पुल के पास इन सभी घाटों में सुबह 4:30 बजे से शाम करीब 7 बजे तक या रात के 12 बजे से सुबह पांच बजे तक कभी-कभी पूरे दिन ही अवैध निकासी की जाती है।
रेत माफिया ट्रैक्टर ओव्हर लोड कर के सड़क में चलते है जिससे गांव की सड़के भी जर्जर हो रही है और जिन रास्तों में पक्की सड़क नहीं है वहां कीचड़ के साथ बड़े-बड़े नाली नुमा गड्ढे हो गए हैं।
यहाँ खपाते है चोरी का रेत
उक्त ठीहों से रेत का अवैध उत्खनन कर आसपास के ग्राम पंचायतों जैसे बेम्हौरी, पटना, धनौरा, डोंगराटोला, लखबरिया अझुला एवं बंडी आदि पंचायत में चल रहे सरकारी आवास, शौचालय, सीसी रोड़, पुलिया आदि एवं निजी निर्माण कार्यों के साथ-साथ आसपास के कॉलरी के श्रमिक कॉलोनियों एवं खदानों में चल रहे निर्माण कार्यों में इसी अवैध रेत का उपयोग किया जा रहा है।
वर्तमान में बंगवार कॉलरी में हो रहे निर्माण कार्य मे जुड़मानी के रेत का उपयोग है रहा है।
बतौर चौकीदार और खबरी भी लगा रहे रेत चोर
बताया जाता है कि जब रेत निकासी के लिए वाहन और मजदूर नदी में उतारे जाते है तब देवहरा चौकी के बाहर सड़क किनारे किसी पान ठेला या दुकान में एक खबरी बैठा दिया जाता है, और एक खबरी वाहन लेकर आसपास सड़कों में रेंकी करता रहता है, और पुलिस आदि से खतरा होने पर तुरंत मौके पर लागे वाहन चालक और मजदूरों को सूचित करता है।"
सूत्र बताते हैं कि आजकल खबरी भी देवहरा चौकी के ठाकुर साहब हो गए है और पैसे का पूरा रंगारंग हिसाब इन्हें के माध्यम से दरोगा जी के पास पहुंचता है
देवहरा चौकी सवालों के घेरे पर वैसे देवहरा चौकी चचाई थाना होने बाद भी ग्रामीणों के मांग और संघर्ष से बनाया गया था जिससे आस-पास के ग्रामीणों में चोरी की घटनाएं रोकी जा सके चोरी की घटनाएं अत्यधिक मात्रा में होने के कारण जैसे कबाड़ चोरी कोयला चोरी डीजल चोरी तांबे के तार की चोरी को रोकने के उद्देश्य से बनाया गया था लेकिन ऐसा लगता है कि देवहरा चौकी अपने उद्वेश्य से भटक गई है और सही तरीके से कार्य करने में नाकामयाब होते दिखाई पड़ रही है इसके पूर्व में भी रहे प्रभारी का माफियों से सांठ गांठ जगजाहिर था लेकिन वर्तमान में भी आए प्रभारी से ग्राम वासियों की उम्मीद जगी थी के क्षेत्र में हो रहे अवैध कारोबार पर अंकुश लगेगा लेकिन ऐसा होता दूर दूर तक दिखाई नही पड़ रहा है।
ग्रामीणों की मानें तो रेत चोरी में लगे ट्रैक्टर हर साल लाखों का वारा न्याय कर रहे हैं, जिसकी न रॉयल्टी पर्ची का पता न सरकारी रेट कार्ड का, क्यों कि रेत अवैध खनन का रहता है।
क्षेत्र के अधिकांश ट्रैक्टरों के सभी रजिस्ट्रेशन पुख्ता नहीं है, कृषि कार्य हेतु का रजिस्ट्रेशन करा के रेत के साथ-साथ कॉलरी से चोरी के कबाड़ निकाले जा रहे हैं।
जिस पर न ही परिवहन विभाग, न ही वन विभाग, न हि राजस्व विभाग और न हि पुलिस विभाग की नजर पड़ रही है, यदि जानकारी है तो यह ये सब खुले आम कैसे चल रहे ?
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